दया और सहानुभूति ना जताये सरकार, किसानों का सम्मान करें

कृषि कानून के विरोध में गाजीपुर में बैठे किसानों ने तहलका संवाददाता को बताया कि देश में कोरोना को लेकर जो डर और भय का माहौल बनाया जा रहा है। उसके पीछे सोची समझी चाल है,ताकि किसानों को अलग-थलग किया जा सकें। किसान जगतपाल का कहना है कि किसी भी किसान को कोरोना होने की पुष्टि तक नहीं हुई है, जब से किसान आंदोलन कर रहे है।यानि की कोरोना के नाम पर डर और भय दिखा कर किसान आंदोलन को कुचने की साजिश की जा रही है। लेकिन किसान इस साजिश को नाकाम कर देगें।
चौकानें वाली बात ये है कि किसान इस गर्मी के मौसम में टेंट में रह कर आंदोलन को और उग्र करेगें। जैसे जैसे गर्मी बढ़ेगी वैसे वैसे किसान का आंदोलन तेज होगा।किसान शंभु ने बताया कि एक महीने के भीतर किसानों की फसल कट कर बाजारों में आ जायेगी। उसके बाद किसान पूरी तरह से फ्री हो जायेगा। उसके बाद देश भर का किसान मई के महीने से कृषि कानूनों के विरोध में आर-पार की लड़ाई लड़ेगा। क्योंकि सरकार के प्रतिनिधि जो किसानों के आंदोलन को फींका पड़ने की बात कर रहे है।उसके जबाब मई महीने के मिलेगा कि किसान अपनी मांगों को लेकर कितने एक जुट है।
बताते चलें कि किसान आंदोलन अब किसानों के साथ-साथ देश के किसानों के बेटों का आंदोलन हो गया है। किसान के बेटा रमन जो बी टेक कर रहे है। उनका कहना है कि किसानों को दया और सहानुभूति की जरूरत नहीं है। बल्कि सम्मान की जरूरत है और सरकार सत्ता के नशे में किसानों पर दया जता रही है। देश का अन्न दाता को परेशान कर रही है। जिसको हरगिज बर्दास्त नहीं किया जायेगा।