टोक्यो ओलंपिक में भारत

भारत अगले साल टोक्यो में होने वाले 32वें ओलंपिक खेलों की तैयारी में जुटा है। ओलंपिक में जीत पदक किसी एथलीट या देश के लिए सबसे अधिक गौरव का परिचय देते हैं। अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों के बीच पदकों की होड़ लगी रहती है।

वैसे तो भारतीय खिलाड़ी 1900 में पैरिस में आयोजित ओलंपिक खेलों से भाग लेते रहे हैं; पर अधिकारिक रूप से भारत ने 1920 के एंट्रीय खेलों से भाग लेना शुरू किया। इस प्रकार भारतीय खिलाड़ी पिछले 100 साल से इन खेलों का हिस्सा हैं, लेकिन कभी बड़ी ताकत नहीं बन पाये। एक तरफ जहाँ छोटे-छोटे देश झोली-भर कर पदकों की जीतते रहे वही हमारे हाथ इक्का-दुक्का पदक ही आ सके। इनमें से आठ स्वर्ण पदक तो भारत ने हॉकी में ही जीते हैं। भारतीय हाकी टीम 1928 के एम्सट्रडम खेलों में पहली बार गयी और स्वर्ण पदक लेकर लौटी। जयपाल सिंह के नेतृत्व में गयी इस टीम ने तो शुरुआत की उसे लाल शाह बुखारी की टीम ने 1932 लॉसएंजेलेस में और ध्यानचंद की टीम ने 1936 के बॢलन ओलंपिक में जारी रखा। इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध के कारण 12 साल तक ओलंपिक खेल नहीं हो सके।

अगस्त 1945 में विश्व युद्ध खत्म हुआ और 1948 में लंदन में इन खेलों का आयोजन किया जा सका। यहाँ भारत ने किशन लाल के नेतृत्व में 6 हॉकी का चौथा स्वर्ण पदक जीता। 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में के.डी. सिंह बाबू की टीम पाँचवाँ स्वर्ण पदक लायी। 1956 के मेलबोर्न ओलंपिक में टीम का नेतृत्व बलबीर सिंह सीनियर ने किया और फाइनल में पाकिस्तान को हराकर छठा स्वर्ण पदक पाया। ध्यान रहे बलबीर सिंह सीनियर 1948 और 1952 में भी स्वर्ण पदक विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे। 1960 में पहली बार भारत को रोम ओलंपिक में चाँदी के पदक से संतोष करना पड़ा। लेसली क्लाडियम के नेतृत्व में गयी भारतीय टीम फाइनल में पाकिस्तान से 0-1 से हार गयी। पर 1964 के टोक्यो ओलंपिक में भारत ने चरणजीत सिंह के नेतृत्व में पाकिस्तान को 1-0 से हटाकर भारत को स्वर्ण पदक दिला दिया। यह भारत का सातवाँ स्वर्ण पदक था।

भारत को आठवाँ स्वर्ण पदक 1980 के मास्को ओलंपिक खेलों में मिला। यहाँ भास्करन के नेतृत्व में गयी भारतीय टीम ने फाइनल में स्पेन को हराया था। इससे पूर्व 1968 में पृथिपाल सिंह और गुरबख्श सिंह के दोहरे नेतृत्व में मैक्सिको खेलने गयी टीम तीसरे स्थान पर रही थी। 1972 में हरमीक सिंह ने नेतृत्व में श्यूनिख गयी टीम भी कांस्य पदक ही ला सकी। 1980 के बाद आज तक भारत को हॉकी में पदक की तलाश है। देखते हैं कि क्या टोक्यो फिर भारतीय हॉकी के लिए भाग्यशाली साबित होता है कि नहीं।

टोक्यो ओलंपिक खेल-2020

अगामी ओलंपिक खेल 24 जुलाई से 9 अगस्त तक जापान की राजधानी टोक्यो में खेले जाएँगे। देखा जाये तो ये खेल मात्र नौ माह दूर हैं। उम्मीद है कि इन खेलों में भारत अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजेगा। रियो ओलंपिक में भारत ने 117 प्रतिभागियों का दल भेजा था। टोक्यो ओलंपिक के लिए अब तक 60 भारतीय खिलाड़ी क्वालीफाई कर चुके हैं। पर निराशा की बात यह है कि एथलेटिक्स मेें अब तक केवल छ: एथलीट ही ओलंपिक स्तर को पा सके हैं। इनके अलावा सात-आठ बैंडमिंटन और कुछ टेबल टेनिस भी भाग लेने के लिए क्वाालीफाई कर जाएगा। भारत की कोशिश है अपने प्रदर्शन को सुधारना। पर हालात रियो के बाद से ज़्यादा नहीं बदले हैं। हालाँकि विश्व प्रतियोगिता में हमारे मुक्केबाज़ों, पहलवानों, बैडमिंटन खिलाडिय़ों और निशानेबाज़ों के प्रदर्शन ने कुछ उम्मीदें ज़रूर जगायी हैं। देश के खेल मंत्री ने बड़ी-बड़ी घोषणाएँ की हैं। उन्हें उम्मीद है कि 2028 के ओलंपिक में भारत शीर्ष 10 देशों में होगा।

इस बारे में कनाडा की मिसाल ली जा सकती है। रियो डी जेनेरियो में यह देश 20वें स्थान पर था। इसने वहाँ 314 एथलीट भेजे, जो 22 पदक लेकर लौटे। टोक्यो के लिए अब तक इसके 142 एथलीट क्वालिफाई कर चुके हैं। 1996 में जहाँ भारत को एक कांस्य पदक मिला, जो लिएंडर पेस लाये थे; वहाँ भारत के 49 एथलीट थे, जिन्होंने 13 खेल स्पर्धाओं में हिस्सा लिया। 2016 में हमारे 117 खिलाड़ी रियो गये 15 सपर्धाओं में भाग लिया और मात्र दो पदक जीते। भारत के उम्मीदें हमारे मुक्केबाज़ों और पहलवानों पर हैं। पर हम इन खेलों के विकास के प्रति अधिक गम्भीर नहीं हैं।

