डीआईजी को बचाने में लगी महाराष्ट्र पुलिस

नाबालिग बच्ची के साथ छेड़छाड़ कर हुआ फरार, पुलिस पर डीआईजी को बचाने के आरोप

नाबालिग बच्चियों की सुरक्षा का दम भरने वाली महाराष्ट्र पुलिस इन दिनों अपने ही एक डीआईजी की करतूत की वजह से बदनाम हो रही है। पुलिस इस दागी अधिकारी की सरगर्मी से तलाश रही है। इस डीआईजी पर अपने पारिवारिक मित्र की नाबालिग लडक़ी के साथ छेड़छाड़ करने और उसके परिवार को धमकाने के संगीन आरोप लगे हैं। बता दें कि छ: महीने बाद पुलिस ने डीआईजी निशिकांत मोरे के िखलाफ बच्ची से छेड़छाड़ का केस रजिस्टर किया गया था और इतने ही महीने सरकार ने इस दागदार आईपीएस ऑफिसर को सस्पेंड करने में लगा दिये।

कब का है मामला?

पुणे में तैनात डीआईजी निशिकांत मोरे कानून से भागते फिर रहे हैं। 2019 में एक परिवार ने आरोप लगाया कि निशिकांत मोरे 5 जून की शाम को परिवार की बेटी के 1।वें बर्थ-डे पार्टी में अपनी पत्नी के साथ बिना बुलाये पहुँचे और वहाँ उन्होंने शराब पीकर उनकी बेटी के साथ अश्लील हरकत की। जब पार्टी में मौज़ूद परिजनों और दूसरे लोगों ने उनकी हरकत का विरोध किया, तो उन्होंने फैमिली को गम्भीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी। पार्टी में मौज़ूद परिजनों ने आईपीएस निशिकांत मोरे की हरकत को अपने मोबाइल कैमरे में सबूत के तौर पर कैद कर लिया था। मामला बिगड़ते देख निशिकांत मोरे की पत्नी उन्हें वहाँ से ले गयी।

बचाने में लगा रहा पूरा विभाग

पीडि़त फैमिली का आरोप है कि वारदात वाली रात ही उन्होंने तलोजा पुलिस स्टेशन में डीआईजी निशिकांत मोरे के िखलाफ कंप्लेंट की थी। लेकिन पुलिस ने उनकी कंप्लेंट लिखनी, तो दूर उलटे उन्हें ही चुप रहने की सलाह दे कर लौटा दिया था। पीडि़ता के परिजनों ने बताया कि उनकी बेटी के साथ छेड़छाड़ करने वाले आईपीएस ऑफिसर निशिकांत मोरे की कंप्लेंट उन्होंने पुलिस स्टेशन से लेकर डीजीपी तक को की, लेकिन डिपार्टमेंट अपने आदमी को बचाने में लगा रहा। पीडि़त लडक़ी के पिता ने रोते हुए कहा- ‘वो इतना बड़ा अफसर है कि आम आदमी तो क्या डीसीपी भी उसके िखलाफ कंप्लेंट लेने से कन्नी काट रहा था।’

पीडि़ता का किया गया पीछा

पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें पीडि़त लडक़ी के परिजनों ने निशिकांत मोरे को पीडि़ता का पीछा करते पकड़ा था। इस वीडियो में निशिकांत मोरे तो नज़र नहीं आया; लेकिन उसके ड्राइवर को परिजनों ने पकड़ लिया था। पीडि़त लडक़ी का आरोप था कि निशिकांत मोरे उसका पीछा कर रहा था, लेकिन उसके शोर मचाने के चलते वो दूसरी कार में बैठकर वहाँ से निकल गया। पीडि़ता के पिता ने बताया कि जब से उन्होंने निशिकांत मोरे के िखलाफ कंप्लेंट करने की कवायद शुरू की है, तभी से उनकी मुसीबतें बढ़ गयी हैं। उन्होंने कहा कि मेरे बेटे को अनजान लोग कभी भी पीट देते हैं और पुलिस हमारी शिकायत तक स्वीकार नहीं करती।

