चिदंबरम को झटका, अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज

ईडी के आज कांग्रेस नेता को गिरफ्तार करने की संभावना

आईएनएस मीडिया मामले में पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को सर्वोच्च न्यायालय में गुरूवार को बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)  मामले में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है।  दूसरी ओर, उच्चतम न्यायालय ने चिदंबरम को सीबीआई की दर्ज आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में निचली अदालत के गैर जमानती वारंट, हिरासत संबंधी आदेशों के खिलाफ दायर अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अग्रिम जमानत को किसी को उसके अधिकार के तौर पर नहीं दिया जा सकता। ये केस-टू-केस निर्भर करता है। सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि हमने ईडी की केस डायरी को देखा है और हम उनके इस दावे से सहमत हैं कि मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर हिरासत में पूछताछ जरूरी है।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हम ईडी की उस बात से सहमत हैं कि मनी ट्रेल को उजागर करना जरूरी है। अदालत ने कहा कि ईडी ने सीलबंद लिफाफे में कुछ दस्तावेज दिए थे, परंतु हमने उन्हें नहीं देखा।

दूसरी ओर, उच्चतम न्यायालय ने चिदंबरम को सीबीआई की दर्ज आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में निचली अदालत के गैर जमानती वारंट, हिरासत संबंधी आदेशों के खिलाफ दायर अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के यह कहने के बाद याचिका वापस लेने की अनुमति दी कि ”हमने याचिका बिना शर्त वापस लेने का निर्णय किया है।”

इसके बाद चिदंबरम ने सीबीआई की दर्ज आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में निचली अदालत के गैर जमानती वारंट, हिरासत संबंधी आदेशों के खिलाफ अपनी याचिका वापस ले ली।

गौरतलब है कि चिदंबरम की १५ दिन की सीबीआई हिरासत गुरुवार को ही खत्म हो रही है। ऐसे में प्रवर्तन निदेशालय आज ही उन्हें गिरफ्तार कर सकती है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है।

शीर्ष अदालत ने चिदंबरम की वह अर्जी भी खारिज कर दी जिसमे यह अनुरोध किया गया था कि तीन तारीखों पर उनसे की गयी पूछताछ की लिपि पेश करने का प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया जाये। न्यायालय ने कहा कि उसे मुकदमे की सुनवाई शुरू होने से पहले ही केस डायरी का अवलोकन करने का अधिकार है, परंतु उसने प्रवर्तन निदेशालय के सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों का अवलोकन करने से गुरेज किया है क्योंकि इससे दूसरे अभियुक्तों मामला प्रभावित हो सकता था।