चिंतन शिविर का दूसरा दिन, पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कर रहे है संबोधित

हरियाणा के सूरजकुंड फरीदाबाद जिले में चल रहे सभी राज्यों के गृह मंत्रियों के चिंतन शिविर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित कर रहे हैं। दो दिवसीय चिंतन शिविर का आज अंतिम दिन हैं।

सूरजकुंड में चर रहे चिंतन शिविर में करीब 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया हैं। इसके अलावा 16 राज्यों से डिप्टी सीएम और गृह मंत्री भी इसका हिस्सा बने हैं। इसकी अध्यक्षता गृह मंत्री अमित शाह कर रहे हैं।

पीएम ने कहा कि, आजकल देश में उत्सव का माहौल है ओणम, दुर्गा पूजा, दशहरा और दीपावली सहित अनेक उत्सवों को देशवासियों ने सौहार्द से मनाया हैं। और अभी छठ पूजा सहित कई अन्य त्योहार भी हैं। विभिन्न चुनौतियों के बीच इन त्योहारों में देश की एकता का सशक्त होना आपकी तैयारियों का भी प्रतिबिंब हैं।

उन्होंने आगे कहा कि, कानून और व्यवस्था राज्यों की जिम्मेदारी है, लेकिन यह राष्ट्र की एकता और अखंडता से भी जुड़े हुए हैं। राज्य एक-दूसरे से सीख सकते है, एक-दूसरे से प्रेरणा ले सकते हैं और देश की बेहतरी के लिए एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं। यह संविधान की भावना है और हमारे नागरिकों के प्रति हमारा कर्तव्य हैं।

पीएम ने कहा कि, आजादी का अमृतकाल हमारे सामने हैं। और आने वाले 25 वर्ष देश में एक अमृत पीढ़ी के निर्माण के हैं। और यह अमृत पीढ़ी पंच प्राणों के संकल्पों को धारण करके निर्मित होगी। विकसित भारत का निर्माण, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता, और नागरिक कर्तव्य इन पंच प्राणों का महत्व आप सभी जानते हैं, समझते हैं। ये एक विराट संकल्प है, जिसको सिर्फ और सिर्फ सबके प्रयासों से ही सिद्ध किया जा सकता हैं।

राज्य सरकार से केंद्रीय जांच एजेंसियों का सहयोग करने की भी अपील की है और कहा कि कई बार केंद्रीय एजेंसियों को कई राज्यों में एक साथ जांच करनी पड़ती है, दूसरे देशों में भी जाना पड़ता है। इसलिए हर राज्य का दायित्व है कि चाहे राज्य की एजेंसी हो या केंद्र की एजेंसी हो सभी एजेंसियों को एक-दूसरे को पूरा सहयोग देना चाहिए।

आपको बता दे, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 27 अक्टूबर को चिंतन शिविर को संबोधित किया था। और उन्होंने बड़ी घोषणा करते हुए कहा था कि वर्ष 2024 तक हर राज्य में एनआईए का ऑफिस होगा। हमारे संविधान में कानून-व्यवस्था को संभालने का जिम्मा राज्य को दिया गया है, लेकिन अब तकनीक के बढ़ावे के साथ कई ऐसे कानून भी अस्तित्व में आए हैं जिनकी कोई भी सीमा नहीं हैं। और सीमा रहित अपराधों का मुकाबला करने के लिए सभी राज्यों को इस पर रणनीति बनानी होगी।