झारखण्ड की दीमक बन चुका भ्रष्टाचार

जनवरी, 2022 में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गयी थी, जिस में भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक (सीपीआई) 2021 में 180 देशों की सूची में भारत 85वाँ स्थान पर था।
इसमें राज्यों में व्याप्त भ्रष्टाचार का तो पता नहीं चला; लेकिन इंडिया करप्शन सर्वे-2019 में आठ सबसे भ्रष्ट राज्यों की सूची में झारखण्ड देश भर में तीसरे स्थान पर था। देश के राजनीतिक ननक़्शे पर 15 नवंबर, 2000 को 28वें राज्य के रूप में जब झारखण्ड का उदय हुआ था, तब किसी को इस बात का भरोसा नहीं होगा कि निश्छल और संवेदनशील संस्कृति के समाज वाला यह प्रदेश बहुत जल्द भ्रष्टाचार की नयी परिभाषा गढ़ेगा। देश में इसकी चर्चा खनिज सम्पदा के साथ भ्रष्टाचार के कारण भी होगी। झारखण्ड को राजनीति के चतुर खिलाडिय़ों, सत्ता प्रतिष्ठान के चाटुकार नौकरशाहों और पैसा कमाने की अंधाधुंध होड़ में लगे लोगों ने जमकर लूटा और हर दिन यहाँ भ्रष्टाचार के नये क़िस्से सामने आने लगे। ऐसा ही एक मामला आईएएस पूजा सिंघल का इन दिनों फिर झारखण्ड से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक चर्चा में है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जब मनरेगा घोटाले में आईएएस पूजा सिंघल पर शिकंजा कसा, गिरफ़्तार किया और रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की, तो चौंकाने वाले ख़ुलासे सामने आने लगे। मामला मनरेगा घोटाला तक ही सीमित नहीं रहा। ईडी के जाँच की दिशा ही बदलकर रख दी।

अब मनी लॉड्रिंग और अवैध खनन भी इसमें शामिल हो गया है। राज्य के कई नौकरशाह इसकी ज़द में आने लगे हैं। ईडी की पूजा सिंघल से पूछताछ जारी है। पूछताछ का दायरा बढ़ गया। कई अन्य लोगों को भी तलब किया जा रहा है। हर दिन नये-नये ख़ुलासे हो रहे हैं। ईडी सूत्रों की मानें, तो अब तक जो सुबूत और दस्तावेज़ हाथ लगे हैं, जो सार्वजनिक हुए तो हडक़ंप मच जाएगा।

ख़ैर, इस जाँच का पराभव क्या होगा? कौन नेता और कौन नौकरशाह इसकी ज़द में आएँगे? यह तो अभी गर्भ में छिपा है; लेकिन जितनी मुँह उतनी बात चल रही। साथ ही झारखण्ड एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में है।
14 वर्ष बाद कसा शिकंजा आईएएस पूजा सिंघल पर ईडी की दबिश मनरेगा घोटाला को लेकर हुई। यह मामला 14 वर्ष पुराना है। वर्ष 2008-09 और 2009-10 में झारखण्ड के खूँटी ज़िला में मनरेगा घोटाला हुआ था। पूजा सिंघल इस दौरान खूँटी की उपायुक्त (डीसी) थीं। पूजा पर आरोप था कि उन्होंने एक इंजीनियर को 18.06 करोड़ रुपये अग्रिम दिये थे। वर्ष 2011 में खूँटी और अडक़ी थाना में इंजीनियर राम विनोद सिन्हा और आर.के. जैन के ख़िलाफ़ मामला दर्ज हुआ। जुलाई, 2011 में मामला निगरानी के पास गया। 18 मई, 2012 को ईडी ने मनरेगा घोटाले में प्राथमिकी दर्ज की थी। इंजीनियर विनोद सिन्हा ने मनरेगा में 20 फ़ीसदी कमीशन की बात स्वीकारी। यहीं से आईएएस पूजा सिंघल ईडी के राडार में आयीं। ईडी ने 6 मई, 2022 को पूजा सिंघल और उनके क़रीबियों के यहाँ छापा मारा।

19.31 करोड़ की नक़दी!

