दाऊद का जयपुर पर नया दाँव

सोने की तस्करी के लिए जयपुर पर दाऊद के गिद्ध नज़र टिकाने के संकेत मिल रहे हैं। विदित हो कि जयपुर सोने, रत्नों और हीरों की खपत को लेकर दुनिया के सबसे बड़े शहरों में शुमार हो चुका है। लागत-लाभ अनुपात का खेल और भी दिलचस्प है कि तस्करी से आये सोने के दामों का भुगतान हीरों में किया जा रहा है। क्यों? कैसे? किसलिए? इसका खुलासा कर रहे हैं विजय माथुर

क्या पिंकसिटी के नाम से मशहूर जयपुर गोल्ड तस्करी के बेताज बादशाह दाऊद इब्राहीम के काले कारोबार का नया ठिकाना बनने की डगर पर चल पड़ा है? हकीकत चाहे जो हो, लेकिन खबरें आ रही हैं कि सब कुछ निश्चित संकेतों के बरअक्स हो रहा है। सोने की खपत और उपयोग का बढऩा इस बात का संकेत है कि लोगों का रुझान सोने और हीरे के भंडारण की तरफ बढ़ा है। पारखी कहते हैं कि इन्हें भुनाना भी आसान और छुपाना भी आसान। लेकिन इससे इतर बाज़ार की अंदरूनी तहों में झाँकने की दाऊद इब्राहीम की दिलचस्पी का लब्बोलुआब समझें तो, सब कुछ बड़ी रफ्तार के साथ हुआ है।

इसका असर यह हुआ है कि जयपुर सोने, रत्नों और हीरों की खपत को लेकर दुनिया के सबसे बड़े शहरों में शुमार हो चुका है। लागत-लाभ अनुपात का खेल और भी दिलचस्प है कि तस्करी से आये सोने के दामों का भुगतान हीरों में किया जा रहा है। उधर, इस कारोबार में माफियागीरी रोकने के लिए निगरानी करनेे वाली एजेंसियों के अफसरों को अभी तक यह बात हैरान किये जा रही है कि पहली नज़र में मुख्तसर-सी नज़र आने वाली तस्करी एक पेचदार खेल में क्यों पिरोयी हुई लगती है?

तस्करी में करियर के खिलौने नामालूम से शेखावाटी के वो वाशिंदे बने हुए हैं, जिनका मज़दूरी की खातिर खाड़ी देश में आना-जाना लगा रहता है। इनकी निगरानी में हज़ार तरह का लोचा है। जानकार सूत्रों का दावा है कि बेशक तस्करी की निगरानी करने वाली एजेंसियों के अफसर हर लिहाज़ से तस्करों की घेराबंदी में माहिर होते हैं, लेकिन सोने की तस्करी में अक्ल नहीं, अनुभव की दरकार होती है। वजह साफ है कि एयरपोर्ट पर लगी मशीनें सोने को स्कैन करने में कतई कारगर नहीं होतीं। अलबत्ता इसमें अनुभवी अफसर ही मेटल डेन्सिटी देखकर पहचान सकते हैं कि शरीर में सोना है या नहीं? हालाँकि यह बात जुदा है कि इसकी तस्दीक कस्टम महकमे के अफसर ही करते हैं।