इतने ओलंपिक खेलों और 100 साल के बाद भी भारत तैराक पैदा नहीं कर पाया, जो पदकों की झड़ी लगा दे। भारत अब तक इन खेलों में कुल 28 पदक जीत पाया है, जिनमें से 11 पदक तो अकेले हॉकी में आये हैं। देश के पूर्व खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने लोक सभा में कहा था कि 2032 तक हम पदकों की संख्या 100 तक ले आएँगे। भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2012 के लंदन ओलंपिक कर रहा है, जहाँ हमने छ: पदक जीते थे।

तीरंदाज़ी

भारत को तीरंदाज़ी में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। हालाँकि 2016 के रियो ओलंपिक में हमारे तीरंदाज़ नहीं थे, पर जून में विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है। अतानु दास, तरुणदीप राय और प्रवीण जाधव की तिकड़ी ने नार्वे को 5-1 और कनाडा को 5-3 से हरा कर टोक्यो ओलंपिक के लिए अपनी जगह बना ली है। भारत की यह तिकड़ी 2005 के बाद फाइनल में पहुँचने वाली पहली टीम है। इसने सेमीफाइनल में नीदरलैंड्स टीम को पिछडऩे के बावजूद 29-28 से मात दी। फाइनल में में चीन से 2-6 से हारे पर रजत पदक जीत लाये। यहाँ भारतीय महिला टीम कुछ खास नहीं कर पायी, पर उसके पास अभी एशियाई प्रतियोगिता और जून, 2020 में ओलंपिक क्वालीफायर के द्वारा ओलंपिक में जाने का मौका है।

कुश्ती

इस स्पर्धा में एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट पहली पहलवान है, जिसने ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई किया है। उसने यह स्थान कज़ाकिस्तान के नूर सुलतान में हुई विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में हासिल किया, जहाँ उसने ओलंपिक खेलों की रजत पदक विजेता सारहा हिल्डब्रांडट को परास्त किया। फिर उसने यूनान की मारिया प्रीवोलारकी को 4-1 से हराकर कांस्य पदक जीता। इसके बजरंग पूनिया ने भी कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक में खेलने का अधिकार पाया। इसके बाद रवि कुमार दहिया भी ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर गया है। दीपक पूनिया के शानदार प्रदर्शन से उसे ओलंपिक खेलों में भाग लेने का अवसर मिला है। दीपक जूनियर वर्ग में भी स्वर्ण पदक जीत चुका है।

एथलेटिक्स

इस स्पर्धा में कभी किसी भारतीय ने कोई पदक नहीं जीता है। पी.टी. उषा और मिल्खा सिंह चौथे स्थान पर रहे। रंधावा पाँचवें और श्रीराम सिंह सातवें स्थान पर रह चुके हैं। पर पदक कोई नहीं जीत पाया है। इस बार भारत की दावेदारी 20 किलोमीटर पैदल चल के राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी केटी इरफान के ऊपर है। उसने नोमी (जापान) में आयोजित पैदल चाल मुकाबले के चौथा स्थान पाया था। उसने यह दूरी 1.20.57 (एक घंटा 20 मिनट और सत्तावन सेकेंड) में पूरी की। इसका ओलंपिक योग्यता स्तर 1.21.00 घंटे था। इसके अलावा 4 गुणा 400 मीटर की मिश्रित रिले टीम ओलंपिक जा सकती है। इसमें मोहम्मद अनास, विस्मय, कृष्णा मैथ्यू और नोअ निर्मल शामिल हैं।

3000 मीटर स्टीपलचेज भारत के अविनाश साबले ने विश्व एथलेटिक प्रतियोगिता में 8.21.37 मिनट का समय निकालकर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। इस स्पर्धा के लिए योग्यता स्तर 8.22.00 मिनट था।

निशानेबाज़ी

निशानबाज़ी में देश के 15 निशानेबाज़ पहले ही योग्यता स्तर पा चुके हैं। महिलाओं की 10 मीटर एयर रायफल मुकाबले में अंजुम मोदगिल और अपूर्वी चंदेला ओलंपिक में जाएगी। पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल में सौरभ चौधरी ने विश्व रिकॉर्ड तोड़ा है। इसके अलावा अभिषेक वर्मा ने भी क्वालीफाई कर लिया है। 10 मीटर एयर रायफल पुरुषों में दिव्यांग सिंह पंवार और दीपक कुमार ने टोक्यो का टिकट ले लिया है। 50 मीटर रायफल तीन पोजीराव (पुरुष) में संजीव राजपूत और ऐरवरी प्रताप सिंह तोमर ने अपना स्थान ओलंपिक के लिए पक्का कर लिया। स्कीट मे अंगदवीर सिंह और मैराज अहमद खान भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। महिलाओं के 25 मीटर पिस्टल मुकाबले में भारत की ओर से राही सरनोबत और चिंकी यादव भाग लेंगी। मीटर एयर पिस्टल (महिला) में मनू आकर और यशस्वनी सिंह दंसवाल ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। महिलाओं की 50 मीटर रायफल तीन पोजीशन में तेजस्वनी सावंत को ओलंपिक कोटा मिल गया है। इनके भारत की पुरुष और महिला हॉकी टीमें भी ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं।