डीज़ल पहली बार पेट्रोल के पार

हाल ही में एक ओर जहाँ कच्चे तेल के दाम अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में सबसे निचले स्तर पर रहे हैं, वहीं अपने देश में डीजल-पेट्रोल की कीमतें नयी ऊँचाइयाँ छू रही हैं। डीजल के दाम तो अब तक के सबसे शिखर पर पहुँच चुके हैं। इतना ही नहीं 24 जून को दिल्ली में पहली बार डीजल के दाम पेट्रोल से ज़्यादा हो गये।

दिल्ली में 23 जून को पेट्रोल के दाम 79.76 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 79.40 रुपये प्रति लीटर हो गये। मुम्बई में पेट्रोल जहाँ 86.54 रुपये प्रति लीटर तो डीजल 77.76 रुपये प्रति लीटर बिका। इससे पहले अक्टूबर 2018 में पेट्रोल-डीजल के दाम शिखर पर पहुँचे थे, उस समय कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थी; लेकिन वर्तमान में यह 35-40 डॉलर के आसपास ही है।

तेल विपणन कम्पनियों ने लॉकडाउन के 82 दिनों के दौरान तेल की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं किया। इस दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए 7 जून से दैनिक ईंधन की कीमतों में वृद्धि जारी की, जो लम्बे समय से थमने का नाम नहीं ले रही है। हालाँकि इसके पीछे केंद्र सरकार द्वारा बढ़ाया गया उत्पाद शुल्क भी एक मुख्य कारण है। लॉकडाउन के दौरान ही पिछले महीने मोदी सरकार ने प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमश: 10 रुपये और 13 रुपये की एक साथ बड़ी वृद्धि कर दी थी। थोड़ा संदेह है कि इससे खुदरा में पेट्रोल और डीजल की दरों में बढ़ोतरी हुई। बढ़ी हुई एक्साइज ड्यूटी में से 8 रुपये सडक़ और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस के रूप में लिए जाने का तर्क रखा गया है, बाकी विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क के लिए कहा गया है।

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी से उत्साहित विपक्षी कांग्रेस ने माँग की है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों को जीएसटी के तहत लाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया और रसोई गैस की कीमतों में अगस्त, 2004 के स्तर तक कम किये जाने चाहिए। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि यह याद दिलाना महत्त्वपूर्ण है कि जब 2004 में कच्चे तेल की कीमतें करीब 40 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल थी और आज के हिसाब से तेल की कीमतों में इतना बड़ा अन्तर आम उपभोक्ता क्यों झेलें?

अगस्त, 2004 में पेट्रोल 36.81 रुपये प्रति लीटर, डीजल 24.16 और एलपीजी दिल्ली में 261.60 रुपये प्रति सिलेंडर था। लेकिन वर्तमान में पेट्रोल 79.76 रुपये प्रति लीटर, डीजल 79.46 रुपये प्रति लीटर और एलपीजी 593 रुपये प्रति सिलेंडर बेचा जा रहा है। विपक्ष की ओर से यह भी माँग की गयी है कि सरकार को तुरन्त पेट्रोल पर 23.78 रुपये और डीजल पर 28.37 रुपये की उत्पाद शुल्क वृद्धि को रोलबैक किया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी ने एक बयान में कहा कि मई, 2014 में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.20 रुपये प्रति लीटर था और डीजल पर यह 3.46 रुपये प्रति लीटर था। लेकिन जबसे वर्तमान सरकार ने सत्ता सँभाली है, यानी पिछले छ: वर्षों में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क लगातार बढ़ा है। इस समय पेट्रोल पर 23.78 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 28.37 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है। यानी पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 258 फीसदी और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 820 फीसदी बढ़ोतरी की जा चुकी है।

वित्तीय वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2019-20 के बीच, सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 12 बार टैक्स लगाया है और इस तरह से उसने पिछले छ: साल में 17,80,056 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमायी की है। एक ओर जहाँ लोग तमाम तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर संवेदनहीन सरकार लगातार कर (टैक्स) बढ़ाती जाती है और उपभोक्ताओं पर बोझ डालती जा रही है; जिसका उसे अधिकार नहीं है। यदि सरकार अपने कार्यकाल के दौरान बढ़े हुए उत्पाद शुल्क को वापस लेती है, तो पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतें तत्काल प्रभाव से 50 रुपये प्रति लीटर तक नीचे आ सकती हैं।

