चन्नी-सिद्धू ‘शीतयुद्ध’ खत्म होने से राहत की सांस ली पंजाब में कांग्रेस ने

पंजाब में आखिर सत्तारूढ़ दल के दो बड़ों, मुख्य्मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बीच करीब दो महीने से चल रहा शीतयुद्ध आखिर ख़त्म हो गया। कांग्रेस अब मान रही है कि चन्नी और सिद्धू की जोड़ी मिलकर राजनीतिक रूप से पंजाब में कांग्रेस को दोबारा सत्ता में ले आएगी। पार्टी को यह भी महसूस हो रहा है कि बतौर मुख्यमंत्री दो महीने के कम समय में भी चन्नी जनहित  के काम करके करके अपनी अलग छवि बनाने में सफल दिख रहे हैं।

चन्नी-सिद्धू के बीच जंग ख़त्म होने से कांग्रेस आलाकमान ने भी राहत की सांस ली है।  उसे लग रहा है कि सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष के रूप से अब काम संभाल लेने से अब संगठन की सक्रियता में तेजी आएगी जबकि चन्नी सरकार पहले से ही सक्रिय है। अब तक चन्नी सरकार ने कई बड़े फैसले किये हैं। कांग्रेस महसूस कर रही है कि चुनाव से पहले दोनों में तनाव ख़त्म होना पार्टी के लिए सुकून वाली खबर है।

चन्नी सरकार बनने के बाद हुए कुछ फैसलों से सिद्धू नाराज थे। इसका कारण यह था कि जो वादे पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किये थे, उनमें से कई पर कैप्टेन अमरिंदर सिंह सरकार के समय अमल नहीं हुआ था। कुछ ऐसे फैसले या नियुक्तियां थीं, जिनसे सिद्धू इसलिए असहमत थे क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे जनता में गलत संकेत जायगा।

यहाँ यह बताना भी ज़रूरी है कि बतौर मुख्यमंत्री चन्नी ने अपने  फैसलों पर दृढ़ता दिखाई और कभी नहीं लगा कि वे किसी के दबाव में काम कर रहे हैं। इसकी उनकी छवि एक प्रशासक के रूप में भी मजबूत बनी है। भले डीजीपी के बाद अब एडवोकेट जनरल एपीएस देओल का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है, इसे पार्टी हित में किया फैसला माना जा सकता है, न कि किसी दबाव में। हालांकि, इन फैसलों से यह अवश्य जाहिर हुआ है कि चन्नी के राहुल गांधी के काफी करीब होने के बावजूद सिद्धू भी दोनों युवा गांधी नेताओं के करीब हैं और उनकी बात सुनी जाती है।

दोनों – चन्नी और सिद्धू – विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार हैं। सिद्धू को लेकर तो पंजाब कांग्रेस के पिछले प्रभारी हरीश रावत ने चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह तक कह दिया था कि उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस  अगला चुनाव लड़ेगी। हालांकि, यह भी सच है कि चन्नी पिछले करीब दो महीने में अपनी अलग छवि गढ़ने में सफल रहे हैं, जिससे उनका राजनीतिक कौशल झलकता है।

तनातनी के दो बड़े मुद्दों एडवोकेट जनरल की नियुक्ति के अलावा डीजीपी की नियुक्ति तनाव का बड़ा कारण बना हुआ था। डीजीपी के पद पर इकबाल प्रीत सिंह सहोता को हटाने की सिद्धू की मांग को स्वीकार करते हुए चन्नी ने पहले ही यूपीएससी से पैनल मिलते ही नए डीजीपी की नियुक्ति की बात कह दी थी। इस तरह यह मसले अब हल हैं। पिछले कल ही पंजाब केबिनेट की बैठक से पहले मुख्यमंत्री चन्नी और सिद्धू के बीच लगातार दूसरे दिन हुई सुलह बैठक के सकारात्मक नतीजे सामने आये।

केबिनेट बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में चन्नी और सिद्धू दोनों की शारीरिक भाषा से साफ़ दिख रहा था कि मामला शांत हो चुका है। सिद्धू ने चन्नी सरकार के रेत के दाम वाले फैसले का स्वागत किया और सुझाव दिया कि हमें (सरकार को) यह दाम और आय बनाए रखने होंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम चन्नी ने बताया कि अटॉर्नी जनरल देओल का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है। पंजाब पुलिस के नए डीजीपी की  नियुक्ति भी यूपीएससी पैनल के मिलते ही होने की बात चन्नी ने कही।