जिस्म, जलवा और महाठगी

वक्त गुज़रा जब अमरीकी लेखिका नाओमी वुल्फ ने अपनी पुस्तक ‘द ब्यूटी मिथ’ में लिखा था कि अश्लील साहित्य और सौन्दर्य बाज़ार महिलाओं के जीवन में दर्द, अपराध बोध और शर्म का अहसास फिर से लाएगा। लेकिन क्या ऐसा हो सका? इसके विपरीत लेखिका शेफाली वासुदेव की मानें तो, ‘भारत की मॉल संस्कृति में फल-फूल रहा सौंदर्य बाज़ार दो नितांत भिन्न मूल्यों खूबसूरती और सेक्सुअलिटी ज़बरदस्ती भर रहा है। गीली और चमकदार लिपिस्टिक के ज़रिये जो महिलाओं के होंठों के आकार की है, अधखुले आमंत्रण देते होंठ, वह इसी रूप में बेची जा रही है। लेकिन इसकी शैतानी तड़प ने कामुकता के टके खड़े करने की एक ऐसी टकसाल खड़ी कर दी है, जिसने यौन सम्बन्धों को जबरन थोपकर भद्रलोक में ज़बरदस्त खौफ पैदा कर दिया है। दुष्कर्म का यह मकडज़ाल राजस्थान में राकेट की रफ्तार से बढ़ रही है। हर घटना के कथा सूत्र हर बार नये सिरे से खुलते हैं और ‘रसूखदारों’ की आबरू, दौलत और प्रतिष्ठा केा निगलते चले जाते हैं।

देह को टकसाल बनाकर नामचीन लोगों की लम्पटता भुनाने का कारोबार जयपुर में पूरे जलाल पर है। आधुनिकता के नाम पर चौंधियाते चेहरों की ओट में लालच और जालसाज़ी की काली दुनिया उसाँसे भर रही है। हॉट रिश्तों का यह हैरतअंगेज़ खेल जीते जी लोगों को सूली पर चढ़ा रहा है। खूबसूरती की डोर में खिंचे चले आने वाले लोगों को इसका डरावना चेहरा नज़र आता है, तो उनके होश फाख्ता हो जाते हैं। इस चक्रव्यूह में भुनगे की तरह फँसने वालों की मुक्ति ढेरों दौलत और सम्पत्ति गँवाने के बाद ही होती है। रमणियों का आमंत्रण जितना लुभावना होता है, पैकेज उतना ही •यादा। अपराध की नयी पटकथा लिखने वाली रमणियों की यह नई सा•िाश है, जो इसी में जन्नत देखती है। कोए की तरह ‘कनिंग’ बाज़ार में ‘सोने के हिरण’ फाँसने का यह खेल तीन लफ्ज़ों द्वारा खेला जा रहा है- आई लव यू! आशिकी के आमंत्रण की इस कॉकटेल में लोग फँसते ही फँसते हैं। प्रिया सेठ का िकरदार दो कदम आगे निकला। प्रिया ने पहले दुष्यंत नामक धनी-मानी युवक को अपने हुस्न की दौलत से लुभाया और ऐसा मंतर फेरा कि उसकी धडक़न और ख्वाबों से जुड़ गयी। शिकार आखेट के लिए तैयार हो गया, तो जिस्मानी रिश्ते बनाकर क्लीपिंग बनाने में कहाँ देर थी? करीब सात लाख रुपये झटकने के बाद भी उसके तका•ो नहीं थमे। दुष्यंत ने हाथ झाड़े तो प्रिया ने उसका अपहरण कर उसके परिवार से 10 लाख की िफरोती माँग ली। इससे पहले कि परिवार रकम का बंदोबस्त करता, बेसब्र हुई प्रिया ने दुष्यंत का कत्ल कर लाश आमेर रोड पर फेंक दी। प्रिया ने इस पूरी वारदात को डेटिंग एप ट्विटर के ज़रिये अंजाम दिया। प्रिया का यह कोई पहला अपराध नहीं था। लेकिन हर बार बच जाने से बढ़ता हुआ हौसला था। राजस्थान के पाली शहर के सेठ परिवार ने बेटी प्रिया को पढऩे के लिए जयपुर भेजा था। लेकिन उसने मौज़-मस्ती के लिए अपराधों के परनाले में जुस्त लगा ली। अपने को सँवारने के लिए हर महीने डेढ़ लाख खर्च करने वाली प्रिया महँगे परफ्यूम सिगरेट और विदेशी शराब की दीवानी है। पुलिस गिरफ्त में भी वो बेधडक़ कहती है- ‘मैं लेडी डॉन बनना चाहती हूँ।’ अपने किये का उसे कोई पछतावा नहीं है। वो कहती है- ‘मेरे पास आते ही बदनीयत लोग हैं, ऐसे लोगों को ठगने में क्या बुराई है।’