क्या सोने की तस्करी के इस खेल के पीछे बड़े आकाओं का हाथ है? काफी हीला-हवाली के बाद अब जाँच एजेंसियों ने इस बात की तस्दीक की है कि हाँ, हमें इसके पुख्ता सुबूत मिल चुके हैं कि कहीं-न-कहीं सोने की तस्करी में अंडरवल्र्ड माफिया दाऊद लिप्त है। क्योंकि इसका सुबूत यह है कि जयपुर स्थित सांगानेर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर लगातार हो रही सोने की तस्करी के तार डी-कम्पनी (दाऊद की कम्पनी) और अंडरवल्र्ड से जुड़े हुए हैं। इस खेल की नकेल भी पूरी तरह दाऊद इब्राहीम के हाथों में है। दाऊद की देखरेख में काली कमाई की कारोबारी गतिविधियों को दाऊद इब्राहीम के छोटे भाई अनीस, फहीम मचमच और सिकंदर समेत तमाम प्यादे अंजाम दे रहे हैं। दाऊद की इस तिकड़ी ने अलबत्ता निगरानी एजेंसियों के अफसरों को गुमराह करने के लिए ट्रेंड बदल लिया है। नतीजतन इस खेल के नये खिलाड़ी वे लोग हैं, जो एक साल से ज़्यादा खड़ी देशों में रह चुके हैं।  इसके अलावा ऐसे मासूम लोगों का भी कन्धा इस्तेमाल किया जा रहा है, जो एकाएक शक की ज़द में नहीं आते हों? अब इस खेल में कस्टम अफसर कितने बेदाग हैं? वे ही जानें। लेकिन सवाल यह है कि काली कमाई का कारेाबार क्या मैली और ललचाई नज़रों से अछूता रह सकता है? लालच के कुटीर उद्योग को  एक तरफ रखें, तो सूत्रों का कहना है कि दुबई में डी-कम्पनी अपने मज़बूत नेटवर्क का फायदा उठाकर बिना कस्टम ड्यूटी की अदायगी के भी हीरे पार करवा लेती है। कहा जाता है कि क्राइम और कारोबार का संगम हर जगह अपने रास्ते तलाश लेता है। मसलन एक किलो से कम मिकदार में होने वाली सोने की तस्करी का रहस्य कैसे भी करके शक-शुब्हा से परे रखना था। अब अगर नारकोटिक्स में बढ़ते खतरों के मद्देनज़र डी-कम्पनी सिंगापुर को हीरों की तस्करी का हेडक्वार्टर बना रही है, तो इसके पीछे भी दाऊद की दूरगामी रणनीति है। डी-कम्पनी के खेल का नया दस्तूर समझें, तो सिंगापुर की अर्थ-व्यवस्था में हज़ार छेद हैं। यहाँ दो नम्बर के हीरों को एक नम्बर में तब्दील करने के लिए हीरों पर कर्ज़ लिया जा सकता है। यह रकम होटल, ट्यूरिज्म और कैसिनो जैसे कारोबार में लगा दी जाती है। इस कारोबार की कमाई से ही कर्ज़े की ईएमआई भरी जाती है। अब इससे मज़ेदार खेल और क्या होगा?

जयपुर के सांगानेर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की शीशे जड़ी मोटी और ट्रांसपैरेंट दीवारों को लाँघकर सतह पर तो अभी तक इतना ही सच आ सका है कि निगरानी एजेंसियों के अफसर अभी तक इस तस्करी के असली माफियाघेरों के चारो ओर चक्करघिन्नी किये हुए हैं। यानी अभी कोई ठोस सुबूत यानी किसी माफिया के गिरेबान तक जाँच एजेंसियाँ नहीं पहुँची हैं। मज़े की बात यह है कि जाँच की असली शुरुआत तब हो पायी, जब जाँच एजेंसियों के सक्रिय होने की भनक गोल्ड तस्करी के तालाब की बड़ी मछलियों को लग गयी और वे एकाएक ‘छूमंतर’ हो गयीं। ऐसे में जाल में फँसे भी तो छोटे-मोटे नामालूम से ‘केंकड़े’! लेकिन एटीएस अफसरों की बद-गुमानी का गुब्बारा तब फूटा, जब प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने जयपुर की तीन फर्मों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 26.97 किलो सोना 12.24 किलो चाँदी और 15 करोड़ की नकदी ज़ब्त कर ली। ईडी ने चौंकाने वाली कार्रवाई करके अगर कुछ किया, तो यह कि हवाला कारोबार को सतह पर ला दिया। फर्मों ने कुबूल किया कि हम तस्करी में शामिल थे। रकम का भुगतान हवाला के ज़रिये किया जा रहा था। जानकारियाँ खुरचने की मशक्कत शुरू हुई, तो एटीएस अफसरों के दिमाग के भी तोते उड़ गये। पता चला किडी-कम्पनी पूरी तरह ज़िन्दा है। यही नहीं सोने की तस्करी की हकीकत भी अफसरों के होश उड़ाने वाली थी।

