घाना

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विश्व रैंकिंग: 37
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन : क्वार्टर फाइनल (2010)

खास बात
मिखाइल एसिएन और सुले मंटारी तो घाना के लिए अहम थे ही, लेकिन मोहम्मद रब्यू के आने से टीम इस लिहाज से और भी मजबूत हो गई है क्योंकि अब मिडफील्ड में उसके लिए प्रयोग की गुंजाइश बढ़ गई है. रब्यू की तेजी और ड्रिबलिंग देखने लायक है

इंग्लैंड के लिए 1986 के विश्व कप में ‘हैंड ऑफ गॉड (अर्जेंटीना के मेराडोना का हाथ लगने से हुए गोल)’ उतना ही दुर्भाग्यशाली था जितना पिछले विश्व कप में घाना टीम के लिए ‘हैंड ऑफ डेविल.’ तब उरुग्वे के खिलाड़ी का हाथ लगने से घाना को एक गोल का नुकसान हुआ और वह मैच हार गई थी. ब्लैक स्टार्स कहलाने वाली इस टीम के लिए दक्षिण अफ्रीका में हुए विश्व कप में क्वार्टर तक पहुंचने की कहानी किसी परीकथा से कम नहीं है. घाना की टीम इस बार भी वही प्रदर्शन दोहराने की तैयारी के साथ ब्राजील आई है. जर्मनी, पुर्तगाल और अमेरिका के ग्रुप में कुछ लोग इसे घाना का अतिआत्मविश्वास कह सकते हैं. हालांकि क्वेसी अप्पियाह (कोच) की यह टीम पिछले विश्व कप की तरह उलटफेर करने में पूरी तरह सक्षम है. किसी समय चमत्कारिक खेल दिखाने वाले मिखाइल एसिएन और सुले मंटारी पर अब उम्र का असर हो रहा है, लेकिन मोहम्मद रब्यू भविष्य में इनमें से किसी एक की जगह लेने को तैयार हैं. 24 साल का यह खिलाड़ी जितना अच्छा धावक है उतने ही अच्छे से बॉल को संभालता भी है. केविन प्रिंस बोआटेंग तालमेल और स्टाइल के लिए जाने जाते हैं तो क्रिश्चियन आट्सू अपनी तेजी और तकनीक की वजह से इस विश्व कप के उन खिलाड़ियों में शुमार हैं जिनपर दर्शकों की नजर होगी. हालांकि अप्पियाह को रक्षात्मक पंक्ति के लिए खिलाड़ियों के चुनाव में कुछ दिक्कत हो सकती है.