जहरीली शराब से उत्तराखंड में 136 की मौत, उत्तरप्रदेश में भी 60 मरे

देवभूमि उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार जहरीली शराब पीने से 136 लोगों की मौत हो गयी। इस हादसे ने सूबे की छवि को पूरे देश में कलंकित करके रख दिया है। इस जहरीले शराबकाण्ड से पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी 60 से अधिक लोगों की मौत हुई है। उत्तराखंड के लिए यह हादसा इसलिए भी ज्यादा शर्मनाक है क्योंकि धर्मनगरी हरिद्वार के कस्बे में जहां यह घटना घटी है वहां देश विदेश से वर्ष भर में लाखों पर्यटक और तीर्थ यात्री बड़ी आस्था के साथ आते हैं।

उत्तराखंड और साथ लगते उत्तरप्रदेश में विषैली शराब से हुई मौतों के पूरे क्षेत्र में सनसनी  फैला दी है और साथ ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है दोनों सरकारों के कामकाज पर।

उत्तराखंड विधानसभा सत्र के पहले दिन समूचे विपक्ष ने राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार कर विरोध जताया।

कच्ची शराब बनाने और बेचने का यह अवैध धंधा उत्तराखंड में दशकों से प्रचलित है। कच्ची शराब का सेवन यहां रोजमर्रा की जिंदगी में गांव वाले शीतल पेय की तरह करते हैं। जहरीली शराब से मौत के तांडव की शुरुआत रुड़की के झबरेड़ा कस्बे में छह फरवरी को 29 वर्षीय सुधीर कुमार के ताऊ की तेहरवीं आयोजन में हुई। इस तेरहवीं कार्यक्रम में आस-पास के गांव के करीब 300 परिवार सम्मिलित हुए थे। झबरेड़ा थाना क्षेत्र में गांव बालूपुर, बिंदुखड़क, भगवानपुर और भलस्वगाज गांवो से सैकड़ों लोग आए थे।  तेहरवीं भोज के बाद कुछ ग्रामीणों ने वहीं पर और कुछ ने रास्ते में कच्ची शराब का सेवन किया। इन इलाकों में हरिजन, राय सिख, गुर्जर और मुस्लिम समुदायों की मुख्य आबादी है। राय सिखों की आबादी यहां कम है लेकिन वह लोग यह कार्य ज्य़ादा करते हैं और उनका दबदबा भी है।

 सुधीर के मुताबिक जहरीली शराब के इस कारोबार में पुलिस और प्रशासन भी मिला हुआ है। उसका कहना है अगर हम इनकी शिकायत कभी करते भी हैं तो उल्टा हमें ही झूठे केस में फंसा दिया जाता है। शराब माफिया की पुलिस से सांठगांठ के कारण कोई इनके खिलाफ आवाज नहीं उठाता, इसलिए गांव वालों ने इनकी शिकायतें करनी बंद कर दी हैं। तेहरवीं भोज और मदिरा सेवन के बाद पड़ोस के गांव वाले जैसे जैसे अपने घरों में पहुंचे तो उनकी हालत बिगडऩी शुरू हो गई। अगले दिन ग्रामीण इलाकों में एक के बाद एक मौत की खबर से उस गांव में कोहराम मच गया। मरने वालों की संख्या पहले ही दिन 40 पार कर गई थी अब तक मरने वालों की संख्या 136 हो चुकी है और अभी 77 की हालत गंभीर बनी हुई है। जहरीली शराब के प्रभावितों की देखभाल कर रहे चिकित्सकों की माने तो उन्हें यह संख्या 350  तक पहुंचने की आशंका है। अकेले सुधीर कुमार के घर पर उसके दो जीजाए भाई और पिता की मौत हो गई है। उसके घर में अब कोई बड़ा नहीं बचा है।

 आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने इस हादसे पर प्रथम दृष्टया लापरवाह पाए गए आबकारी विभाग के 13 और चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया है। मजिस्ट्रेट जांच के आदेश के साथ पूरे सूबे में अवैध शराब की भट्टियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए करीब 40 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और हजारों लीटर अवैध शराब नष्ट की गई। जहरीली शराब से मरने वाले उत्तर प्रदेश के अधिकांश लोग भी उत्तराखंड के इसी गांव से शराब पीकर गए थे।  बिंदु खेड़ा गांव के एक परिवार में तीन लोगों की मौत हुई है। यहां हर दूसरे घर में  मातम छाया हुआ है। इस गांव में 19 मौतें हो चुकी हैं और अभी भी कई की हालत गंभीर बनी हुई है। बिंदुखड़क गांव के लोगों का यह भी कहना है कि उन्होंने दर्जनों शिकायतें पुलिस और प्रशासन में की लेकिन पुलिस वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। उनको इस बात का दुख है कि सरकार जागी भी तो इतने भीषण नरसंहार के बाद जागी।  सरकार की आंखें तब खुली जब 136 से ज्यादा लोग हमेशा के लिए मौत की नींद सो चुके थे।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए तत्काल उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने मरने वालों के परिजनों को दो-दो लाख और गंभीर रूप से बीमार को 50 हज़ार तत्काल मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री रावत ने हालांकि इस बात को स्वीकार किया कि अवैध शराब के कारोबार को नष्ट करने में संबंधित विभाग के अधिकारियों को काफी विरोध का सामना करना पड़ता है जिसके लिए सरकार शीघ्र ही एक रणनीति बनाएगी ताकि अवैध शराब के कारोबार पर नकेल कसी जा सके। उन्होंने जल्द ही राज्य में इस बाबत कानून लाने की भी बात कही।

घटना के बाद लगातार बढ़ रही मरने वालों की संख्या से सरकार के लिए भी मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है ।

सूत्रों से पता चला है कि यूपी और उत्तराखंड में जहरीली शराब से हुई इतनी बड़ी संख्या में मौतों के पीछे का कारण इस गोरखधंधे को चलाने वाले एजेंट हैं जो रेक्टिफायर नामक केमिकल को सप्लाई करते हैं । यह केमिकल कच्ची शराब को ज्यादा नशीला बनाता है और इस की मात्रा थोड़ी भी ज्यादा हो जाए तो यह इसे जहर बना देता है। रोजाना शराब माफिया के एजेंट यूपी के बॉर्डर से उत्तराखंड के सीमावर्ती गांव में कच्ची शराब बनाने वालों को माल सप्लाई करते हैं और कच्ची शराब में रेक्टिफायर की मात्रा को यह लोग अंदाजे से डालते हैं। एक बोतल रेक्टिफायर से करीब 20 बोतल कच्ची शराब तैयार होती है। मुजफ्फरनगर में शराब फैक्ट्रियों से यह माफिया अवैध धंधे के लिए रेक्टिफायर को बहुत कम दामों पर खरीद कर उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में सप्लाई करते हैं। पुलिस ने इनको भी चिन्हित कर लिया है और शीघ्र इनका खुलासा करने का दावा किया है। उधर जहरीली  शराब पीने से हुई मौतों के सारे मामलों में हत्या की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। एसएसपी हरिद्वार जन्मेजय प्रभाकर खंडूरी ने एसआईटी गठित कर दी है। एसपी देहात नवनीत सिंह के नेतृत्व में एसआईटी का संचालन होगा और मंगलौर के क्षेत्राधिकारी  बी एस रावत को एसआईटी का प्रभारी बनाया गया है।

सीमावर्ती उत्तर प्रदेश में भी पुलिस ने एक पिता पुत्र को गिरफ्तार कर लिया है। यह दोनों यहां उत्तराखंड में कच्ची शराब सप्लाई करते थे पुलिस के अनुसार इस हादसे से जुड़े फकीरा और उसके बेटे सोनू को गिरफ्तार कर लिया है। एसपी देहात नवनीत सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने एक सूचना के आधार पर भलस्वगाज़ तिराहे के पास से दोनों को गिरफ्तार कर लिया।  इन दोनों ने यह भी कबूला कि पांच फरवरी को शाम को सुखविंदर सिंह और उसके बेटे हरदेव सिंह से उन्होंने 35 बोतल कच्ची शराब खरीदी थी।  घर पहुंचने पर सोनू ने देखा की शराब का रंग और दिनों की तुलना में ज्य़ादा सफेद है और उसमें डीजल जैसी बदबू आ रही है। सोनू ने फोन पर हरदेव से बात की तो हरदेव ने यह कहकर बात टाल दी कि उसने शराब को डीजल के बर्तन में बनाया था। इसलिए उसमें ऐसी दुर्गंध आ रही है और सफेद रंग उसने खुद मिलाया था। एसएसपी खंडूरी ने बताया कि सोनू ने 20 बोतल शराब बालूपुर गांव के गजराज को बेच दीए सोनू ने दो बोतल के आठ पाउच बनाकर ग्रामीणों को बेच दिए। इनमें से जिस एक धीर सिंह नाम के व्यक्ति को सोनू ने चार पाउच बेचे उसने एक पाउच उसके घर पर पिया और दुर्गंध आने पर उसको तीन पाउच लौटा दिए। बाकी की छह लीटर शराब सोनू ने भलस्वगाज़ के चंद्रभान को बेच दी। अगले दिन छह फरवरी को सोनू फिर हरदेव के पास सहारनपुर जाकर 20 बोतल शराब ले आया जिसे उसने बिंदुखड़क के बिट्टू को बेच दी। एसएसपी के अनुसार सोनू यह काम मात्र रु पए 20 प्रति बोतल मुनाफा कमाने के लिए करता था। और रु पए 25 का पाउच ग्रामीणों को बेचता था। अगले दिन जब सोनू को यह खबर लगी कि उससे शराब खरीद कर पीने वाले और बेचने वाले धीरा और चंद्रभान सहित अन्य कई लोगों की मौत हो गई है तो वह फरार हो गया। हरदेव पहले ही यह भनक लगते फरार हो गया था। उसके घर पर पुलिस ने दबिश देकर शराब बनाने के उपकरण समेत अन्य सामग्री भी बरामद की है। दोनों राज्यों की पुलिस इस घटना के बाद से लगातार दबिश देने में जुट गई है। उत्तर प्रदेश ने फौरी तौर पर 55 पन्नों की एक नई आबकारी नीति जारी कर दी है। अवैध शराब के धंधे और तस्करी पर गहरी चिंता जताई है। शराब कारोबारियों ने नई नीति का कड़ा विरोध किया है।

उत्तराखंड के राजनीतिक हलकों में जहरीली शराब कांड पर सरकार की जमकर किरकिरी हुई है। विधानसभा सत्र शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश की अगुवाई में समूचे विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।  राज्यपाल के अभिभाषण का भी यह कह कर विपक्ष ने बहिष्कार किया कि निर्धारित समय से चार मिनट पूर्व ही कैसे अभिभाषण शुरू हो गया। इंदिरा हृदयेश ने इसे सदन की परंपरा तोडऩा बताया।

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने जहरीली शराब कांड के लिए दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को दोषी ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। धस्माना ने इस घटना को लोगों का सामूहिक नरसंहार बताया और आबकारी नीति को दोषपूर्ण करार देते हुए इस त्रासदी को उत्तराखंड पर एक कलंक बताया। धस्माना ने यह भी कहा कि जहरीली शराब कांड के बाद ताबड़तोड़ छापों में प्रशासन ने जो हज़ारों लीटर शराब नष्ट की है उससे जाहिर होता है की सरकार और प्रशासन की शह पर यह सब चल रहा था। उन्होंने इस बात पर भी दुख व्यक्तकिया कि हर छोटी बात पर ट्वीट करने वाले हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस नरसंहार पर एक शब्द भी नहीं बोले। कांग्रेस के ही प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह  ने इन मौतों के लिए सीधे तौर पर सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने तत्काल प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों की सुध ली। केवल कांग्रेसी ही नहीं भाजपा के अपने नेताओं ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है भाजपा के पूर्व प्रवक्ता प्रकाश सुमन ध्यानी ने कहा कि इस पूरे खेल में सिर्फ छोटी नहीं बल्कि बड़ी मछलियों का भी संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने आबकारी मंत्री की ओर इशारा करते हुए उदाहरण दिया कि स्वण् लाल बहादुर शास्त्री ने एक बार रेल मंत्री रहते हुए रेल दुर्घटना में 112 लोगों की मौत पर तत्काल नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था।

बहरहाल पक्ष और विपक्ष के इन आरोपों प्रत्यारोपों के बीच सूबे की जनता को इस बात का अब खासा इंतजार है इस जहरीली शराब को परोसने वाले माफिया हत्यारों को पकडऩे और सजा दिलवाने में जीरो टॉलरेंस की त्रिवेंद्र रावत सरकार कितना कठोर और कितना जल्द न्याय दिलवाती है।

में 112 लोगों की मौत पर तत्काल नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था।

बहरहाल पक्ष और विपक्ष के इन आरोपों प्रत्यारोपों के बीच सूबे  की जनता को इस बात का अब खासा इंतजार है इस जहरीली शराब को परोसने वाले माफिया हत्यारों को पकडऩे और सजा दिलवाने में जीरो टॉलरेंस की त्रिवेंद्र रावत सरकार कितना कठोर और कितना जल्द न्याय दिलवाती है।