चंद पीएसयू के प्रदर्शन पर ही खुशी क्यों?

देश के अधिकतर सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उपक्रम विकट घाटे में हैं! सरकार ने इसे बड़ी चतुराई से अनदेखा कर दिया है। आश्चर्य की बात यह है कि शीर्ष 10 घाटे वाली फर्मों के सर्वे में यह पाया गया कि स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, एमएसटीसी और चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, जो 2017-18 में सीपीएसई को लाभकारी बना रहे थे, उन्हें 2018-19 में घाटा झेलना पड़ा। पेश है तहलका की रिपोर्ट :-

जब सरकार 10 फरवरी को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को लेकर संसद में सर्वे रिपोर्ट रख रही थी, तो बहुत उत्साहित होकर ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और एनटीपीसी के लाभदायक सार्वजनिक उपक्रम होने के कसीदे पढ़े। लेकिन उसने बड़ी चतुराई से इसे अनदेखा कर दिया कि 2018-19 में ही बीएसएनएल, एयर इंडिया और एमटीएनएल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों को लगातार तीसरे साल सबसे ज़्यादा घाटा हुआ है। यह न केवल घाटे वाले पीएसयू हैं, बल्कि निजी क्षेत्र में भी टेलीकॉम, पॉवर, इन्फ्रास्ट्रक्चर, इलेक्ट्रिक उपकरण, स्टील, एविएशन में निजी क्षेत्र की बड़ी कम्पनियों के साथ-साथ स्टार्टअप्स भी बड़े घाटे में हैं। हालाँकि, सबसे बुरी हालत 300 मिलियन से अधिक मोबाइल उपयोगकर्ताओं वाले टेलीकॉम सेक्टर की है, जिसे फिक्स्ड और मोबाइल फोन कनेक्शन के मामले में वैश्विक रूप से दूसरे सबसे बड़े सेक्टर के रूप में जाना जाता है।

दूरसंचार क्षेत्र में वोडाफोन-आइडिया 67,116 करोड़ रुपये के घाटे में हैं। इसके बाद रिलायंस कम्युनिकेशंस है, जो 38,592 करोड़ रुपये का घाटा झेल रहा है। एयरटेल का घाटा 26,838 करोड़ रुपये, बीएसएनएल का 14,904 करोड़ रुपये और एमटीएनएल का 3589 करोड़ रुपये है। भारती एयरटेल ने 17 फरवरी, 2020 को दूरसंचार विभाग (डीओटी) को अपने लम्बित समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया के हिस्से के रूप में 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया। वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज के भी अपने एजीआर बकाया के लिए भुगतान की सम्भावना है। दूरसंचार विभाग को तीनों कम्पनियों से कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये तक का बकाया लेना है।

सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है और इस मुद्दे पर उसने नाराज़गी जतायी थी। वोडाफोन-आइडिया उस राशि की गणना कर रहा है, जिसकी एजीआर बकाया के रूप में उसे भुगतान करने की आवश्यकता है। यह सब उसे तब करना है, जब कम्पनी यह कह रही है कि एजीआर बकाया के भुगतान से भारत में उसे अपना कारोबार बन्द करना पड़ सकता है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में जीएमआर इंफ्रा ने 3610 करोड़ रुपये का नुकसान झेला है, जयप्रकाश एसोसिएट्स 2715 करोड़ रुपये के घाटे के साथ चल रही है; आईएलएंडएफएस इंजीनियङ्क्षरग सर्विसेस 2042 करोड़ रुपये, एकता इंफ्रा 1844 करोड़ रुपये, ग्लोबल टेली एसवाईएस 1,600 करोड़ और जेपी इंफ्राटेक 1582 करोड़ रुपये के घाटे में है। बिजली उपकरण क्षेत्र में ज्योति स्ट्रक्चर्स को 4166 करोड़ रुपये और सुजलॉन को 2,111 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

पॉवर सेक्टर में रिलायंस पॉवर 3360 करोड़ रुपये के घाटे के साथ घाटे में चल रही कम्पनियों में सबसे ऊपर है। इसके बाद केएसके एनर्जी वेंचर्स लिमिटेड का नाम आता है, जो 2893 करोड़ रुपये, जयप्रकाश पॉवर वेंचर्स लिमिटेड 2327 करोड़ रुपये के घाटे में और क्रॉमर ग्रीव्स 1966 करोड़ रुपये के घाटे में है। स्टील सेक्टर में जिंदल स्टील एंड पॉवर को 2460 करोड़ रुपये का घाटा हुआ; जबकि उत्तम स्टील को 1539 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। एयरलाइंस की बात करें, तो एयर इंडिया घाटे में शीर्ष पर थी और यह 8850 करोड़ रुपये का घाटा झेल रही थी। इसके बाद जेट एयरवेज़ का नम्बर है, जो 4244 करोड़ रुपये के नुकसान में थी। िफलहाल जेट का संचालन बन्द है और एयर इंडिया बेचने के लिए सरकार ने बोली आमंत्रित की की हैं।

यदि सार्वजनिक उद्यम सर्वेक्षण में 2018-19 का विश्लेषण करें, तो पाएँगे कि घाटे की शीर्ष 10 कम्पनियों ने वर्ष के दौरान घाटे वाले सभी 70 सीपीएसई में कुल घाटे के 94.04 फीसदी का दावा किया है। लाभ कमाने वाले शीर्ष तीन पीएसयू तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और एनटीपीसी सहित सार्वजनिक उपक्रमों ने पीएसयू के अर्जित कुल लाभ में क्रमश: 15.3 फीसदी, 9.68 फीसदी और 6.73 फीसदी का योगदान दिया। आश्चर्य की बात यह है कि शीर्ष 10 घाटे वाली फर्मों के सर्वे में यह पाया गया कि स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, एमएसटीसी और चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, जो 2017-18 में सीपीएसई को लाभकारी बना रहे थे; उन्हें 2018-19 में घाटा झेलना पड़ा । सभी सीपीएसई की कुल आय 2017-18 में 20,32,001 करोड़ रुपये की तुलना में साल 2018-19 के दौरान 24,40,748 करोड़ रुपये रही, जो 20.12 फीसदी की वृद्धि दर्शाती है।

उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, जीएसटी, कॉरपोरेट कर (टैक्स), केंद्र सरकार के ऋणों ब्याज, लाभांश और अन्य करों के माध्यम से केंद्रीय खज़ाने को सीपीएसई का योगदान 2017-18 के 3,68,803 करोड़ रुपये के मुकाबले 2018-18 में 3,52,361 रुपये था, जो 4.67 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। सर्वेक्षण के अनुसार, 31 मार्च, 2019 तक कुल 348 सीपीएसई थे, जिनमें से 249 चालू हालत में थे। शेष 86 निर्माणाधीन थे और 13 बन्द या परिसमापन की स्थिति में थे। संसद के दोनों सदनों में 10 फरवरी को पेश किये गये सार्वजनिक उपक्रम सर्वेक्षण 2018-19 से ज़ाहिर होता कि 31 मार्च, 2019 तक सभी सीपीएसई में कुल प्रदत्त पूँजी 2,75,697 करोड़ रुपये रही, जो 8.55 फीसदी की वृद्धि के साथ दर्ज की गयी थी। सभी सीपीएसई में वित्तीय निवेश 14.65 फीसदी की वृद्धि के साथ 16,49,628 करोड़ रुपये रहा।

सभी सीपीएसई में पूँजी रोज़गार 31 मार्च, 2019 को 26,33,956 करोड़ रहा; जबकि 31 मार्च, 2018 में यह 23,57,913 करोड़ रुपये था। यह 11.71 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। साल 2018-19 के दौरान सभी सीपीएसई के संचालन से कुल सकल राजस्व 25,43,370 करोड़ रुपये हुआ, जो पिछले वर्ष के 21,54,774 करोड़ रुपये की तुलना में 18.03 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है।

साल 2018-19 के दौरान सभी सीपीएसई की कुल आय 24,40,748 करोड़ रुपये रही, जो 2017-18 के 20,32,001 करोड़ रुपये की तुलना में 20.12 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। इसके अलावा 178 लाभ देने वाले सीपीएसई का लाभांश 2018-19 में 1,74,587 करोड़ रहा, जो 2017-18 के 1,55,931 करोड़ रुपये के मुकाबले 11.96 एएसडी की वृद्धि दिखाता है।

माल और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से 79 सीपीएसई की विदेशी मुद्रा आय 2018-19 में 1,43,377 करोड़ रुपये रही; जबकि 2017-18 में यह 98,714 करोड़ रुपये थी, जो 45.24 फीसदी  की बड़ी वृद्धि है। आयात और रॉयल्टी पर 144 सीपीएसई का विदेशी मुद्रा व्यय परामर्श, ब्याज और अन्य व्यय रुपये के मुकाबले 2018-19 में 6,64,914 करोड़ पर रहा; जबकि 2017-18 में यह 5,22,256 करोड़ रुपये था, अर्थात् इसमें 27.32 फीसदी की वृद्धि हुई है। सीपीएसई का रिजर्व और सरप्लस 31.03.2019 को 9,93,328 करोड़ रुपये था जो 31.03.2018 के 9,26,906 करोड़ रुपये के मुकाबले 7.17 फीसदी  ज्यादा है। सभी सीपीएसई की कुल सम्पत्ति 31 मार्च, 2018 के 11,15,552 करोड़ रुपये के मुकाबले 31 मार्च, 2019 को 12,08,758 करोड़ यानी 8.36 फीसदी की वृद्धि थी।

सर्वेक्षण की खास बात यह है कि घाटे वाले 70 सीपीएसई का कुल घाटा 2018-19 में 36,635 करोड़ रुपये रहा, जो 2017-18 में 32,180 करोड़ रुपये के नुकसान के मुकाबले 1.69 फीसदी कम है।

साल 2018-19 में सीपीएसई का प्रदर्शन

वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 249 ऑपरेटिंग सीपीएसई का कुल शुद्ध लाभ 1,42,951 करोड़ रुपये रहा, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में 258 ऑपरेटिंग सीपीएसई का कुल शुद्ध लाभ 1,23,751 करोड़ रुपये था। साल 2018-19 के दौरान 178 ऑपरेटिंग सीपीएसई ने 1,74,587 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 183 ऑपरेटिंग सीपीएसई ने 1,55,931 करोड़ रुपये का शुद्ध कमाया था। इसी तरह 70 ऑपरेटिंग सीपीएसई ने वर्ष 2018-19 के लिए 31,635 करोड़ रुपये, जबकि 2017-18 में 72 ऑपरेटिंग सीपीएसई ने 32,180 करोड़ रुपये का घाटा दर्शाया। कुल 348 सीपीएसई में कुल निवेश 31 मार्च, 2019 तक 1,6,40,628 करोड़ रुपये रहा; जबकि 31 मार्च, 2018 तक 339 सीपीएसई में कुल निवेश 1,4,31,008 करोड़ का था। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सीपीएसई का घोषित/भुगतान किया गया लाभांश 7,916 करोड़ रुपये है; जबकि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान इनका घोषित/भुगतान किया गया लाभांश 7,014 करोड़ रुपये था।