तो सरकार इस तरह बनाएगी शिवसेना

भले ही विधानसभा चुनाव के नतीजे साफतौर पर बीजेपी शिवसेना गठबंधन के फेवर में आए हों फिर भी महाराष्ट्र में चीफ मिनिस्टर पोस्ट को लेकर पेंच फंसा हुआ दिख रहा है। ऐसे में शिवसेना सांसद संजय राउत ने साफ साफ शब्दों में दावा किया है कि शिवसेना के पास 175 एम.एल.ए का सपोर्ट है, महाराष्ट्र का चीफ मिनिस्टर शिवसेना का ही होगा और शपथ विधि शिवतीर्थ यानी दादर के शिवाजी पार्क में ही होगा। हालांकि राउत ने यह भी जोड़ा कि फाइनल डिसीजन उद्धव ठाकरे का होगा और निर्णय अपने अंतिम चरण में है।

चुनाव के नतीजे आने के 10 दिन बाद भी महाराष्ट्र में सरकार का निर्माण नहीं हो पा रहा है। मामला चीफ मिनिस्टरशिप के 50:50 यानी शिवसेना और बीजेपी के बारी बारी से चीफ मिनिस्टर कार्यकाल को लेकर फंसा हुआ है। शिवसेना का दावा है कि चुनाव से पहले बीजेपी ने उनसे 50:50 फार्मूले का वादा किया था लेकिन महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस के इस दावे को खारिज करने के बाद शिवसेना और बीजेपी के बीच तल्ख़ियां बढ़ती चली गई।

फिलहाल शिवसेना अपने इस निर्णय पर डटी है कि महाराष्ट्र का अगला चीफ मिनिस्टर शिवसेना का ही होगा और उसने आदित्य ठाकरे का नाम आगे किया है। वहीं फडणवीस पहले ही कह चुके हैं कि अगले पांच साल सीएम के तौर पर वही रहेंगे।

दूसरी ओर एनसीपी चीफ शरद पवार और कांग्रेस द्वारा शिवसेना को सपोर्ट दिए जाने की ख़बरों से राजनीतिक वातावरण गरमा गया है। हालांकि एनसीपी ने शिवसेना को सपोर्ट करने की बात तो कही है लेकिन साथ में यह भी कहा है कि वह चाहती है फिलवक्त सरकार बने और वह विपक्ष की भूमिका में अपनी भूमिका निभाए। इस बीच शिवसेना के सपोर्ट को लेकर कांग्रेस में भी दो ग्रुप बन गए हैं। एक ग्रुप शिवसेना को सपोर्ट करना चाहता है तो दूसरा इसके खिलाफ है। कांग्रेस के सीनियर लीडर हुसैन दलवाई ने तो सोनिया गांधी को पत्र लिखकर उन्हें कंविंस करने की भी कोशिश की है कि कांग्रेस, शिवसेना को सपोर्ट क्यों करें। इस ग्रुप को अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात आदि का सपोर्ट है। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस के प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे, सीनियर लीडर सुशील कुमार शिंदे और संजय निरुपम (जो शिवसेना के एमपी भी रह चुके हैं)का कहना है कि कांग्रेस और शिवसेना की आईडीलॉजी बिल्कुल जुदा है इसलिए शिवसेना को सपोर्ट नहीं करना चाहिए। शिवसेना को सपोर्ट के मुद्दे पर खबर है कि शरद पवार सोनिया गांधी से मीटिंग कर सकते हैं। एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक कह चुके हैं बीजेपी के फ्लोर टेस्ट में असफल होने की सूरत पर पर्याय तौर एनसीपी सरकार बनाने को पीछे नहीं हटेगी। इस दौरान संजय राऊत शरद पवार से उनके निवास स्थान पर मीटिंग कर चुके हैं ।राउत ने इस मीटिंग को अनौपचारिक मुलाकात का नाम दिया है लेकिन चर्चा है कि दोनों के बीच में बदलते हुए सत्ता समीकरणों को लेकर गहन बातचीत हुई है। इससे पहले कांग्रेस के सीनियर लीडर पृथ्वीराज चव्हाणहा, अशोक चव्हाण आदि शरद पवार से एनसीपी हेड ऑफिस में मुलाकात कर चुके हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना चीफ राज ठाकरे भी इस दौरान शरद पवार से उनके निवास स्थान सिल्वर ओक पर मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने भी मुलाकात को अनौपचारिक ही कहा है लेकिन इस मुलाकात को लेकर भी कई अटकलें लगाई जा रही है! शनिवार को बीजेपी शिवसेना महागठबंधन के अन्य सहयोगी पार्टियों के लीडरान ने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोशियारी से मिलकर गुजारिश की, कि वह सबसे बड़े दल बीजेपी को सरकार बनाने के लिए एक मौका दें। गवर्नर कोश्यारी से मिलने आरपीआई के रामदास आठवले, सदाभाऊ खोत, शिवसंग्राम पार्टी के विनायक मेटे और राष्ट्रीय समाज पक्ष पार्टी के महादेव जानकर पहुंचे थे।