6 महीने बाद दर्ज हुई एफआईआर

6 महीने तक पुलिस स्टेशन और बड़े अफसरान के दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद आिखरकार 26 दिसंबर 2019 को नवी मुम्बई की तलोजा पुलिस ने डीआईजी निशिकांत मोरे के िखलाफ एफआईआर दर्ज की। पीडि़त लडक़ी ने सबूत के तौर पर मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड वो क्लिप भी दिखाया, जिसमें डीआईजी निशिकांत मोरे लडक़ी के साथ अश्लील हरकत करता पकड़ा गया था।  डीसीपी अशोक दुधे ने कहा कि वारदात के वीडियो क्लिप और चश्मदीदों के बयान के आधार पर पुलिस ने पुणे में तैनात डीआईजी (मोटर ट्रांसपोर्ट) निशिकांत मोरे के िखलाफ केस रजिस्टर किया गया।  पुलिस ने निशिकांत मोरे के िखलाफ पॉस्को एक्ट और आईपीसी के सेक्शन 354 (ए), 506 के तहत केस रजिस्टर किया।

कोर्ट में भी मिली धमकी

पीडि़ता के परिवार का आरोप है कि उन्हें पनवेल सेशंस कोर्ट में पेशी के दौरान भी धमकाया गया। पीडि़त लडक़ी के पिता ने बताया उन्हें कोर्ट में धमकी दी गयी। उन्होंने कहा- ‘हम लोग सुनवाई के लिए कोर्ट में थे; वहाँ हमें एक आदमी ने धमकी देते हुए कहा कि मैं सीएम का ड्राइवर हूँ, तुम लोग चुप रहने का।’

बता दें कि पीडि़त के भाई ने उस शख्स की रिकॉॄडग अपने मोबाइल में कर ली थी। पीडि़त परिवार ने इस घटना की शिकायत तलोजा पुलिस स्टेशन में दर्ज करायी। वीडियो वायरल होने के बाद जाँच शुरू हुई, तब पता चला कि पीडि़ता के परिजन को कोर्ट में धमकाने वाला शख्स कांस्टेबल दिनकर साल्वे है, जो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का ड्राइवर है। साल्वे ने यह भी बताया कि उसने निशिकांत मोरे के साथ मुम्बई के नागपाड़ा मोटर ट्रांसपोर्ट यूनिट में काम किया था ,उस वक्त निशिकांत मोरे असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (एसीपी) था। इसके बाद  मोरे को डिपार्टमेंट ने तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया।

परिजनों को लगातार किया गया तंग

पीडि़त फैमिली के आरोप हैं कि निशिकांत मोरे के िखलाफ एफआईआर रजिस्टर होने के बाद से उनकी दिक्कतें और बढ़ गयी हैं। पीडि़त के पिता ने बताया कि एफआईआर दर्ज होने के बाद से धमकियों का सिलसिला बढ़ गया है। मेरे बेटे के साथ बार-बार मारपीट की जा रही है। केस वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

अब जागी सरकार, डीआईजी को किया गया निलंबित

मामले को तूल पकड़ता देख 9 जनवरी, 2020 को महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने डीआईजी निशिकांत मोरे को सस्पेंड करने के आदेश पारित कर दिये। इस मामले पर एक पत्रकार वार्ता में अनिल देशमुख ने कहा कि रिपोर्ट के बाद यह फैसला लिया गया। सरकार का यह फैसला निशिकांत मोरे पर एफआईआर दर्ज होने के दो सप्ताह बाद आया है।

मोरे की जमानत याचिका खारिज

गिरफ्तारी से बचने के लिए निशिकांत मोरे ने पनवेल सेशंस कोर्ट में एंटी सेफ्टी बेल के लिए याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। एफआईआर रजिस्टर होने के बाद निशिकांत मोरे ने पनवेल कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद गृह मंत्रालय ने भी डीआईजी निशिकांत मोरे को सस्पेंड कर दिया। बता दें कि पनवेल सेशंस कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद निशिकांत मोरे ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है।

आरोपी पूर्व डीआईजी भूमिगत

बेल रिजेक्ट होने के बाद से ही आरोपी निशिकांत मोरे अंडर-ग्राउंड हो गया है। पुलिस उसकी सरगर्मी से तलाश कर रही है। पुलिस से इस बारे में पूछने पर एक ही जवाब मिल रहा है कि आरोपी कोई भी हो, पुलिस हमेशा ईमानदारी से काम करती है। मोरे को भी जल्द ही ढूँढकर गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