यह उल्लेखनीय है कि 26 मई, 2014 को वर्तमान सरकार ने सत्ता सँभाली, तब भारतीय तेल विपणन कम्पनियों को कच्चे तेल की कीमतों के 108 डॉलर यानी 6330 रुपये प्रति बैरल चुकाने पड़ रहे थे। यानी उस समय प्रति लीटर लागत करीब 39.81 रुपये पड़ रही थी। लेकिन वर्तमान में 12 जून, 2020 को भारतीय तेल विपणन कम्पनियाँ कच्चे तेल की कीमतें 40 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल यानी 3038.64 रुपये प्रति बैरल में ले रही हैं (एक बैरल में 159 लीटर होता है), जिसकी आज के हिसाब से लागत देखें तो यह प्रति लीटर 19.11 रुपये पड़ता है। यानी खरीद के मूल्य के हिसाब से देखें तो पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के दामों में काफी कमी की जा सकती है।

कांग्रेस पार्टी ने माँग की है कि घटे हुए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों का लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाना चाहिए और पेट्रोल-डीजल-एलपीजी गैस की दरों को अगस्त, 2004 के स्तर तक कम किया जाना चाहिए। पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि कम्पनियों ने लॉकडाउन के दौरान ईंधन की कीमतों में वृद्धि नहीं की; लेकिन जैसे ही लॉकडाउन में रियायत मिली तो तेल की माँग में वृद्धि हुई। इसके बाद तेल विपणन कम्पनियों ने उपभोक्ताओं पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि की वसूली का जो फॉर्मूला निकाला, तो वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अर्थशास्त्रियों का सुझाव है कि ईंधन की कीमतें बढऩे से मुद्रास्फीति में वृद्धि होती है; क्योंकि परिवहन लागत बढ़ती है। इसका मतलब यह होगा कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतें इसी तरह बढ़ेंगी, जिससे महँगाई बढ़ेगी। जैसा कि यह ऐसे समय में हो रहा है, जब तरलता की कमी है और लोग अपने आय के साधन खो रहे हैं। इससे लोगों को आने वाले समय में कहीं ज़्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। नौकरियों का छूट जाना, वेतन में कटौती ने पहले से ही कामगारों की कमर तोड़ दी है; जबकि व्यवसायों को अभी तक फिर से ट्रैक पर लाया जाना बाकी है। ईंधन की कीमतें बढऩे से लोगों की जेबें खाली करने से अर्थ-व्यवस्था का गणित गड़बड़ा सकता है।

ईंधन के खुदरा मूल्य का लगभग 70 फीसदी करों में शामिल है। इसे इस तरह समझ सकते हैं, चार्ट देखें :-

प्रति लीटर पेट्रोल

आधार मूल्य       17.96 रुपये

माल ढुलाई         0.32 रुपये

उत्पाद शुल्क      32.98 रुपये

डीलर कमीशन   3.56 रुपये

वैट        16.44 रुपये

कर व अन्य शुल्क            70 फीसदी

डीजल प्रति लीटर

आधार मूल्य       18.49 रुपये

माल ढुलाई         0.29 रुपये

उत्पाद शुल्क      31.83 रुपये

डीलर कमीशन   2.52 रुपये

वैट        16.22 रुपये

कर व अन्य शुल्क            70 फीसदी

विडम्बना यह है कि जब कच्चे तेल की कीमतें वैश्विक स्तर पर बढ़ती हैं, तो जो भार पड़ता है वह उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाता है। लेकिन जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कीमतें कम होती हैं, तो कर और अन्य शुल्क लगाकर वसूली की जाती है। ऐसा लगता है सरकार या तेल विपणन कम्पनियों का एकमात्र काम मुनाफा कमाना हो गया है।