जयपुर में देह-व्यापार की परम्परागत मंडियाँ बेशक खत्म हो गयीं। लेकिन उनकी जगह जो नया बाज़ार उग आया है। बेशक वो मंडी की तरह नहीं है। बल्कि मोबाइल, फोन, सोशल मीडिया और ट्विटर एप उसका ज़रिया बन गये हैं। दौलत उलीचने की इस जल्वागिरी का ताज़ा शिकार कोई एक पखवाड़े पहले जयपुर का सोलर प्लांट व्यवसायी हुआ। दुष्कर्म की डाल पर बिठाकर अनुराधा नामक लडक़ी उससे साढ़े 6 करोड़ निचोड़ चुकी, तब भी सिलसिला खत्म नहीं हुआ। वो 15 लाख और वसूलने पर अड़ी हुई थी। आिखर व्यवसायी पुलिस की शरण में पहुँचा। नतीजतन पुलिस ने जाल बिछाया और व्यवसायी से साढ़े आठ लाख की नकदी लेते गिरफ्तार कर लिया।

इस खूबसूरत गैंग में अनुराधा की माँ मौली भी शामिल है, तो केयर टेकर चिंकी भी। चिंकी चक्रव्यूह का अहम िकरदार है, जो खुद को मानवाधिकार आयोग का सदस्य बताकर ‘शिकार’ को फोन करती है और समझौते के लिए दबाव बनाती है। इस गिरोह का यह पहला पड़ाव ही नहीं है। दिल्ली में इस गिरोह पर ठगी के पाँच मामले पहले ही दर्ज है। अनुराधा की माँ मोली तो गोवा के एक हत्याकांड की अभियुक्त भी है। प्यार के पङ्क्षरदों में पिरोयी गयी तथाकथित प्रेम-कथाओं का असली चेहरा बेहद चौंकाने वाला है। एसओजी ने पिछले दिनों रसूखदार लोगों से युवतियों की दोस्ती कराने और बाद में दुष्कर्म के मामलों में फँसाकर करोड़ों वसूलने वाला ऐसा गिरोह पकड़ा है। जिसमें वकील और मीडियाकर्मी शामिल थे, जो पुलिस के फंदे में फंसे तब तक नव कुबेरों से 15 करोड़ की रकम ऐंठ चुके थे।

फरेब के इस फलक पर अफसाना बने माणक चौक थाने के एसीपी आशीष प्रभाकर की दास्तान तेा हैरान करती है। विषकन्या पूनम के जाल में फँसकर उसे कोसते हुए आत्महत्या करने वाले प्रभाकर का हर लफ्ज़ पछतावे की आग में झुलसने वाला था- ‘कितना बेवकूफ था मैं कि अपने रुतबे और हैसियत को भुला बैठा और अपनी •िाम्मेदारियों से किनारा कर बैठा, ताकि तुम्हारे चेहरे पर खिलते गुलाबों का नजारा कर सकूँ। लेकिन इस बात से बेखबर हो गया कि तुम तो खुदगर्जी के काँटो में लिपटा हुआ साँप हो। तुमने मुझे ब्लेकमेल करने की कोशिश की। महकमे की बड़ी शिख्सयत था मैं। इंडियन मुजाहिदीन मोडयूल सरीखे खतरनाक तंत्र को तोडऩे वाला पुलिस अफसर आशीष प्रभाकर पूँछ दबाकर खड़े रहने वालों कुत्तों के रहमोकरम पर आ गया! सारा मर्तबा धूल में मिल गया, लानत है मुझ पर जो तुझ जैसी हर्राफा औरतों के फेर में आकर अपनी मर्यादा भूल बैठा। अपने परिवार से दगा कर बैठा ….आत्महत्या से पहले पूनम को गोली मारने वाले प्रभाकर ने अपने सुसाइड नोट में साफ लिखा कि वह अफसरों को अपनी सुंदरता के जाल में फँसाती थी। अपने साथियों के साथ मिलकर वह मुझे भी ब्लेकमेल कर रही थी। पुलिस अफसर हेाने के नाते मैंने उसे सज़ा दे दी…. ऐसे मामलों में समाज शास्त्रियों की प्रतिक्रिया भी चौंकाने वाली है कि सैक्स की अनैतिक कामना का अंत हिंसा से ही होता है। एक बड़े पुलिस अधिकारी का कहना है कि पुलिस तंत्र इनका लाक्षणिक इलाज तो कर सकता है, लेकिन अपने उफनते खुमार पर ढक्कन तो रईसज़ादों को खुद ही लगाना होगा।

