जबरन गर्भपात नहीं किया तो जाति पंचायत ने बहिष्कृत कर दिया!

मुंबई: महाराष्ट्र के धुले जिले के एक गांव की 15 वर्षीय बालिका और उसके परिवार का जीवन दूभर कर रखा है गांव की जाति पंचायत ने। उस परिवार का अपराध इतना ही था कि उसने अपनी 15 वर्षीय उस बालिका का गर्भपात कराने से इंकार कर दिया था, जो 8 महीने की गर्भ से थी। दरअसल जाति पंचायत सदस्य के किसी रिश्तेदार पर ही पीड़िता के साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था जिसके चलते वह गर्भवती हो गई थी। इस आरोप से गुस्साए पंचायत ने उन्हें जाति से बहिष्कृत करने का फरमान जारी कर दिया। बालिका के परिवार ने इस बाबत जब पुलिस से शिकायत की तो जाति पंचायत में उन पर ₹11000 का दंड ठोक दिया।

मामला धुले के धोंडगीपाड़ा नामक गांव का है।पीड़िता के माता-पिता मजदूरी के सिलसिले में गुजरात गए थे। अप्रैल महीने में जब वह गांव लौटे तो उन्हें पता चला कि उनकी बेटी गर्भवती है । पीड़िता के परिवार का आरोप है पंचायत सदस्य के किसी रिश्तेदार में उनकी बेटी के साथ जबरदस्ती की जिसके चलते वह गर्भवती हुई। जब उन्होंने इसकी शिकायत पंचायत से की तो बजाय शिकायत दर्ज करने और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने के, पंचायत ने परिवार को आदेश दिया कि गर्भपात की गोलियां खिलाकर बालिका का गर्भपात करा दिया जाए ।लेकिन बालिका के परिवार ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं परिवार ने पिंपलनेर पुलिस थाने में इस बाबत शिकायत दर्ज की। आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने शुरुआत में इस मामले को दर्ज करने में आनाकानी की। नवल ठाकरे नामक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता की दखलंदाजी के बाद पुलिस ने 19 मई को पंचायत के खिलाफ जन शिकायत दर्ज की गई। परिवार के इस कदम से पंचायत और गुस्से में आ गई और उसने नया फरमान जारी किया की परिवार यह शिकायत वापस ले और बतौर दंड ₹11000 भरे।

इस बीच 30 मई को उस बालिका ने धुले के सरकारी अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया ।फिलहाल वह नवजात बच्ची के साथ अपने मामा के गांव में रह रही है। परिवार को डर है कि पंचायत की दबंगई के चलते वह लोग गांव में चैन से जी नहीं सकेंगे। सूत्रों के मुताबिक गांव पंचायत में उस परिवार को बहिष्कृत कर रखा था जिसके चलते वह सार्वजनिक स्थल से न तो पानी भर सक रहे थे और न ही सामाजिक जीवन का हिस्सा बन पा रहे थे। उन्हें फोन पर धमकियां दी जा रही थी और पुलिस में लिखाई गई रिपोर्ट वापस लेने के लिए दबाव डाला जा रहा था।

पिंपरनेर पुलिस के अनुसार इस मामले में दो अलग-अलग धाराओं के तहत एफ आई आर दर्ज की गई है। पहला मामला आईपीसी 376 और पास्को के तहत की गई है और आरोपी युवक को गिरफ्तार किया गया। दूसरा मामला जात पंचायत द्वारा बहिष्कृत किए जाने के खिलाफ धारा 504, 506 व 2016 अधिनियम के अंतर्गत दर्ज किया गया है। इस मामले में भी कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया। फिलहाल दोनों मामलों की जांच चल रही है। पुलिस के अनुसार पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी पुलिस की है और वह उसे निभा रही है। पीड़िता का भाई गांव में ही रह रहा है। सूत्रों का सवाल है कि यदि पुलिस के दावे सही है तो क्या वजह है कि पीड़िता अपने गांव छोड़कर अपने मामा के घर रह रही है और क्यों उनके परिवार पर अभी भी दबाव डाला जा रहा ।