झोपड़पट्टी का पक्का इलाज ढूँढा केरल सरकार ने

देश में जगह जगह बन रही झोपड़पट्टी का पक्का स्थाई इलाज केरल की वाम डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार ने ढूँढ लिया है। केरल सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों में झोपड़पट्टी को लेकर पेश आ रही समस्याओं का सर्वे करने के बाद प्रवासी मज़दूरों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएँ शुरु की हैं। जिसमें गत 23 फऱवरी को मुख्यमंत्री पी विजयन ने पलक्कड में ‘अपना घर’ प्रोजेक्ट का उद्धाटन कर मज़दूरों को सौंपा। यह प्रोजेक्ट भारत अर्थ मुवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) नामक फ़ैक्टरी के सामने स्थित है। इस भवन में लगभग 620 मज़दूरों के रहने की व्यवस्था की गई है। इस प्रोजेक्ट को बनाने में तीन वर्ष लगे हैं। ‘अपना घर’ प्रोजेक्ट में मज़दूरों को रहने के लिए खुले डुले 64 कमरे बनाकर किराए पर दिए जा रहे हैं। एक कमरे में 10 मज़दूरों के रहने की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक कमरे में प्रत्येक मज़दूर को एक लोहे का बैड और एक अलमारी की सुविधा दी गई है। यहाँ रहने वाले मज़दूरों को सिर्फ 800 रुपए महीना देने होंगे, परन्तु उन्हें बिजली, पानी और रसोई गैस की सुविधा मुफ़्त दी जा रही है। इतना ही नहीं मज़दूरों के खेलने के लिए बैडमिंटन कोर्ट और बालीवाल कोर्ट की भी सुविधा दी गई है। इस ‘अपना घर’ में 32 रसोई घर, 8 डैनिंग रुम और 96 बाथरूम आदि की सुविधा भी दी गई है।

केरल के श्रम और कौशल मंत्री टी पी रामाकृष्णन ने बताया कि यहाँ रहने वाले मज़दूरों को अपना खाना स्वंय बनाने के लिए 32 साँझे रसोई घर की व्यवस्था की गई है, जिसमें गैस चूल्हे लगे हुए हैं और पाईप लाईन से गैस की सप्लाई दी गई है। जिसके लिए उनसे कोई भी अतिरिक्त चार्ज वसूल नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पलक्कड में बने ‘अपना घर’ में 640 मज़दूर रह सकते हैं, परन्तु केरल के अन्य जिलों में बन रहे ‘अपना घर’ प्रोजेक्टों में एक एक हज़ार मज़दूरों के रहने की व्यवस्था की जा रही है।

श्रम और कौशल मंत्री टी पी रामाकृष्णन ने बताया कि जब भी कोई मज़दूर यहाँ से काम छोड़कर किसी अन्य जगह जाएगा या फिर इस भवन को छोडऩा चाहता है, तो जो भी मज़दूर प्रतिक्षा सूची में होगा, उसको वह वैड इश्यू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पलक्कड में ‘अपना घर’ प्रोजेक्ट में उद्घाटन से पहले ही सभी बैंड पहले ही फ़ुल हो चुके हैं और बहुत से मज़दूर प्रतिक्षा सूची में हैं। उन्होंने बताया कि यहाँ पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, ताकि किसी भी प्रकार के अपराध पर अंकुश लगाया जा सके और यहाँ रहने वाले मज़दूरों को सुरक्षा प्रदान की जा सके।

दूसरी ओर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ के प्रशासक वी पी सिंह बदनौर ने पिछले दिनों मलोया में रिहैबिलिटेशन स्कीम के तहत 100 अलाटियों को चाबियाँ दी। चंडीगढ में रिहैबिलिटेशन स्कीम के तहत 25,728 मकान बनने हैं, जबकि 17696 मकान बनाए जा चुके हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजऱ शेष मकान भी बहुत जल्द बनाकर देने का वायदा किया गया है, परन्तु इसके वाबजूद चंडीगढ में झोपड़पट्टी की समस्या समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही। इन घरों का मार्किट रेट 20-22 लाख रुपए हैं, जिस कारण ज़्यादातर मज़दूर इन घरों को लाखों रुपए में बेचकर फिर से झोपड़पट्टी बनाकर रहना शुरु कर देते हैं। और फिर अपने बच्चों के नाम पर मकान की डिमांड करना शुरु कर देते हैं। यह हाल तब है जबकि रिहैबिलिटेशन स्कीम के तहत मिले इन मकानों का मालिकाना हक़ इन मज़दूरों के पास नहीं है। इस लोकसभा चुनाव के मद्देनजऱ इन मज़दूरों ने अपनी नई माँग रखते हुए फैसला किया है कि इस बार उनका वोट उस उम्मीदवार को मिलेगा, जोकि उन्हें रिहैबिलिटेशन स्कीम के तहत मिले इन मकानों का मालिकाना हक़ दिलाने का वायदा करेगा। इतना ही नहीं यहाँ रहने वाले मकानों की लगभग 800 रुपए प्रति माह किराए पर दिए गए हैं, परन्तु यहाँ रहने वाले ज़्यादातर लोग यह किराया भी जमा नहीं करवा रहे, जिस कारण किराए की यह मामूली राशि बढ़कर करोड़ों में पहुँच गई है।

वोट और स्लम रिहैबिलिटेशन स्कीम का आपस में क्या रिश्ता है, इसको समझने के लिए यह काफ़ी है कि स्लम रिहैबिलिटेशन स्कीम के तहत चंडीगढ़ के गांव मलोया में मकान बन कर लगभग दो वर्ष से तैयार हैं, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लग चुका है लेकिन लोकसभा चुनाव में समय रहने के कारण ये खंडहर का रूप ले रहे थे। यहां के कई मकानों के शीशे शरारती तत्वों ने तोड़ दिए थे, कई दीवारों को भी खुरच दिया गया था, जबकि नशेडिय़ों के लिए ये आजकल नशा करने का सेफ अड्डा बन गया था। देश में चुनाव आचार संहिता लगने से कुछ ही समय पहले पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ के प्रशासक वी पी सिंह बदनौर ने मलोया में रिहैबिलिटेशन स्कीम के तहत 100 अलाटियों को चाबियाँ दी।