अपने पेशे में अव्वल वैशाली नगर में मेडिस्पा हैयर ट्रंासप्लांट चलाने वाले डॉ. सोनी भला कैसे जुल्फों के जाल में फँस गये? सूत्रों का कहना है कि हेयर ट्रांसप्लांट के दौरान चित्रा नामक युवती ने देह के दिलकश नज़ारे क्या दिखाये कि डॉ. सोनी मंत्रमुग्ध से उसके साथ पुष्कर चले गये। चित्रा ने अपने साथियों की मदद से बेडरूम के हाहाकारी क्लीपिंग बनाकर दुष्कर्म की धमकी देकर डॉ. सोनी के होश उड़ा दिये। 75 दिन जेल के सींखचों के पीछे बिता देने के बाद डॉ. सोनी की मुक्ति तभी हुई, जब कोर्ट में बयान बदलने की सौदेबाज़ी में चित्रा को डेढ़ करोड़ अदा किये। दिलचस्प बात है कि शहर की सुर्ख उपलब्धियों को स्याह करने वाली इन बदरंग कथाओं की नायिकाओं पर लाठी घुमाने का काम न तो नारीवादी संगठन कर रहे हैं और न ही नैतिकता की दुहाई देने वाले संगठन?

कोई औरत इस कदर दुस्साहसी बोल बोल सकती है कि यार कोई मंत्री फँसे? ऐसा कोई मंतर बता? •िान्दगी का असली मज़ा तभी आएगा।’ चंचल नाम की युवती के कब्•ो से पुलिस ने कई ऑडियो-वीडियो और क्लीपिंग्स बरामद किये है, जो भोग-विलास के ज़ुबानी और बैडरूम के कच्चे चिट्ठे हैं। चंचल के बेखौफ बोल बुरी तरह झुलसाते हैं- ‘रसूखदार लेागों को फँसाने के लिए मैं तांत्रिकों की मदद लेती थी। उनके द्वारा दिये गये अभिमंत्रित जल को मैं किसी-न-किसी बहाने उन्हें पिला देती….फिर वो मेरे रूपजाल में फँसते ही फँसते हैं।’  चंचल का कारोबार भी यही था कि रसूखदार मर्दों को फँसाओं और उनके साथ रूमानी बातों की रिकाॄडग कर ब्लेकमेल करो। अपने शिकारों को सेक्सुअल बातों से उकसाने और उन्हें बिस्तर तक ले जाने में उसे महारत हासिल थी।

नायब तहसीलदार संदीप उसकी देह को नापने के खेल में नहीं फँसा, इससे उलट उसने ही चंचल के कारोबार में सेंध लगा दी। नतीजतन संदीप ने ब्लेकमेल की रकम लेते हुए चंचल और उसकी मददगार प्राची को ंरगे हाथों पकड़वा दिया। गुनाह के गलियारों में आशिकी का जाल फेंकने की कोशिश में एनआरआई युवती रवनीत कौर पकड़ी गयी, तो उसने यह कहकर पुलिस को चौंका दिया कि पिछले एक साल में मैंने सात रईसज़ादों को फँसाया और उनसे चार करोड़ की रकम ऐंठ ली। अपराधों की गटरगंगा की तैराक युवतियों के लिए निस्संदेह यह कमाई का आसान जरिया है। लेकिन यह भी सच है कि ‘देह के दलदल में दिलेरी का यह खेल खतरनाक सरहदों को पार कर चुका है।