बताया जा रहा है कि अब गोल्ड तस्करी का नया रूट बन गया है। तस्करी के गोल्डन ट्रायंगल में इसे चेन्नई, कलकत्ता, जयपुर के नाम से जाना जाता है। यह रहस्योद्घाटन भी दिलचस्पी से परे नहीं है कि चेन्नई की फर्म बांका बुलियान प्राइवेट लिमिटेड सोने की छड़ें की तस्करी कर इसके मार्क को हटा देती थी। बाद में इसे कोलकत्ता की फर्म को भेजा जाता है था फिर हवाला के ज़रिये भुगतान केे बाद सोना जयपुर पहुंचता था। प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों का कहना है कि इन फर्मों ने करोड़ों रुपये के जीएसटी, कस्टम ड्यूटी और इन्कमटैक्स की चोरी की है। इसलिए इन पर फोरन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत कार्रवाई की जा रही है। बहरहाल बड़े पैमाने पर हो रही तस्करी की वजह क्या है? इसे खंगाले तो सरकार ने सोने पर 12.5 फीसदी कस्टम शुल्क लगा दिया है। निगरानी एजेंसियाँ भी इतना तो मानती है कि भारत में कुल तस्करी का 10 फीसदी से ज़्यादा सोना नहीं पकड़ जा सकता। आज सोना पाँच हज़ार प्रति ग्राम के भाव पर जा रहा है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की मानें, तो भारत तथा अन्य देशों में कीमत में ज़्यादा फर्क कारण ही सोने की तस्करी में इज़ाफा हो गया है। वरिष्ठ पत्रकार मधुरेन्द्र सिन्हा कहते हैं कि जयपुर में हाल ही कस्टम अधिकारियों ने एक कोरियाई नागरिक को करीब दो करोड़ रुपये के सोने के साथ पकड़ा। ऐसी खबरें कई जगहों से आ रही है। कोई ऐसा दिन नहीं गुज़रता, जब हवाई अड्डों पर तस्करी से लाया गया सोना पकड़ा नहीं जाता। यहाँ तक कि ऑनलाइन तस्करी भी हो रही है और अरबों रुपये का सोना तस्करी से आ रहा है। 2017-18 में देश में सरकारी एजेंसियों ने 3223 किलो सोना, जिसकी कीमत 974 करोड़ रुपये भी पकड़ा था।

सिन्हा कहते हैं कि सोने की तस्करी तेज़ी से बढ़ी भी है। कभी जब भारत में सोने की खरीद-बिक्री पर कई तरह के नियंत्रण थे, तो तस्करी दुबई से होती थी; जिसने अंतत: अंडरवल्र्ड को जन्म दिया था। आज हालात वैसे तो नहीं है; जो इलाके पहले इससे अछूते थे, उनका नाम भी अब सोने की तस्करी से जुड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है- पूर्वोत्तर भारत। किसी ज़माने में हथियार तस्कर वहाँ उग्रवादी समूहों को म्यांमार से हथियार लाकर बेचते थे। जोखिम के कारण अब उन्होंने सोने की तस्करी शुरू कर दी है। वहाँ से सोने के बिस्कुट भारत पहुँचाये जाते हैं और फिर नागालैंड-असम होते हुए कोलकाता। फिर यह सोना सामान्य बाज़ार का हिस्सा बन जाता है।

दिलचस्प बात यह है कि स्थानीय लोगों के अलावा वहाँ राजस्थान के भी कुछ लोग सोने की तस्करी में शामिल पाये गये हैं। उनके लिए यह पैसा बनाने का आसान रास्ता है। इतना ही नहीं, इस समय सोना उन देशों से भी आने लगा है, जहाँ पहले ऐसी बातें सुनाई नहीं पड़ती थीं। जैसे नेपाल, बांग्लादेश, हांगकांग, श्रीलंका वगैरह। नेपाल और म्यांमार में दोनों देशों के नागरिकों के आवागमन पर रोक-टोक नहीं है और तस्कर इसका फायदा उठाते हैं।

लगातार जारी है गोल्ड तस्करी : अफसर

जयपुर के सांगानेर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पिछले कुछ अर्से से लगातार तस्करी हो रही है। इस बारे में कस्टम विभाग के डिप्टी कमिश्नर यतीश कुमार ने कुछ खुलासे ‘तहलका’ संवाददाता से हुई बातचीत में किये। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि फ्लाइट एसजी-57 से उतरने वाले दो यात्रियों को शक की बिना पर गिरफ्त में लिया गया। पूछताछ करने पर पहले तो उन्होंने इन्कार किया, लेकिन बाद में जामा तलाशी के दौरान गजानंद नामक व्यक्ति के कपड़ों से 116 ग्राम के सोने के चार बिस्किट मिले। गजानंद चूरू ज़िले के रतनगढ़ का रहने वाला है। दूसरा व्यक्ति भँवर सिंह सीकर ज़िले के लक्ष्मण गढ़ का रहने वाला था। उससे भी इतने ही वजह का सोना बरामद हुआ। यतीश कुमार ने बताया कि इससे पहले 10 जनवरी को उत्तर कोरिया के एक नागरिक से तस्करी का साढ़े चार किलो सोना बरामद किया गया। सोना सौ-सौ ग्राम के 45 बिस्किटों की शक्ल में था। उधर राजस्व अधिसूचना निदेशालय (डीआरआई) के सूत्रों ने बताया कि बैंकाक सोना लेकर आये इस युवक ने अहमदाबाद में तो निगरानी अफसरों को चकमा दे दिया, लेकिन साढ़े चार किलो सोने के साथ जयपुर एयरपोर्ट पर पकड़ा गया। युवक के पास 1.85 करोड़ का सोना मिला। वरिष्ठ पत्रकार आनंदमणि त्रिपाठी का कहना है कि  सांगानेर एयरपोर्ट पर लगातार हो रही सेाने की तस्करी ने इस बात की तस्दीक कर दी है कि दाऊद के गुर्गों ने अपनी चाल बदल दी है। त्रिपाठी कहते हैं कि जाँच एजेंसियों से इस बात के पुख्ता सुबूत मिले हैं कि सोने की तस्करी के तार ‘डी कम्पनी’ और ‘अंडरवल्र्ड’ से जुड़े हुए हैं। कस्टम विभाग के सूत्रों के अनुसार, सांगानेर एयरपोर्ट पर 5 जनवरी को दो सो ग्राम सोना पकड़ा गया। इसी प्रकार 23 जनवरी को एक किलो 25 जनवरी को एक किलो 31 जनवरी को 585 ग्राम तथा 01 फरवरी को 933 ग्राम सोना पकड़ा गया। उधर कस्टम विभाग के सूत्रों ने एक और तस्करी का रोचक मामला पकड़ा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि कस्टम के अपर आयुक्त मंसूर अली के नेतृत्व में हुई कार्रवाई में सोने की बनी पूडिय़ाँ पकड़ी गयी। इसकी कीमत 32 लाख बतायी जाती है। इस मामले में विक्रमजीत सिंह को गिरफ्तार किया गया। विक्रम सिंह स्पाइजेट की फ्लाइट से दुबई से जयपुर पहुँचा था। उधर, एक न्यूज एजेंसी की खबर की मानें, तो पंकज साधवानी नामक व्यक्ति से 6 बिस्किटों की शक्ल में एक किलो सोना पकड़ा गया है। उसने यह सोना गुदा में छिपा रखा था।

उधर, जयपुर में हुई ईडी की कार्रवाई को लेकर सूत्रों का कहना है कि चेन्नई के हर्ष बोथरा, बाँका बुलिटांस प्राइवेट लिमिटेड से इनपुट मिलने के बाद जयपुर की टीम ने ताराचंद सोनी की महाराजा ज्वेलर्स, रामगोपाल सोनी की भगवती ज्वेलर्स तथा हनी लड़ीवाला की लड़ीवाला एसोसिएट्स पर कार्रवाई की गयी। ईडी सूत्रों का कहना है कि ये फर्में सोने की तस्करी कर रही थीं, जिसका भुगतान जयपुर से हवाला के ज़रिये किया जा रहा था।