पूजा सिंघल मामले में अभी तक तीन मुख्य किरदार सामने आये हैं। एक ख़ुद पूजा, दूसरे उनके पति अभिषेक झा और तीसरा चार्टेड अकाउंटेंट (सीए) सुमन कुमार। ईडी ने 6 मई को झारखण्ड समेत पाँच राज्यों के 23 ठिकानों पर पूजा सिंघल और उनके क़रीबियों पर एक साथ छापा मारा था। इस दौरान पूजा के सीए सुमन कुमार के घर से 17.60 करोड़ रुपये मिले। वहीं अन्य जगहों से 1.71 करोड़ रुपये बरामद हुए। यानी छापेमारी में कुल 19.31 करोड़ रुपये ज़ब्त किये गये। इतनी बड़ी नक़दी मिलना सभी को चौंकाने वाला था। इसके अलावा ईडी को निवेश और शेल कम्पनियों से जुड़े अहम दस्तावेज़ भी हाथ लगे। सुमन कुमार को तत्काल गिरफ़्तार कर लिया गया और अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया गया। वहीं पूजा और अभिषेक से ईडी कार्यालय बुलाकर पूछताछ शुरू हुई। प्राप्त दस्तावेज़ और पूछताछ ने मनरेगा जाँच के मुँह को अवैध खनन और मनी लॉड्रिंग की तरफ़ मोड़ दिया। तीन दिन बाद ईडी ने पूजा सिंघल को भी गिरफ़्तार कर लिया और पूछताछ के लिए रिमांड पर ले लिया। पूजा सिंघल की गिरफ़्तारी के बाद राज्य सरकार ने क़दम उठाते हुए उन्हें निलंबित किया।

परत-दर-परत खुल रहे राज़

ईडी ने सीए सुमन कुमार को दो बार रिमांड पर लेने के बाद जेल भेज दिया है। पूजा सिंघल 25 मई तक रिमांड पर हैं। इसके बाद उन्हें जेल भेजा जा सकता है। अभिषेक झा को लगभग हर दिन पूछताछ के लिए ईडी कार्यालय बुलाया जा रहा है। तीनों मुख्य किरदार पूजा, अभिषेक और सुमन से पूछताछ और प्राप्त दस्तावेज़ ने के बाद जाँच का दयरा बढऩे लगा है।

ईडी ने दुमका, साहिबगंज, रांची समेत कई ज़िलों के खनन अधिकारियों (ज़िला खनन पदाधिकारी) को तलब किया और उनसे पूछताछ की। रिश्वत लेने की बात सामने आयी। शेल कम्पनियों का ख़ुलासा हुआ है। पूजा के पति अभिषेक झा को पल्स अस्पताल के लिए ज़मीन मुहैया कराने वाले बिल्डर के यहाँ ईडी छापा मार चुकी है। बिल्डर से भी पूछताछ हुई थी।

शेल कम्पनियों का तार कोलकाता से जुड़ा रहा। वहाँ भी दबिश बढ़ायी जा रही है। रिश्वत, मनी लॉड्रिंग और अवैध खनन तीनों के पुख़्ता सुबूत सामने आ रहे हैं। मामले की गम्भीरता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि ईडी ने न्यायालय में एक सील बन्द लिफ़ाफ़ा सौंपा है, जिसमें अब तक की जाँच के बारे में जानकारी दी गयी है। हालाँकि कोर्ट में हेमंत सोरेन और उनके परिवार के ख़िलाफ़ दायर पीआइएल पर सुनवाई चल रही थी। यानी यह बात साफ़ है कि पूजा सिंघल का मामला केवल मनरेगा घोटाले तक ही सीमित नहीं रह गया है।

