डेल्टा प्लस वायरस से बचाव की आयुर्वेदिक औषधि

ब्रेंमटन, टोरंटो (जीआईआई)। कोरोना वायरस के नए डेल्टा प्लस वेरिएंट से बचाव के लिए एक नई आयुर्वेद औषधि ‘वायरोफ्लेम’ की सफलता ने कनाडा और अमेरिका में चिकित्सा विशेषज्ञों का ध्यान तेजी से आकर्षित किया है। यह औषधि भारतीय मूल के कनाडावासी आयुर्वेदाचार्य और कैनेडियन कॉलेज ऑफ आयुर्वेद एंड योग के प्रमुख डॉ. हरीश वर्मा ने तैयार की है। डेल्टा प्लस से पैदा हुए भय के माहौल में इस औषधि का आना राहतदायी है। वायरोफ्लेम जल्दी ही भारत में भी उपलब्ध होगी।

यहां आयोजित एक चिकित्सा वेबिनार में डॉ. वर्मा ने कहा कि डेल्टा प्लस वेरिएंट से भयभीत होने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन चूंकि नए वेरिएंट के बारे में पता चला है कि वह मौजूदा वैक्सीनों की अनदेखी कर व्यक्ति के शरीर में जीवित रहने की क्षमता रखता है, इसलिए वायरोफ्लेम का उपयोग काफी फ़ायदेमंद साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि जिस तेजी से वायरस अपना स्वरूप बदल रहा है, वह चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए चुनौती है और डेल्टा प्लस के बारे में अभी तक की शोध के अनुसार, यह वैक्सीन लगवाने के बाद शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज़ को ख़त्म करने लगता है। इससे वैक्सीन का असर कम हो जाता है और रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

डॉ. वर्मा ने कहा कि आयुर्वेद वायरोफ्लेम थैरेपी के ज़रिए इस समस्या से निपटा जा सकता है। डेल्टा वायरस के साथ ही यह थैरेपी मौसमी फ्लू, डेंगू और चिकनगुनिया की बीमारियों से निपटने में भी बहुत कारगर साबित हुई है। उन्होंने कहा कि डेल्टा प्लस वायरस को काबू करने में थोड़ी-सी भी लापरवाही बहुत घातक साबित हो सकती है, इसलिए ऐहतियाती इलाज पहले ही शुरू कर दिया जाना लाभदायक होता है। वैक्सीन लगवा लेने के बावजूद वायरोफ्लेम कैप्सूल लेते रहने से इस वायरस से बचाव की संभावनाएं बहुत पुख़्ता हो जाती हैं।

डॉ. वर्मा ने कहा कि वायरोफ्लेम थैरेपी के दौरान दो प्रकार की जड़ी-बूटियों का समूह एक साथ दिया जाता है। इससे शरीर की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं का पुनर्निर्माण होता है। जड़ी-बूटियों का मिश्रण एक ख़ास अनुपात में तैयार किया जाता है और यह फॉर्मूला ही वायरोफ्लेम के बेहद प्रभावशाली होने का रहस्य है। उन्होंने कहा कि यह औषधि लेने वाले मेरे एक भी रोगी को न तो ऑक्सीजन पर रखने की ज़रूरत पड़ी और न ही आईसीयू में भर्ती होना पड़ा। उन्होंने कहा कि वायरोफ्लेम दूसरी चिकित्सा पद्धतियों की दवाओं से बहुत सस्ती भी है और उसके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं हैं।

डॉ. वर्मा ने कहा कि वायरोफ्लेम जुलाई के पहले सप्ताह से भारत में भी उपलब्ध होने लगेगी। वे भारत के लिए अलग से एक हेल्पलाइन नंबर की घोषणा भी करेंगे।