तेज़ी से फैल रहा एच3एन2 फ्लू

इन्फ्लुएंजा-ए वायरस के सब-टाइप एच3एन2 से पहली बार दो मौतें, सैकड़ों नये मामले आने से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

कोरोना के कई वेरिएंट के बाद अब इन्फ्लूएंजा-ए वायरस के सब टाइप एच3एन2 कहर बनकर टूट पड़ा है। पहली बार इस वायरल से हुई दो मौतों ने केंद्र्र सरकार तक को इस फ्लू से निपटने के लिए सतर्क किया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इन्फ्लुएंजा-ए वायरस के सब-टाइप एच3एन2 से देश में दो लोगों की जान गयी है, जिसमें एक व्यक्ति हरियाणा था और दूसरा कर्नाटक का रहने वाला था। अभी तक एच3एन2 के देश भर में 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।

दरअसल इन दिनों में मौसम के बदलाव के कारण आमतौर पर सर्दी-खाँसी होती है। इसी के चलते संक्रमित लोगों को यही ग़लतफ़हमी रही कि उन्हें मौसम बदलने के चलते सर्दी, खाँसी और बुख़ार है। लेकिन जाँच में पता चला कि ये साधारण सर्दी, खाँसी और बुख़ार नहीं है, बल्कि इन्फ्लुएंजा-ए वायरस की सब-टाइप एच3एन2 वायरल है, जो कि जानलेवा साबित हो रहा है। दरअसल इस वायरल से पहली बार देश में दो मौतें हुई हैं, इसलिए केंद्र्र सरकार भी सतर्क हुई है। एच3एन2 कई इन्फ्लूएंजा के प्रकोप की वजह बन रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि ये फ्लू सर्दी के बाद अचानक आयी गर्मी के कारण फैल रहा है। मौसम में इतनी तेज़ी से बदलाव बीमारी को बढ़ाने वाला होता है।

डॉक्टरों का कहना है कि इन्फ्लूएंजा वायरस रेस्पिरेटरी इंफेक्शन की वजह बनता है। स्वास्थ्य विभाग ने आशंका व्यक्त की है कि यह वायरस पक्षियों और मेमल्स में भी फैल सकता है, क्योंकि ये वायरस पक्षियों और जानवरों में कई स्ट्रेन्स में बदल चुका है। इससे इसके और ख़तरनाक होने की आशंका है। रोग नियंत्रण केंद्र्र (सीडीसी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताज़ा रिपोर्ट में इस वायरस को एच3एन2 इन्फ्लुएंजा-ए वायरस का सबटाइप बताया गया है, जो मानव इन्फ्लूएंजा की एक बड़ी वजह है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मनुष्यों में एच3एन2 के लक्षण एवियन, स्वाइन, जूनोटिक इन्फ्लुएंजा इंफेक्शन, हल्का अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (बुख़ार और खाँसी), निमोनिया, सदमा, ठंड लगना, जी मिचलाना, उल्टी, गले में दर्द, ख़राश, शरीर में दर्द, दस्त, ज़्यादा छींकें, नाक बहना आदि हैं। ऐसे में अगर तीन-चार दिन तक न जाने वाली खाँसी हो, जुकाम हो, बुख़ार हो, सीने में दर्द हो, बेचैनी हो, खाना खाने पर उलटी हो, गले में दर्द हो, शरीर में दर्द हो या साँस लेने में तकलीफ़ हो, तो तुरन्त डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

ध्यान रखें कि एच3एन2 एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है, क्योंकि एच3एन2 अत्यंत संक्रामक इन्फ्लुएंजा है। इसलिए ध्यान रखें कि अगर आपके आसपास ऊपर दिये गये लक्षणों वाला कोई व्यक्ति खुले मुँह से खाँसता है। छींकता है। थूकता है या मुँह की तरफ़ साँस छोड़ता है। मुँह के पास आकर बात करता है; तो उससे दूर रहें और उसे मास्क लगाकर रखने को कहें। डॉक्टरों का कहना है कि एच3एन2 इन्फ्लुएंजा फैलने का ख़तरा गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, बुजुर्ग, वयस्कों सबमें में आसानी से फैलता है।

