ज़्यादातर लोग नाम बदलने के विरोधी

शिमला, उत्तर प्रदेश और अन्य प्रदेशों में जगह के नाम बदलने की कवायद के बीच पहाड़ी सूबे हिमाचल की राजधानी शिमला का नाम बदलने की भी चर्चा है। यह अलग बात है कि ज़्यादातर लोगों ने शिमला का नाम बदलकर श्यामला रखने का विरोध किया है।

भाजपा सरकार की तरफ से औपचारिक तौर पर यह नाम बदलने की कोई घोषणा तो नहीं हुई, भाजपा के ही लोगों ने इसे हवा दी है। मीडिया में अपने बयानों में भाजपा के लोग शिमला का नाम श्यामला करने का समर्थन कर रहे हैं। इसके आलावा बिलासपुर का नाम ब्यासपुर करने की भी बात वे कर रहे हैं।

चूँकि भाजपा की सरकारें दूसरे प्रदेशों में भी इस तरह की कवायद कर रही हैं, हिमाचल में भी भाजपा की सरकार होने के कारण लोगों में इसे लेकर चर्चा है। अभी तक जो कुछ सामने आया है उससे तो यही लगता है यह नाम बदलने का लोग जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। ‘तहलका’ ने लोगों से इस मसले पर उनकी राय जानने के लिए उनसे बात की। दिलचस्प यह है कि शिमला में तो ज़्यादातर निगम पार्षद ही इसका विरोध कर रहे हैं। पार्षद कमलेश मेहता ने कहा शिमला नाम दुनिया भर में मशहूर है। शिमला ही हिमाचल की पहचान है। ‘यदि यह नाम बदला जाता है तो दोबारा इसकी पहचान नए नाम से बनाने में सालों लग जाएंगे’।

शिमला के पुराने बस अड्डे के पास पिछले 17 साल से मज़दूरी कर रहे अब्दुल ने कहा कि शिमला बहुत प्यारा नाम है। इसे बदला नहीं जाना चाहिए। मूल रूप कश्मीर के बारामुल्ला के रहने वाले अब्दुल ने कहा – ‘शिमला पर्यटक स्थल है। नाम बदला तो इसका नुकसान होगा। फिल्मों में भी शिमला ही मशहूर है’।

शिमला की ढली सब्जी मंडी में काम करने वाले राम सिंह राक्टा ने कहा कि शिमला का नाम बदलने की जगह भाजपा सरकार को विकास के कामों पर फोकस करना चाहिए। ‘यदि नाम बदला जाता है तो इसका यहाँ के टूरिस्म पर बुरा असर पडेगा। मुझे तो लगता है शिमला का नाम बदलने के पीछे कोई षडय़ंत्र है’।

पार्षद दिवाकर देव ने कहा कि जिस तरह इलाहबाद का नाम बदलकर करोड़ों खर्च हो गए वैसे ही शिमला का नाम बदलने पर भी होगा। बेहतर होगा यह पैसा विकास में खर्च किया जाए। ‘हिमाचल की आर्थिक हालत अच्छी नहीं और हम पर 50,000 करोड़ का कर्ज चढ़ा हुआ है’।

गृहिणी सलोचना सूद ने कहा कि शिमला एक ऐतिहासिक नाम है। ‘शिमला समझौता’ ऐतिहासिक है। ‘क्या आप यह नाम बदलकर इस इतिहास को बर्बाद कर देना चाहते हैं?’

उधर बिलासपुर शहर में दुकान चला रहे सुभाष चंदेल ने कहा कि उन्होंने अखबारों में पढ़ा है कि बिलासपुर का नाम ब्यासपुर किया जा रहा है। ‘सरकार फिजूल के कामों में उलझी है। नाम बदलने की जगह शहर की तस्वीर बदलनी चाहिए। लोगों को गंदगी और तंग सड़कों से निजात दिलानी चाहिए’। हालांकि कालेज छात्र विकास धर्माणी ने कहा कि ब्यास हमारी संस्कृति से जुड़ा नाम है। ‘ब्यासपुर एक अच्छा नाम होगा। मैं इसका समर्थन करता हूँ’।

सुजानपुर की सुषमा शर्मा ने हिमाचल में किसी भी जगह का नाम बदलने का विरोध किया। उन्होने कहा कि भाजपा विकास में फेल हो रही है इसलिए लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रही है। कांग्रेस से जुड़ीं सुषमा ने कहा कि पार्टी इसका विरोध करती है।

हमीरपुर में भाजपा से जुड़े दुकानदार गौतम ने कहा कि ऋषि-मुनियों के नाम पर जगह का नाम रखने में कोई बुराई नहीं। ‘हमें क्यों अंग्रेजों के रखे या मुगलों के रखे नाम चलाने चाहिए। हमारी अपनी समृद्ध संस्कृति है। उससे जुड़े नाम रखना तो गौरव की बात है।’