चौंकाने वाले तथ्य आ रहे सामने

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ख़ुद लिए माइंस और परिवार में आय से अधिक सम्पत्ति का मामला झारखण्ड उच्च न्यायालय में चल रहा है। पीआईएल के ज़रिये सीबीआई जाँच की माँग की गयी है। इस दौरान सरकार की तरफ़ से सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी कर दी गयी है। इसमें न्यायालय जो फ़ैसला ले; लेकिन पूजा सिंघल के कारण इसमें भी ईडी की इंट्री हो चुकी है। हेमंत सोरेन के ख़िलाफ़ पीआईएल पर सुनवाई के दौरान ईडी ने न्यायालय में कहा कि पूजा सिंघल मामले में अभी कार्रवाई चल रही है। पूछताछ और जाँच जारी है। अवैध माइनिंग और शेल कम्पनियों से जुड़े कई तथ्य हाथ लगे हैं, जो चौंकाने वाले हैं। ईडी के इस बयान से यह संकेत तो मिल ही रहा है कि पूजा सिंघल का मामला दूर तलक जाएगा और इसकी ज़द में कई नेता और अधिकारी आने वाले हैं।

महत्त्वाकांक्षी रही हैं पूजा

पूजा सिंघल भारतीय प्रशासनिक सेवा की 2000 बैच की झारखण्ड काडर की आईएएस अधिकारी है। उन्हें भारत में सबसे कम उम्र में (21 साल) आईएएस बनने का गौरव हासिल है। इनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स में दर्ज है। पूजा सिंघल ने दो शादियाँ की हैं। उनके पहले पति झारखण्ड काडर के आईएएस अधिकारी राहुल पुरवार हैं। उनसे 12 साल पहले उनका तलाक़ हो गया था।

पूजा सिंघल ने दूसरी शादी बिहार के रहने वाले बिजनेसमैन अभिषेक झा से की है। जो राँची में पल्स हॉस्पिटल के एमडी हैं। वह शुरू से महत्त्वाकांक्षी रही हैं। सत्ता के इर्द-गिर्द रहने की चाहत रही है। यही कारण है कि राज्य में पूर्व की रघुवर सरकार हो या फिर मौज़ूदा हेमंत सोरेन सरकार, पूजा का जलवा बरक़रार रहा है। बेहतरीन (लैविस लाइफ) ज़िन्दगी जीना। उनकी फ़ितरत रही है।

विवादों से रहा है नाता

पूजा सिंघल क़रीब 20 साल से झारखण्ड में अलग-अलग पदों पर रहकर अपनी सेवा दे रही हैं। चतरा, गढ़वा, खूँटी, पलामू आदि ज़िलों में पूजा सिंघल डीसी रह चुकी हैं। इसके बाद उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण विभागों में सचिव की अहम ज़िम्मेदारी भी निभायी है।
इस दौरान पूजा पर भ्रष्टाचार, कमीशनख़ोरी के कई संगीन आरोप भी लगे। लेकिन तमाम जाँचों के बावजूद सरकार ने उन्हें क्ली‍न चिट दे दी। मनरेगा घोटाले में भी विभागीय जाँच में उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है। मौज़ूदा समय में वह उद्योग एवं खान विभाग की सचिव थीं।

