झज्जर में कोरोना और जनता के बीच रक्षा कवच बन गया है ‘ठीकरी पहरा’

हरियाणा में झज्जर एक ऐसा जिला है, जहां लोग कोविड-१९ विषाणु से बचे हुए हैं। कोरोना के मामले में संवेदनशील राजधानी दिल्ली के निकट होने के बावजूद झज्जर जिले में अभी तक एक भी कोरोना पॉजिटिव मामला सामने नहीं आया है। इसका सबसे बड़ा कारण है आपसी दूरी बनाये रखने के लिए स्थानीय स्तर पर बनाया गया आत्म अनुशासन है जो ‘ठीकरी पहरा” के कारण संभव हुआ है। ठीकरी पहरा की यह परंपरा सदियों से वहां चल रही है।

स्थानीय लोगों ने तालाबंदी के दौरान अनुशासन के साथ संयुक्त रूप से पहले चरण के दौरान जिला प्रशासन की प्रभावी व्यवस्था के साथ संयम और आत्म-नियंत्रण का परिचय दिया है। इसके परिणामस्वरूप एक भी कोरोना वायरस का मामला झज्जर में नहीं है।

हरियाणा सरकार के एक प्रवक्ता के मुताबिक दिल्ली के निकट होने के बावजूद, जिसे कोरोना वायरस के मामलों में संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, झज्जर जिले में अभी तक एक भी कोरोना पॉजिटिव मामला नहीं है। जनसाधारण की जागरूकता और संवेदनशीलता ने भी इसे रोकने में अहम भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने २२ मार्च को जिस ”जनता कर्फ्यू” का आह्वान किया वह हरियाणा और खासकर पुराने रोहतक जिले में ”ठीकरी पहरे” के रूप में सदियों से एक परम्परा के रूप में जारी है।

उन्होंने बताया कि ठीकरी पहरे लगाने की इस परम्परा और कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में स्थानीय प्रशासन की दूरगामी पहल ने जिले में सुरक्षा कवच का रोल अदा किया है। जिला प्रशासन ने सभी किरयाने की दुकानों, सब्जी की दुकानों, रेहड़ीवालों और दूध वितरकों की पहचान कर उन्हें पंजीकृत किया है और पास जारी किए हैं। उनकी मैपिंग करके हर घर में उनके मोबाइल नंबर पहुंचाए गए।

प्रवक्ता के मुताबिक पूरे जिले के किरयाना और सब्जी विक्रेताओं को ३०६ समूहों में बांटा गया और उनकी गतिविधि कम करने के लिए सामूहिक वाहन पास जारी किए गए। जिला प्रशासन ने जिले में करीब ६५,००० श्रमिकों और ५६,००० ईंट-भट्ठा मजदूरों का पहले ही सर्वे करवा लिया गया था जिसके चलते उसे इन श्रमिकों को नियंत्रित करने और गैर-सरकारी संगठनों और रेडक्रॉस के माध्यम से इन तक खाद्य सामग्री पहुंचाने में सुविधा रही।

जिला प्रशासन ने आम आदमी के लिए झज्जर और बहादुरगढ़, दोनों शहरों में मुख्य सब्जी मंडी को बंद कर दिया है ताकि ज्यादा लोगों को इकट्ठा होने से रोका जा सके। प्रवक्ता ने बताया कि लोगों का आवागमन अन्य राज्यों अथवा जिलों में न हो, इसके लिए जिला झज्जर की सभी सीमाएं सील की गई हैं। लॉकडाउन के उचित क्रियान्वयन के लिए जिल के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक कुल ७५ नाके लगाए गए हैं। वहीं सभी थाना एसएचओ सहित ७५ पीसीआर और राइडर नियमित तौर पर दिन-रात गश्तऔर पैट्रोलिंग कर रहे हैं।

लॉकडाउन के पहले चरण में प्रवासी श्रमिकों को ठहराने के लिए झज्जर जिले के झज्जर, बेरी, बहादुरगढ़ व बादली में कुल २४ शेल्टर होम्स में बच्चों और महिलाओं सहित करीब १२०० श्रमिक हैं। प्रशासन की निगरानी में सामाजिक और धार्मिक संगठनों के माध्यम से इन शैल्टर होम्स और अन्य जरूरतमंद लोगों को करीब साढ़े तीन लाख फूड पैकेट वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही, अब तक करीब ३००० परिवारों तक को साप्ताहिक राशन सामग्री उपलब्ध कराई गई है।

जिले में आपसी दूरी बनाए रखते हुए किरयाने और फल-सब्जियों की दुकानें सुबह सात से १० बजे और शाम को चार से सात बजे तक खोला जा रहा है। दवाई दुकानें  दिनभर और रात्रि के समय शैड्यूल अनुसार खुली रखी जा रही हैं।