तो, मायावती भी चली परिवारवाद की राजनीति करने

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा को मिली करारी हार से बसपा सुप्रीमो मायावती काफी चिंतित है। उन्होंने तमाम सियासी कयासों को विराम देते हुए पार्टी में सक्रियता के साथ पार्टी में बड़े फेरबदल के तहत कुछ पदाधिकारियों को हटाया है तो कुछ को अहम जिम्मेदारी दी है। इस अहम जिम्मेदारी ने उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय समन्यवक बनाया है।

आकाश आनंद को जिम्मेदारी सौंपते हुये मायावती ने ये सियासी अंदाज में बता दिया है। कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में सक्रियता के साथ पार्टी को आगे बढ़ाने में काम करेगी। बसपा सूत्रों की माने तो पार्टी भले ही कमजोर हुई है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में करारी हार और खिसकते जनाधार को लेकर पार्टी पर भाजपा से मिले होने के आरोप लगने लगे थे। क्योंकि चुनावी बेला पर मायावती ने खुद सपा को हराने की लोगों से अपील की है। जिससे अपरोक्ष रूप से बसपा पर ये आरोप लगना लगा था  बसपा अपनी हार को देखते हुये भाजपा को जिताने के लिये प्रयास कर रही है।

वहीं बसपा सुप्रीमो अभी तक कांग्रेस और सपा पर परिवारवाद को राजनीति में लाने के लिये आरोप लगाती रही है। साथ ही परिवार की पार्टी कहती रही है। वहीं अब खुद अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाकर ये बता दिया है। कि सियासत में सब चलता है। मौका मिलते ही अपने लाभ के लिये सियासी दल सारे सिद्दांतों को तांक पर ऱख देते है।

सपा और कांग्रेस का कहना कि मायावती की सियासत उत्तर प्रदेश में सिमट गयी है। वे आरोप-प्रत्यारोप  की राजनीति कर अपने भतीजे को आगे लाने के लिये ही राजनीति करती है। अब खुद परिवारवाद को बढ़ावा दे रही है। जो कल तक दूसरे दलों पर ये आरोप लगाने से नहीं चूकती थीं। कि परिवारवाद का राजनीति में कोई स्थान नहीं है। और अब खुद परिवार के साथ पार्टी को चलाने लगी है।