जल्द होंगे दिल्ली नगर निगम के चुनाव

लगभग सात-आठ महीने पहले होने वाले दिल्ली नगर निगम के चुनाव की बारी आ चुकी है। हालाँकि नगर निगम चुनाव मार्च में होने थे। लेकिन केंद्र सरकार ने इसमें क़ानूनी पेच फँसाते हुए इन्हें टाल दिया, जिस पर चुनाव आयोग ने भी असमर्थता जतायी थी। विपक्षी पार्टियों, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने इस पर आपत्ति भी जतायी, परन्तु केंद्र सरकार ने नगर निगम को एक करके चुनाव समय पर न होने दिये। अब दिल्ली नगर निगम के चारों निकायों के एक होने के बाद परिसीमन समिति ने केंद्र सरकार को अपनी अन्तिम रिपोर्ट सौंप दी है, जिसके बाद दिल्ली नगर निगम चुनाव का रास्ता साफ़ हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली में नगर निगम वार्डों के परिसीमन पर 800 पृष्‍ठों की अन्तिम गजट अधिसूचना जारी कर दी है।

अब गजट अधिसूचना के बाद परिसीमन की क़वायद पूरी मानी जानी चाहिए और चुनाव जल्द होने चाहिए, क्योंकि सीटों पर आरक्षण भी तय हो चुका है। अब राज्य चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीख़ों के ऐलान का इंतज़ार है। एक नये आदेश के अनुसार, आयोग का दफ़्तर हफ़्ते के सातों दिन खुला है। रविवार या शनिवार की भी अभी कोई छुट्टी नहीं है।

विदित हो कि इसी साल अप्रैल में होने वाले दिल्ली नगर निगम के चुनाव टालने पर आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर चुनाव में हार के डर का आरोप लगाया था। केंद्र सरकार द्वारा चुनाव टालने को लेकर आम आदमी पार्टी ने भाजपा के ख़िलाफ़ जमकर पोस्टरबाज़ी भी की थी। वहीं भाजपा ने आम आदमी पार्टी के ख़िलाफ़ नगर निगम की बक़ाया राशि न देने के लिए जमकर पोस्टरबाज़ी की थी।

हालाँकि अपने आरोपों को सिद्ध करने के लिए भाजपा ने आम आदमी पार्टी की खुली चुनौती को कभी स्वीकार नहीं किया। नगर निगम में समय पर सफ़ाई और अन्य कर्मचारियों का वेतन न देने, स्कूलों की दशा ठीक न करने और शहर में जगह-जगह बार-बार गन्दगी जमा होने देने को लेकर आम आदमी पार्टी भाजपा को जमकर घेरती रही है। अब, जब नवंबर-दिसंबर में गुज़रात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसा माना जा रहा है कि इसी दौरान दिल्ली नगर निगम के चुनाव भी होंगे। आप-नेताओं को भरोसा है कि इस बार नगर निगम की बाग़डोर उनके ही हाथ होगी। लेकिन भाजपा ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी रणनीति बना ली है, ताकि किसी भी हाल में उसके हाथ से यह कमाऊ विभाग न खिसके।

ग़ौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इसी साल अप्रैल में होने वाले चुनाव टालकर मई में निगम के चारों निकायों को मिलाकर एकीकृत दिल्ली नगर निगम बनाया था। अब दिल्ली नगर निगम के वार्डों की संख्या घटकर 250 हो चुकी है। राज्य चुनाव आयोग ने कहा है कि नगर निगम चुनावों की तारीख़ों के ऐलान को लेकर वह सातों दिन तेज़ी से काम कर रहा है।

वार्डों के आरक्षण का बँटवारा भी हो चुका है। इस बार सभी वार्डों पर चुनाव लडऩे के लिए महिला-पुरुषों के लिए 50-50 फ़ीसदी के हिसाब से समान रूप से विभाजन किया गया है। कुल 250 वार्डों में से 104 वार्ड सामान्य व अन्य महिलाओं के लिए और 104 वार्ड सामान्य व अन्य पुरुषों के लिए आरक्षित किये गये हैं, जबकि बाकी आरक्षित 42 वार्डों में से 21 वार्ड अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए और 21 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए पुरुषों के लिए आरक्षित हैं।

इधर दिल्ली नगर निगम चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने अपनी चुनाव प्रबंधन समिति समेत कुल 21 समितियाँ बनायी हैं। भाजपा ने इस चुनाव को जीतने के लिए जम्मू-कश्मीर के सह प्रभारी आशीष सूद, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व विधायक विजेंद्र गुप्ता, विधायक अभय वर्मा, प्रदेश महामंत्री हर्ष मल्होत्रा और पूर्व महापौर आरती मेहरा जैसे बड़े चेहरों को मैदान में लगा दिया है। कांग्रेस ने अभी कोई बड़ी योजना अपनी चुनावी रणनीति को लेकर नहीं बनायी है। परन्तु आम आदमी पार्टी पिछले साल से ही चुनाव के लिए कमर कसे बैठी है। उसके कई उम्मीदवारों के पोस्टर 2022 के शुरू से ही राजधानी में लगे हुए हैं।