इस पूरे परिदृश्य में फिलहाल बीजेपी की ओर से कोई बड़ा रिएक्शन नहीं आया है। शिवसेना के माऊथपीस ‘सामना’ द्वारा बीजेपी पर बार-बार हमला किए जाने से नाराज बीजेपी ने जताने की कोशिश की है कि वह शिवसेना की तरफ से पहल का इंतजार कर रही है। हालांकि शिवसेना के ‘सामना’ के जरिए बीजेपी पर लगाए जा रहे इस आरोप का कि बीजेपी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी दे रही है और इ.डी जैसे एजेंसीज का उपयोग दबाव डालने के लिए कर रही है, पर बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है! वह सिर्फ अपनी बातें रख रहे थे कि यदि 9 नवंबर तक सरकार न बनी तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।बीजेपी खेमे से खबरें यहां तक है कि बीजेपी ने शिवसेना को डिप्टी चीफ मिनिस्टर पोस्ट और 13 मंत्री पद देने का ऑफर दिया है हालांकि शिवसेना ने इस तरह के किसी भी ऑफर से इनकार किया है। बीजेपी के 2 बड़े नेता चंद्रकांत पाटील और गिरीश महाजन का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि 6 नवंबर से पहले सरकार बनाने का मसला हल हो जाएगा। इतना ही नहीं बीजेपी के स्टेट चीफ़ चंद्रकांत पाटील ने यह भी कहा है कि महाराष्ट्र का जनादेश बीजेपी शिवसेना गठबंधन को मिला है तो सरकार वही बनाएगी। शिवसेना के भीतरी सूत्रों से मिली खबर कहती है कि शिवसेना इस बार अपने निर्णय को लेकर अटल है कि सरकार वह बनाएगी और मुख्यमंत्री चीफ मिनिस्टर पद भी उन्हीं के पास होगा। साथ साथ यह खबर भी है यदि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आकर उद्धव से बातचीत करें और 50:50 वाले फार्मूले पर तैयार हो जाएं तो बीजेपी- शिवसेना की सत्ता आ सकती है। फिलहाल सभी का ध्यान शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे की 3 बजे होने वाली पत्रकार परिषद पर लगी हुई।

महाराष्ट्र में वर्तमान परिस्थितियों में क्या-क्या राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं इस पर शिवसेना सांसद संजय राउत का विश्लेषण :

1- शिवसेना को छोड़कर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होने की हैसियत से सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। बीजेपी के पास 105 विधायक हैं। 40 और की जरूरत पड़ेगी ।यह संभव नहीं हुआ तो विश्वासमत प्रस्ताव के दौरान सरकार धराशाई हो जाएगी और 40 हासिल करना भी असंभव दिखता है।

2 – वर्ष 2014 की तरह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ,भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन में शामिल होगी, इसके बदले सुप्रिया सुले को केंद्र में तथा अजीत पवार को राज्य में पद दिया जाएगा। परंतु 2014 में की गई भयंकर भूल श्री पवार एक बार फिर करेंगे इसकी लेशमात्र की संभावना नहीं है। पवार को भाजपा के विरोध में सफलता मिली है और महाराष्ट्र ने उन्हें सिर पर उठाया है। आज वे शिखर पर हैं। उनका यश मिट्टी में मिल जाएगा।

3- भाजपा विश्वासमत प्रस्ताव में बहुमत सिद्ध करने में नाकाम होगी तब दूसरी बड़ी पार्टी होने के नाते शिवसेना सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। राष्ट्रवादी 5४, कांग्रेस 44 तथा अन्य की मदद से बहुमत का आंकड़ा 170 तक पहुंच जाएगा। शिवसेना अपना खुद का मुख्यमंत्री बना सकेगी तथा सरकार चलाने का साहस उन्हें करना होगा। इसके लिए 3 स्वतंत्र विचारों वाली पार्टियों को समान अथवा सामंजस्य से योजना बनाकर आगे बढ़ना होगा। अटल बिहारी वाजपेई ने जिस तरह दिल्ली में सरकार चलाई थी उसी तरह सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना होगा। इसी में महाराष्ट्र का हित है।

4 – भारतीय जनता पार्टी तथा शिवसेना को मजबूर होकर साथ आना होगा और सरकार बनानी होगी। इसके लिए दोनों कोई चार कदम पीछे लेने पड़ेंगे। शिवसेना की मांगों पर विचार करना होगा। मुख्यमंत्री पद का विभाजन करना होगा और यह एक बेहतरीन पर्याय है। परंतु अहंकार के चलते यह संभव नहीं।

5- ईडी, पुलिस, पैसा, धाक आदि के दम पर अन्य पार्टियों के विधायक तोड़कर भाजपा को सरकार बनानी पड़ेगी। इसके लिए ईडी के एक प्रतिनिधि को मंत्रिमंडल में शामिल करना होगा। परंतु दल बदलने वालों की क्या दशा हुई, इसे मतदाताओं ने दिखा दिया। फूट डालकर बहुमत हासिल करना, मुख्यमंत्री पद पाना आसान नहीं है। इन सबसे मोदी की छवि धूमिल होगी।