मोरे पहले भी कर चुका है हरकतें

तहलका को मिली इनफार्मेशन के मुताबिक साल 2004 में नागपाड़ा मोटर ट्रेनिंग यूनिट के एसीपी रहते वक्त भी निशिकांत मोरे पर ऐसे ही संगीन आरोप लगे थे। निशिकांत मोरे की सरकारी कार का एक्सीडेंट हो गया था, उस वक्त वो अपनी सरकारी कार में पार्लर चलाने वाली लडक़ी के साथ गुलछर्रे उड़ा रहा था, जिसके बाद तत्कालीन मुम्बई पुलिस कमिश्नर ए.एन. रॉय ने एसीपी निशिकांत मोरे के िखलाफ जाँच के आदेश दिये थे। विभागीय जाँच में निशिकांत मोरे को दोषी पाया गया था और कुछ महीनों के लिए सस्पेंड किया गया था।

लडक़ी हुई थी गायब

इस बीच पुलिस फोर्स से निलंबित पुणे के डीआईजी निशिकांत मोरे के िखलाफ मोलेस्ट्रेशन का आरोप लगाने वाली नाबालिग लडक़ी को पुलिस ने देरहादून से ढूँढ निकाला। यह नाबालिक लडक़ी 6 जनवरी की रात करीब 11.30 बजे से घर से गायब हो गयी थी।

खुदकुशी का लिखा था पत्र

घर छोडऩे से पहले लडक़ी अपने पिता के नाम खुदकुशी-पत्र छोड़ गयी थी। पत्र में उसने लिखा था कि उसे ढूँढने की कोशिश नहीं की जाए, वह निशिकांत मोरे की वजह से होने वाली जिल्लत और पुलिस डिपार्टमेंट की बेरुखी से परेशान होकर खुदकुशी कर रही है और उसकी खुदकुशी का ज़िम्मेदार डीआईजी मोरे को माना जाए।

तलाश में लगीं पुलिस की कई टीमें

बेटी के अचानक घर से गायब होने से सदमे में आये परिजनों ने तलोजा पुलिस में बेटी की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवायी थी। चूँकि मामला काफी संगीन था इसी लिए पुलिस की कई टीमें लडक़ी की तलाश में जुट गयी थीं।

रिश्तेदार के साथ मिली देहरादून में

पुलिस टीम ने मोबाइल सर्विलांस की मदद से लडक़ी को देहरादून में एक रिश्तेदार के साथ ढूँढ निकाला। पुलिस टीम लडक़ी और उसके रिश्तेदार को नवी मुम्बई ले आयी, जहाँ दोनों से पूछताछ की गयी है। सूत्रों का दावा है कि पुलिस लडक़ी के उस रिश्तेदार के िखलाफ भी केस दर्ज किया जा रहा है, जिसके साथ लडक़ी घर से भागकर देहरादून गयी थी। नवी मुम्बई पुलिस कमिश्नर ने मीडिया से बात करते हुए इस बात कि पुष्टि की। उन्होंने कहा कि लडक़ी देहरादून में मिली। हमारी टीम उसे 14 नवंबर को करीब 5 बजे वापस ले आयी है और उनके बयान दर्ज किये जा रहे हैं। इस मसले पर लडक़ी का परिवार बात करने से बच रहा है।

मोरे की पत्नी ने पीडि़तों पर जड़े गम्भीर आरोप

इधर, निशिकांत मोरे की पत्नी कनिशिका मोरे ने पीडि़त लडक़ी के परिवार पर उसके पति मोरे को झूठे मामले में फँसाने आरोप लगाया है। मोरे की पत्नी का कहना है कि मेरे पति को बेल नहीं, मिले इसी लिए पूरा ड्रामा रचा गया। कनिष्का मोरे ने अपनी बात रखते हुए कहा कि पुलिस को लडक़ी और उसके पूरे परिवार के िखलाफ केस दर्ज करना चाहिए; यह पूरा ड्रामा प्लानिंग से किया गया है।