आयात पर निर्भरता

भारत में ईंधन की उच्च कीमतों का एक और प्रमुख कारण आयात पर निर्भरता भी है। सरकार 2022 तक तेल आयात निर्भरता में 67 फीसदी की कटौती करने का लक्ष्य बना रही है; लेकिन समय बीतने के साथ इसके मुख्य क्षेत्रों और प्रमुख खोज की कमी के कारण स्थानीय उत्पादन साल-दर-साल गिर रहा है।

कम घरेलू उत्पादन

पेट्रोलियम और गैस मंत्रालय के अनुसार, मार्च, 2020 के दौरान कच्चे तेल का उत्पादन मार्च, 2019 के मुकाबले तुलना में घटकर 13.97 फीसदी रहा, जो लक्ष्य से 5.50 फीसदी कम है। अप्रैल-मार्च 2019-20 के दौरान कच्चे तेल का उत्पादन 32169.27 टीएमटी था; जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान उत्पादन से 8.20 फीसदी कम रहा और लक्ष्य से और 5.95

कच्चे तेल का उत्पादन (टीएमटी में)

तेल कम्पनी        लक्ष्य     मार्च (महीना)      अप्रैल-मार्च (संचित)

            २०१९-२० (अप्रैल-मार्च)     २०१९-२०           २०१८-१९           पिछले साल से तुलना (त्नमें)     २०१९-२०           २०१८-१९           पिछले साल से तुलना (त्नमें)

                        लक्ष्य     उत्पादन*           उत्पादन             लक्ष्य     उत्पादन*            उत्पादन

ओएनजीसी        २२१५३.९०          २०८१.४५           १७७८.११           १७६८.१७            १००.५६ २२१५३.९०          २०६२६.९५         २१०४२.११          ९८.०३

तेल       ३४२४.९०           २९४.२३ २५४.०७ २७८.१० ९१.३६   ३४२४.९०           ३१०६.६१            ३२९३.१३            ९४.३४

पीएससी फ्यूल्ड   ९४६३.३४           ७५९.८५ ६६५.२५            ८०८.०४ ८२.३३   ९४६३.३४            ८४३५.७१           ९८६८.०२           ८५.४९

कुल      ३५०४२.१५         ३१३५.५३           २६९७.४२          २८५४.३२           ९४.५०            ३५०४२.१५         ३२१६९.२७         ३४२०३.२७         ९४.०५

ध्यानार्थ :- उपरोक्त आँकड़ों में मामूली अन्तर सम्भव है; यह अनुमानित हैं।

फीसदी कम।

मार्च, 2020 के दौरान ओएनजीसी ने 1778.11 टीएमटी कच्चे तेल के उत्पादन किया जो मार्च, 2019 की तुलना में 0.56 फीसदी अधिक था, लेकिन यह अपने तय लक्ष्य से 14.57 फीसदी कम था।

अप्रैल-मार्च, 2019-20 के दौरान ओएनजीसी द्वारा संचयी कच्चे तेल का उत्पादन 20626.95 टीएमटी था, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान अवधि और उत्पाद के लिए लक्ष्य की तुलना में 6.89 फीसदी अधिक था; साथ ही लक्ष्य से 1.97 फीसदी कम रहा है।

उत्पादन में कमी के कारण

एमओपीयू की अनुपलब्धता के कारण डब्ल्यूओ-16 क्लस्टर से उत्पादन की गैर वसूली।

पानी की कटौती बढऩे के कारण बी-127 क्लस्टर से कम उत्पादन।

ईएसपी एनबीपी और रत्ना क्षेत्रों के कुओं को जारी किया जाना।

मुम्बई उच्च, हीरा, नीलम और बी173 (ए) क्षेत्रों के कुछ कुओं में पानी की कटौती में वृद्धि।

कोविड-19 लॉकडाउन के कारण तटवर्ती क्षेत्रों में क्षेत्र के संचालन के लिए आन्दोलनों के प्रतिबन्ध के कारण कम तेल उत्पादन। मार्च, 2020 के दौरान कच्चे तेल का उत्पादन मासिक लक्ष्य से 13.65 फीसदी कम और मार्च, 2019 की तुलना में 8.64 फीसदी कम रहा।

अप्रैल-मार्च, 2019-20 के दौरान संचयी कच्चे तेल का उत्पादन 3106.61 टीएमटी रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान अवधि और उत्पादन 9.29 फीसदी रहा; पर लक्ष्य 5.66 फीसदी कम रहा।

उत्पादन में कमी के कारण

कुओं में पानी की कटौती और तालाबन्दी के दौरान कुओं के बन्द होने के परिणामस्वरूप कुओं के कुल तरल उत्पादन में गिरावट।

कोविड-19 के कारण वर्कओवर और ड्रिलिंग के संचालन की प्रगति पर प्रभाव पड़ा है, इससे वर्कओवर और ड्रिलिंग कुओं से नियोजित योगदान की तुलना में पुराने कुओं पर निर्भरता बढ़ी है।

मार्च, 2020 तक कच्चे तेल का उत्पादन 665.25 टीएमटी था, जो मासिक लक्ष्य से 12.45 फीसदी कम है और इसके मासिक लक्ष्य के हिसाब से देखें, तो 2019 में 17.67 फीसदी कम रहा। अप्रैल-मार्च, 2019-20 के दौरान प्राइवेट व ज्वाइंट वेंचर्स के ज़रिये कच्चे तेल का उत्पादन 8435.71 टीएमटी था, जो 10.86 फीसदी ज़्यादा था, मगर लक्ष्य से 14.51 फीसदी कम रहा।

उत्पादन में कमी के कारण

वर्कओवर और ड्रिलिंग कुओं से नियोजित योगदान से कम। ईएसपी और संचालन के मुद्दे आदि मंगला, भाग्यम ऐश्वर्य, एबीएच और सैटेलाइट क्षेत्रों में।

पानी भर जाने और रेत के कारण 5 तेल कुओं में उत्पादन कम हो गया। (सीईआईएल)

कुओं (ओएनजीसी) की अंडरपरफॉर्मेंस

प्राकृतिक गैस

मार्च, 2020 के दौरान प्राकृतिक गैस का उत्पादन 2411.16 एमएमएससीएम था, जो मासिक लक्ष्य से 21.89 फीसदी कम और मार्च, 2019 की तुलना में 14.38 फीसदी कम है।

अप्रैल-मार्च, 2019-20 के दौरान संचयी प्राकृतिक गैस उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान उत्पादन के लिए लक्ष्य की तुलना में 31179.96 एमएमएससीएम है, जो 9.76 अधिक थी; साथ ही लक्ष्य का 5.15 फीसदी कम रही।

प्राकृतिक गैस उत्पादन (एमएमएससीएम)

तेल कम्पनी        लक्ष्य     मार्च (महीना)      अप्रैल-मार्च (संचित)

            २०१९-२० (अप्रैल-मार्च)     २०१९-२०           २०१८-१९           पिछले साल से तुलना (त्नमें)     २०१९-२०           २०१८-१९           पिछले साल से तुलना (त्नमें)

                        लक्ष्य     उत्पादन*           उत्पादन             लक्ष्य     उत्पादन*            उत्पादन

ओएनजीसी        २५८४८.००         २३५९.२०           १९०५.५२           २१३४.८९            ८९.२६   २५८४८.००         २३७४६.१९         २४६७४.६५        ९६.२४

तेल       ३३०९.५९           २७१.६४ २११.६२  २३५.१२ ९०.००    ३३०९.५९           २६६८.२५            २७२१.९१            ९८.०३

पीएससी फ्यूल्ड   ५३९५.२०           ४५६.०८ २९४.०३ ४४५.९५ ६५.९३   ५३९५.२०            ४७६५.५१          ५४७६.८२          ८७.०१

कुल      ३४५५२.७९        ३०८६.९३           २४११.१६            २८१५.९६           ८५.६२            ३४५५२.७९        ३११७९.९६         ३२८७३.३७        ९४.८५

