चार धाम परियोजना की सड़क को और चौड़ा करने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया

उत्तराखंड के चारधाम सड़क परियोजना के तहत पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने की सरकार की मांग को देश की सर्वोच्च अदालत ने ठुकरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के 2018 के सर्कुलर के अनुसार सड़क निर्माण करने के लिए कहा है। सर्कुलर में सड़क की चौड़ाई 5.50 मीटर अधिकतम रखे जाने की बात है।
जस्टिस रोहिंगटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, चारधाम परियोजना के तहत सड़क निर्माण कार्य चल रहा है। मेहता ने अदालत से आग्रह किया कि पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क की चौड़ाई सात मीटर रखने की इजाजत दी जाए। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के अन्तगर्त चीन से जुड़ा सीमा क्षेत्र भी है। ऐसे में सेना के वाहन भी इस सड़क से होकर जाएंगे, लिहाजा चौड़ाई सात मीटर रखने की अनुमति दी जाए। लेकिन पीठ ने इसकी अनुमति देने से माना कर दिया।
पीठ ने स्पष्ट किया कि सड़क का निर्माण 2018 के सर्कुलर के हिसाब से ही किया जाए। साथ ही पीठ ने सरकार को चार धाम सड़क परियोजना के कारण वनक्षेत्र के होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पौधारोपण करने का भी निर्देश दिया है।
चार धाम परियोजना का मकसद पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के चार तीर्थस्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को एक-दूसरे से जोडऩा है। इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद हर मौसम में तीर्थयात्री चार धाम की यात्रा कर सकेंगे। परियोजना के तहत 889 किलोमीटर सड़क चौड़ी की जानी है।  करीब 1200 करोड़ की लागत से प्रोजेक्ट की 400 किलोमीटर चौड़ीकरण किया जा चुका है। इस बीच 26 हजार से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं,  हालांकि पौधे लगाए भी जा रहे हैं।