अगर किसी में एच3एन2 इन्फ्लुएंजा के लक्षण दिखते हैं, तो सबसे पहले उसका ऑक्सीजन लेवल देखें और अगर ऑक्सीजन लेवल 95 प्रतिशत से कम है, तो ऐसे व्यक्ति को तुरन्त अस्पताल ले जाएँ। अगर अस्पताल या डॉक्टर तक पहुँचने में देरी हो रही हो, तो संक्रमित व्यक्ति को तत्काल बुख़ार कम करने, दर्द कम करने की सामान्य दवा दे सकते हैं; लेकिन सावधानी से। मरीज़ को आराम करने, ऑक्सीजन जोन में रखना बहुत ज़रूरी है।

विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमित होने पर या होने से पहले या आम लोगों के बीच में रहने की दशा में हाथों को नियमित रूप से पानी और साबुन से धोएँ, सेनेटाइजर का उपयोग करें, मास्क लगाएँ, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें, अपनी नाक और मुँह को छूने से बचें, खाँसी या छींक आए, तो अपने मुँह और नाक को ढक लें। हाइड्रेटेड रहें, पानी और तरल (लिक्विड) ख़ूब पीएँ। इसके अलावा नियमित व्यायाम करें, हर रोज़ कम से कम आधा-एक घंटे हरी-भरी जगह पर रहें और अगर सम्भव हो तो योगा करें।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने डॉक्टरों के मुताबिक, जब तक यह पता नहीं चल जाए कि मरीज़ को एच3एन2 इन्फ्लुएंजा का संक्रमण है, तब तक उसे एंटीबायोटिक्स नहीं दिया जाना चाहिए, वरना रेजिस्टेंस पैदा हो सकता है। बुख़ार, खाँसी, जुकाम, गले में ख़राश और शरीर में दर्द सामान्य स्थिति में भी होता है। हालाँकि सतर्क रहने की ज़रूरत है; क्योंकि एच3एन2 इन्फ्लुएंजा के संक्रमण में अचानक बढ़ोतरी हो रही है।

डॉक्टरों का कहना है कि एच3एन2 इन्फ्लुएंजा का वायरस हर साल म्यूटेशन करता है और बूंदों के ज़रिये फैलता है। हालाँकि हर साल मौसम के बदलाव के दौरान इन्फ्लुएंजा होने का ख़तरा बढ़ जाता है। लेकिन इस बार इसका संक्रमण का$फी ख़तरनाक है; क्योंकि इस बार यह वायरस तेज़ी से और कोरोना की तरह एक व्यक्ति से दूसरे में और दूसरे से तीसरे में या एक व्यक्ति से कई अन्य व्यक्तियों में फैल रहा है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में कोरोना के मामले तो कम हो रहे हैं; लेकिन एच3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। हालाँकि कोरोना के मामलों में भी कहीं-कहीं बढ़ोतरी हुई है; लेकिन कोरोना से मौत के आँकड़े नहीं बढ़े हैं। वहीं एच3एन2 इन्फ्लुएंजा से दो मौतों ने डॉक्टरों से लेकर केंद्र्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, स्वास्थ्य विभागों और सीडीसी से लेकर डब्ल्यूएचओ तक को सचेत किया है।

डॉक्टर की राय

जनरल फिजिशियन डॉक्टर मनीष कुमार कहते हैं कि एच3एन2 के लक्षण मांसपेशियों में दर्द, शरीर में अकडऩ के साथ खाँसी, जुकाम, बुख़ार और उल्टी का मन होना आदि सब होता है। ऐसे लक्षणों में धूप में रहना, समय पर उपचार करना ज़रूरी है। लेकिन जब तक मरीज़ में एच3एन2 के संक्रमण की जाँच न हो और यह पता न चले कि संक्रमण बैक्टिरियल है या नहीं, तब तक मरीज़ को एंटीबायोटिक न दें। क्योंकि अगर बिना जाँच के गलत दवाएं दे दीं, तो इससे मरीज़ को आराम की जगह नुकसान हो सकता है।

कुछ लोग खाँसी, जुकाम, बुख़ार की स्थिति में घर में ही इलाज करने लगते हैं। ऐसा न करें; क्योंकि अगर संक्रमण हुआ, तो साधारण दवाओं से उसे कम नहीं किया जा सकेगा और ऐसी स्थिति में मरीज़ की बीमारी तो गम्भीर होगी ही, वो घर में भी अन्य लोगों को संक्रमित करेगा। इसलिए सर्दी, खाँसी, बुख़ार, गले में दर्द, ख़राश आदि होने पर तुरन्त डॉक्टर को दिखाएँ।