ध्यानार्थ :- उपरोक्त आँकड़ों में मामूली अन्तर सम्भव है; यह अनुमानित हैं।

 मार्च, 2020 के दौरान ओएनजीसी द्वारा प्राकृतिक गैस का उत्पादन 1905.52 एमएमएससीएम था, जो कि लक्ष्य से 19.23 फीसदी कम है और मार्च 2019 की तुलना में 10.74 फीसदी कम दर्ज किया गया।

ओएनजीसी द्वारा मार्च, 2019-20 के दौरान संचयी प्राकृतिक गैस का उत्पादन 23746.19 एमएमएससीएम रहा, जो 8.13 फीसदी ज़्यादा रहा; जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान अवधि और उत्पादन के लिए लक्ष्य से 3.76 फीसदी कम रहा।

उत्पादन में कमी के कारण

मार्च -20 में गेल और जीएसपीसी द्वारा कम उठाव वजह रही, जो कि कोविड-19 लॉकडाउन स्थितियों के कारण गैस कुएँ बन्द रहे।

रेत व पानी के स्तर में वृद्धि के कारण ईओएस के कुओं में वशिष्ठ/एस1 के चलते कम गैस का उत्पादन हुआ।

डब्ल्यूओ 16 क्लस्टर से नियोजित गैस उत्पादन न हो पाना।

बेसिन क्षेत्र, दमन ताप्ती ब्लॉक और सीमांत क्षेत्रों से नियोजित गैस उत्पादन में कमी।

ओटीपीसी, त्रिपुरा द्वारा गैस की उठायी कम हुई, इसलिए उत्पादन कम किया गया

कावेरी और राजमुंदरी सम्पत्तियों में गैस उपभोक्ताओं ने इसका कम उपभोग किया, जिसके चलते उत्पादन प्रभावित हुआ साथ ही जोधपुर एसेट में भी गैस नहीं ले जायी गयी।

मार्च, 2020 के दौरान ऑयल द्वारा प्राकृतिक गैस का उत्पादन 211.62 एमएमएससीएम था, जो मासिक लक्ष्य से 22.10 फीसदी कम और मार्च, 2019 से 10 फीसदी कम है।

अप्रैल-मार्च, 2019-20 के दौरान ऑयल द्वारा संचयी प्राकृतिक गैस उत्पादन 2668.25 एमएमएससीएम है; जो 19.38 फीसदी अधिक है और पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान अवधि और उत्पादन के लिए लक्ष्य की तुलना में यह 1.97 फीसदी कम है।

उत्पादन में कमी के कारण

विरोध और बन्द के दौरान गैस कुओं के उत्पादन क्षमता में गिरावट।

कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के दौरान कम बाज़ार की माँग (टी सेक्टर) के कारण नियंत्रित उत्पादन।

ब्रह्मपुत्र घाटी उर्वरक निगम लिमिटेड, बीवीएफसीएल के नामरूप-द्वितीय के पौधों को यूरिया रिएक्टर ट्यूब रिसाव के कारण सिंथेसिस गैस सेक्शन और नामरूप-द्वितीय संयंत्रों में समस्या के कारण बन्द हो गया।

बिजली उत्पादन इकाई की खराबी के कारण एनआरएल द्वारा कम उत्पादन।

एनटीपीएस : उनके मौज़ूदा गैस टर्बाइन के विभिन्न रखरखाव मुद्दों के कारण। इनके अलावा कंप्रेसर वाल्व की समस्या के कारण नामरूप रिप्लेसमेंट पॉवर प्रोजेक्ट (एनआरपीपी) बन्द है।

निजी क्षेत्र द्वारा प्राकृतिक गैस का उत्पादन और मार्च, 2020 तक जुडऩे वाला उपक्रम 294.03 एमएमएससीएम था; जो मार्च, 2019 से 35.53 फीसदी लोथर्न मासिक लक्ष्य और 34.07 फीसदी कम है। अप्रैल-मार्च, 2019 तक प्राइवेट व संयुक्त उपक्रम द्वारा संचयी प्राकृतिक गैस उत्पादन 4765.51 एमएमएससीएम था। पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान अवधि और उत्पादन के लिए लक्ष्य की तुलना में 11.67 फीसदी और 12.99 फीसदी कम रहा।

उत्पादन में कमी के कारण

उपभोक्ताओं द्वारा कम लाभ और कुछ कुओं में ही कामकाज। (एफईएल)

ओसारे के कुओं में गैस ब्रेकआउट की प्रतीक्षा की जा रही है।

रानीगंज पूर्व : उपभोक्ताओं से मिलने वाले मुनाफे में कमी (एस्सार)

उपभोक्ताओं द्वारा कम लाभ। (एचओईसी)

रिफाइनरी उत्पादन

तेल कम्पनी        लक्ष्य     मार्च (महीना)      अप्रैल-मार्च (संचित)

            २०१९-२० (अप्रैल-मार्च)     २०१९-२०           २०१८-१९           पिछले साल से तुलना (त्नमें)     २०१९-२०           २०१८-१९           पिछले साल से तुलना (त्नमें)

                        लक्ष्य     उत्पादन*           उत्पादन             लक्ष्य     उत्पादन*            उत्पादन

सीपीएसई          १४७९४४.८१       १३६६४.९३         १२२६१.५७         १२७५३.९५            ९६.१४   १४७९४४.६९      १४४७१५.८०       १५०९७५.६६      ९५.८५

आईओसीएल     ७१९००.२५         ६७०३.६७          ५७३६.१३           ५६५९.६९            १०१.३५  ७१९००.२५         ६९४१९.३६         ७१८१५.८६         ९६.६६

बीपीसीएल         ३०९००.००          २६९५.००           २७०६.५२           २७९३.०५            ९६.९०   ३०८९९.९९         ३१५३२.११          ३०८२३.४४         १०२.३०

एचपीसीएल        १६४९९.००         १५९८.००            १५१४.७७           १६२७.३०            ९३.०९   १६४९९.००         १७१८०.२१          १८४४४.०७         ९३.१५

सीपीसीएल         १०४००.००          ९३०.००  ८५३.१९ १००३.८८            ८४.९९   १०४००.००            १०१६०.६४         १०६९४.७०         ९५.०१

एनआरएल         २७९९.८०           २५९.१०  २४७.६५            २४६.१० १००.६३  २७९९.८०            २३८३.३४           २९००.३९            ८२.१७

एमआरपीएल      १५४००.००          १४७५.००           ११९६.६८           १४१६.०१            ८४.५१   १५४००.००          १३९५३.११          १६२३१.०५          ८५.९७

ओएनजीसी        ४५.७६  ४.१६     ६.६३     ७.९३     ८३.६६  ४५.७६  ८६.९३   ६६.१६            १३१.४०

जेवीएस १८७५५.००         १५८८.००           १६९८.०७           १७९७.५६          ९४.४७            १८७५५.००         २०१५४.९७         १८१८८.६९         ११०.८१

बीओआरएल      ७८००.००           ६६०.०० ७३३.२१ ७०२.७८ १०४.३३  ७८००.००            ७९१२.९१            ५७१५.८८           १३८.४४

एचएमईएल        १०९५५.००          ९२८.०० ९६४.८६            १०९४.७८           ८८.१३            १०९५५.००          १२२४२.०६         १२४७२.८०         ९८.१५

निजी     ८८०४०.५२         ७९४३.९३           ७२४३.९५           ७९४३.९३           ९१.१९            ८८०४०.५२         ८९५१५.१६         ८८०४०.५२         १०१.६७

आरआईएल       ६९१४५.००         ६१५३.९१           ५५२४.९४           ६१५३.९१            ८९.७८   ६९१४५.००         ६८८९४.९९        ६९१४५.००         ९९.६४

ईओएल १८८९५.५२         १७९०.०१            १७१९.०१            १७९०.०१            ९६.०३            १८८९५.५२         २०६२०.१८         १८८९५.५२         १०९.१३

कुल      २५४७४०.३२       २३१९६.८५         २१२०३.५८         २२४९५.४३         ९४.२६            २५४७४०.३२       २५४३८५.८२      २५७२०४.८६      ९८.९०

