डाक्टरों, चिकित्सा स्टाफ पर हमला अब गैर जमानती अपराध, जुर्माना भी

डाक्टरों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने बुधवार को एक अध्यादेश जारी किया जा रहा है। यह अध्यादेश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और डाक्टरों के प्रतिनिधियों के बीच सुबह गृह मंत्री की बातचीत के बाद आया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस अध्यादेश को लेकर अपनी बैठक में फैसला किया। इसमें डाक्टरों पर हमले को  गैर जमानती अपराध बना दिया है।

केबिनेट मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने बताया कि अध्यादेश के मुताबिक इसमें ५० हजार से २ लाख के मुआवजे का प्रावधान भी किया गया है। इसके लिए १२३ साल पुराने क़ानून को संशोधित किया गया है। हमला करने वाले को तीन महीने से लेकर ५ साल तक की सजा होगी। गंभीर घायल होने पर ६ महीने से ७ साल तक की सजा का भी प्रावधान किया गया है। यदि डाक्टर, चिकित्सा कर्मी के क्लीनिक, घर, वाहन आदि का भी नुक्सान होता है तो दोगुना जुर्माना भरना होगा और इसे दोषी से ही बसूला जाएगा।

लॉक डाउन के बीच डाक्टरों और चिकित्सा स्टाफ पर लोगों के हमलों की खबर के बाद डाक्टरों के जबरदस्त विरोध के बाद यह फैसला हुआ है। आईएमए  ने आज ही गृह मंत्री के साथ बातचीत के बाद अपना आज का ”ब्लैक डे” कार्यक्रम टालने का फैसला किया था।

अध्यादेश में कहा गया है कि डाक्टरों/चिकित्सा स्टाफ पर हमला करने की सूरत में दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज होगा और उनका अपराध गैर जमानती अपराध माना जाएगा। उन्हें एक से लेकर पांच लाख तक हर्जाना भी देना होगा।

मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी केबिनेट मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने एक प्रेस कांफ्रेंस में दी। उन्होंने कहा कि यह मामला अब गैर जमानती होगा। डाक्टरों/स्वास्थ्य कर्मियों का ५० लाख का बीमा भी किया जाएगा।

मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों की प्रापर्टी जैसे घर, वाहन आदि की तोड़फोड़ करने पर भी अलग से जुर्माने का प्रावधान किया गया है जो दोगुना होगा। मुकदमा ३० दिन के भीतर चलना शुरू हो जाएगा और एक साल में फैसला आ जाएगा।