गहरी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें

भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी और मज़बूत है कि इसे उखाडऩा काफ़ी मुश्किल है। प्रेमचंद की एक कहानी ‘नमक का दारोग़ा’ याद आती है, जिसमें नौकरी के लिए निकलते पुत्र को अनुभवी पिता ने कहा था कि ‘ऐसा काम ढूँढना जहाँ कुछ ऊपरी आय (आमदनी) हो। क्योंकि वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है, जो महीने में एक बार दिखता है…।’ लगता है झारखण्ड में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों ने कहानी के इस हिस्से को गाँठ बाँध लिया है। हालाँकि ‘नमक का दारोग़ा’ के दूसरे हिस्से में जिस ईमानदारी को दिखाया गया, वैसे भी कुछ अधिकारी हैं; लेकिन इनकी गिनती बहुत कम है। अगर ऐसा नहीं होता, तो पूजा सिंघल जैसी अधिकारी नहीं होतीं। खनन मामले में ज़िला से मुख्यलय तक रिश्वत पहुँचाने की बात खुल कर सामने नहीं आतीं। अनुज गर्ग की पुस्तक ‘खुली किताब’ की भी एक बारगी याद आती है, जिसमें उन्होंने सरकारी दफ़्तरों में भ्रष्टाचार का ज़िक्र किया है। कहा गया है कि अभागे हैं, वे जो रिश्वत को समाजविरोधी बताते हैं। अरे रिश्वत तो वह सम्पर्क सूत्र है, जो खड़ूस-से-खड़ूस अफ़सर को विनम्रता की शैली सिखाता है। यह एक सीमा तक सही भी लगता है। क्योंकि झारखण्ड में संस्थागत तरीक़े से भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर तक व्याप्त हो चुका है। झारखण्ड में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा से लेकर कई नेताओं के दामन काले हो चुके हैं। इनकी फ़ेहरिस्त और कहानी इतनी लम्बी है कि एक पूरी किताब लिखी जा सकती है। यही कारण है कि राष्ट्रीय स्तर पर खनिज सम्पदा के बराबर में भ्रष्टाचार ने झारखण्ड को विख्यात बना दिया है। इसके लिए सरकारी व्यवस्था के साथ-साथ नौकरशाह भी उतना ही ज़िम्मेदार है। अफ़सोस यह है कि भ्रष्टाचार की ज़द में नौकरशाह बहुत कम आये हैं। झारखण्ड बनने के बाद एक-दो गिने चुने आईएएस-आईपीएस के कारनामे उजागर हुए और उन्हें सज़ा मिली। जबकि हक़ीक़त यह है कि कई आईएएस अधिकारियों के दामन पाक-साफ़ नहीं हैं। यही वजह है कि राजभवन ने 11 भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों की सूची तैयार कर केंद्र को उपलब्ध कराया था और वह सभी जाँच एजेंसियों के राडार पर हैं। अब देखना है कि झारखण्ड कितने भ्रष्टाचारियों को सज़ा दिलाकर अपना दामन साफ़ करने का प्रयास करता है।

सिंघल-घोटाले के पर्दाफ़ाश का घटनाक्रम

 जुलाई, 2011 में सम्बन्धित मामला निगरानी में दर्ज हुआ था।
 18 मई, 2012 को ईडी ने मनरेगा घोटाले में प्राथमिकी दर्ज की थी।
 28 नवंबर, 2018 को इंजीनियर ने मनरेगा में 20 फ़ीसदी कमीशन देने की बात स्वीकारी।
 06 मई, 2022 को ईडी ने पूजा सिंघल सहित अन्य लोगों के ठिकानों पर छापा मारा।
 07 मई, 2022 को सीए सुमन कुमार सिंह को गिरफ़्तार किया गया।
 08 मई, 2022 को ईडी ने पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा से पूछताछ की।
 10 मई, 2022 को पूजा सिंघल से ईडी ने पूछताछ की।
 11 मई, 2022 को पूजा सिंघल को गिरफ़्तार कर लिया गया।
 11 मई, 2022 को ही पूजा सिंघल को ईडी ने पाँच दिन के रिमांड पर लिया।
 12 मई, 2022 को पूजा सिंघल को सस्पेंड कर दिया गया।
 16 मई, 2022 को पूजा सिंगल की रिमांड अवधि चार दिन के लिए बढ़ी।
 20 मई, 2022 को पूजा सिंघल की रिमांड पाँच दिनों के लिए और बढ़ा दी गयी।
 20 मई, 2022 को सीए सुमन कुमार सिंह को होटवार जेल भेज दिया गया।

पहले भी हो चुका है बड़ा घोटाला

झारखण्ड एक बार 2009 में तब चर्चा में आया था, जब कोयला घोटाले का ख़ुलासा हुआ था। यह घोटाला झरखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के समय में हुआ था। मधु कोड़ा पर कोलकाता की विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटिड (विसुल) को कोल ब्लॉक देने का षड्यंत्र रचने का आरोप था। इस मामले में उनके दो सहयोगी राज्य के मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु और एक अन्य का नाम भी शामिल था। राज्य की पुलिस की जाँच शाखा ने 30 नवंबर, 2009 को कोड़ा को गिरफ़्तार किया था। लेकिन 31 जुलाई 2013 को उन्हें जमानत मिल गयी।
कोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने अवैध कोल ब्लॉक आवंटन में 5,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। साल 2013 में ईडी ने कोड़ा की 144 करोड़ की सम्पत्ति को अटैच किया था। मज़दूर से माननीय बनने वाले कोड़ा के अरबपति बनने की कहानी भी दिलचस्प और चौंकाने वाली है।