ध्यानार्थ :- उपरोक्त आँकड़ों में मामूली अन्तर सम्भव है; यह अनुमानित हैं।

मार्च, 2020 के दौरान रिफाइनरी का उत्पादन 21203.58 टीएमटी था, जो मार्च, 2019 की तुलना में महीने के लिए लक्ष्य की तुलना में 8.59 फीसदी कम है और मार्च, 2019 की तुलना में 5.74 फीसदी कम। अप्रैल-मार्च, 2019-20 के दौरान संचयी उत्पादन, 254385.82 टीएमटी है; जो कि 0.14 फीसदी है। पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान अवधि और उत्पादन के लिए लक्ष्य की तुलना में यह 1.1 फीसदी कम है।

मार्च, 2020 के दौरान सीपीएसई रिफाइनरियों का उत्पादन 12261.57 टीएमटी था, जो मार्च, 2019 की तुलना में महीने के लिए लक्ष्य से 3.26 फीसदी कम और 3.86 फीसदी कम है।

अप्रैल-मार्च, 2019-20 के दौरान सीपीएसई रिफाइनरियों द्वारा संचयी उत्पादन 144715.69 टीएमटी था, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान अवधि और उत्पादन के लिए लक्ष्य से क्रमश: 2.18 फीसदी और 4.15 फीसदी कम है।

रिफाइनरी उत्पादन की कमी के कारण

आईओसीएल, गुवाहाटी और बोंगईगांव : नियोजित बन्द के कारण कमी।

आईओसीएल, बरौनी, हल्दिया, मथुरा, पानीपत, पारादीप और झरिया माँग के अनुरूप कमी रही।

सीपीसीएल, मनाली : कोविड-19 लॉकडाउन के कारण उत्पाद नियंत्रण मुद्दों के कारण क्रूड लक्ष्य से कम रहा।

एनआरएल, नुमालीगढ़ : प्रोसेसिंग क्रूड की उपलब्धता के अनुसार है।

मार्च, 2020 के दौरान जेवी रिफाइनरियों में उत्पादन 1698.07 टीएमटी था, जो महीने के लक्ष्य से 6.93 फीसदी अधिक है। लेकिन मार्च, 2019 की तुलना में 5.53 फीसदी कम है।

अप्रैल-मार्च, 2019-20 के दौरान सीपीएसई रिफाइनरियों द्वारा संचयी उत्पादन 20154.97 टीएमटी था, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान अवधि और उत्पादन के लिए क्रमश: लक्ष्य से 7.46 फीसदी और 10.81 फीसदी अधिक है। मार्च, 2020 के दौरान निजी रिफाइनरियों में उत्पादन 7243.95 टीएमटी था, जो कि लक्ष्य की तुलना में पिछले वर्ष इसी अवधिके दौरान के हिसाब से 8.81 फीसदी कम है।

बढ़ गयी तेल आयात निर्भरता

घरेलू उत्पादन शेष रहने से भारत की तेल आयात निर्भरता 2017-18 में 82.9 फीसदी से बढक़र 2019-20 में 83.7 फीसदी हो गयी है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी द्वारा प्रकाशित वल्र्ड एनर्जी आउटलुक 2019 से यह कहीं ज़्यादा चेताने वाला लगता है, जिससे पता चलता है कि कुल प्राथमिक ऊर्जा में भारत की तेल माँग 2018 में 233 मीट्रिक टन से बढक़र 2025 में 305 मीट्रिक टन होने का अनुमान है।

वैश्विक बाज़ार में अभूतपूर्व माँग संकट के कारण कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ उठाने के लिए भारत अब भविष्य के लिए कच्चे तेल का भण्डार कर रहा है और अपनी पूरी क्षमता व पहली खेप में रणनीतिक पेट्रोलियम भण्डार (एसपीआर) भरने का फैसला किया है। इंडियन ऑयल के माध्यम से एक मिलियन बैरल कच्चे तेल की खरीद की गयी है।  यह सुझाव दिया जाता है कि आयात में कमी की रणनीति में तेल और गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ाना, ऊर्जा दक्षता और उत्पादकता में सुधार करना, माँग प्रतिस्थापन पर ज़ोर देना; जैव ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना शामिल है।