जमाखोर आलू-प्याज को खुद पहुंचाते है रेहड़ी-पटरी वालों के पास करते है मोटी कमाई

सब्जियों के दामों में बेहताशा बढ़ोत्तरी के पीछे अगर कोई है तो वो जमाखोरी और जिसके पीछे है शासन-प्रशासन की मिली भगत । दिल्ली के व्यापारियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि सर्दी के मौसम के साथ ही सब्जियों के दामों में गिरावट आने लगती है, क्योंकि सब्जियों की पैदावार भी खूब होती है। एशिया की सबसे बड़ी फल –सब्जी मंडी में शासन प्रशासन की अनदेखी के कारण खेतों से जो किसान अपनी सब्जी बेचनें को आते है ,उनके साथ थोक व्यापारी धोखाधड़ी करके सस्ते दामों में सब्जी खरीदते है।

सबसे चौकानें वाली बात तो ये की मंडी के बड़े व्यापारी ही जमाखोरी को अंजाम देते है। बतातें चलें कि इन बड़े व्यापारियों का एक संगठन है जो अपने तरीके से मंडी में कब्जा किये हुये है। ऐसा नहीं है कि शासन-प्रशासन अंजान है। बल्कि वो भी अपनी हिस्सेदारी में मस्त है। जो मंडियों से सब्जी खरीदकर गली –मुहल्लें और छोटी-छोटी मंडियों में सुबह-शाम रेहड़ी-पटरी  लगाकर सब्जी बेचते है उनका कहना है कि एक तो सब्जी मंहगी होने का कारण है परिवहन (भाड़ा) का मंहगा होना और दूसरी और है आलू-प्याज की जमाखोरी के कारण मंहगा होना।

सब्जी विक्रेता सलीम और योगेश ने बताया कि पहले आलू –प्याज मंडी से खरीदकर लाते थे। अब मंडी का व्यापारी कहता है कि पता बताओँ तुम्हारे ठिकाना पर सामान पहुंच जायेगा। ऐसे में बड़ा व्यापारी महंगे दामों में बेचकर जमकर कमाई कर रहा है। व्यापारी सुरेश गुप्ता का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल को कई बार जमाखोरी के बारे में अवगत कराया लेकिन कोई लाभ ना हुआ। बल्कि बड़े व्यापारियों को सरकार की उदासीनता से लाभ हुआ है।