दिल्ली कांग्रेस प्रभारी चाको, अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा के इस्तीफे स्वीकार

कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद दिल्ली  कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और प्रभारी पीसी चाको का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। शक्ति सिंह गोहिल को अंतरिम प्रभारी बनाया गया है।

चाको ने आज सुबह इस्तीफा दे दिया था जबकि चोपड़ा ने हार के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया था। चाको के फैसलों को लेकर दिल्ली कांग्रेस में शीला दीक्षित के समय से ही विवाद रहा है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष  सुभाष चोपड़ा  आने के तुरंत बाद अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। उनकी बेटी शिवानी चोपड़ा की कालकाजी सीट से जमानत जब्त हो गई है। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के ६६ लड़े उम्मीदवारों में से ६३ की जमानत जब्त हो गयी है।

ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस दिल्ली में पार्टी संगठन की ओवरहालिंग की तैयारी कर रही है। यहाँ नया राज्य अध्यक्ष भी चुना जा सकता है। जहां तक चाको की बात है वे अपने कुछ फैसलों को लेकर विवाद में रहे हैं। साल २०१५ के बाद अब लगातार दूसरी बार दिल्ली चुनाव में कांग्रेस सुण्या पर सिमटी है। यह कहा जा रहा है कि भाजपा को हारने के लिए कांग्रेस ने अपना वोट पूरी तरह आप को ट्रांसफर करवाया है।

तीन बार कांग्रेस को सत्ता में लाने वालीं शीला दीक्षित को लेकर चाको के ब्यान पहले भी विवाद में रहे थी और अब भी वे २०१३ में कांग्रेस की हार की शुरुआत की बात करते शीला का उदाहरण देते हैं।

उनके इस ब्यान को लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और दिल्ली महिला कांग्रेस प्रमुख वरिष्ठ नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी और दिल्ली के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने भी पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े किए थे। शर्मिष्ठा ने तो यहाँ तक सवाल किता था कि भाजपा विभाजनकारी राजनीति कर रही है जबकि केजरीवाल स्मार्ट पॉलिटिक्स, लेकिन हम क्या कर रहे हैं? उन्होंने जोर देकर कहा कि दिल्ली में हम दोबारा हार गए। अब  कार्रवाई का समय है। शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने में देरी, राज्य स्तर पर रणनीति और एकजुटता का अभाव, कार्यकर्ताओं का निरुत्साह, नीचे के स्तर से संवाद नहीं होना आदि हार के कारण हैं. मैं अपने हिस्से की जिम्मेदारी स्वीकार करती हूं।

संदीप दीक्षित, जो दिवंगत शीला दीक्षित के पुत्र हैं, ने कहा कि उन्हें नतीजों से कोइ हैरानी नहीं हुई है। उनके मुताबिक ”अंदरूनी  राजनीति की वजह से पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। हम चुनाव में कहीं नहीं थे। हमने शीलाजी के किए काम  दिखाने की कोशिश की, लेकिन वास्तव में देर हो चुकी थी।”