खेलों की दुनिया पर ‘मी टू’ की छाया

ग्लैमर की दुनिया में महिलाओं के शारीरिक शोषण की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। यह माना जाता रहा है कि फिल्मों में काम करने वाली महिलाएं सुरक्षित नहीं रह पाती। फिर बहुत सी अभिनेत्रियों ने लोगों में अपनी पहचान स्थापित करने के लिए इस प्रकार के बयान भी दिए कि लोगों का ध्यान उनकी ओर जाए। चाहे प्रवीण बॉबी हो या जीनत आमान 1966 में शर्मिला टैगोर का फिल्मफेयर पत्रिका के कवर पर बिकिनी का फोटो हो या सोनिया साहनी का ‘जौहर -महमूद इन गोवा’ का चुबन का दृश्य। मलिका शेरावत का नाम भी ऐसी ही सूची में जोड़ा जा सकता है। आम लोग फिल्मी दुनिया में घट रही ऐसी घटनाओं पर ज़्यादा हैरान नहीं होते।

फिल्मी दुनिया ही ऐसी दुनिया नहीं है जहां शोषण की घटनाएं होती हैं। खेलों की दुनिया भी इन सबसे अछूती नहीं है। यहां भी लड़कियों के शारीरिक और मानसिक शोषण की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। यह बात सिर्फ भारत तक महदूद नहीं बल्कि विदेशों में भी यह होता है। खेलों की दुनियां की ये घटनाएं अक्सर दबा दी जाती हैं। जि़ला स्तर व राज्य स्तर तक होने वाली इन घटनाओं का तो कई बार जि़क्र तक नहीं होता। परन्तु जब बात राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर की आती है तो मीडिया में भी चर्चा हो जाती है।

विश्व के प्रसिद्ध फुटबाल खिलाड़ी क्रिस्टियानों रोनाल्डो पर कैथरीन मारगियो ने यौन शोषण का आरोप लगाया। यह कोई छोटी घटना नहीं थी। रोनाल्डो जैसे खिलाड़ी पर लगे आरोप ने सभी को चैंका दिया था। टेनिस में विलियम्स बहनों ने भी खेल अधिकारियों पर मानसिक प्रताडऩा के आरोप लगाए। उनकी पोशाक को लेकर भद्दी टिप्पणियां की गई। उन्होंने इसका कड़ा विरोध भी किया। भारत में 1980 के दशक में एक महिला हाकी खिलाड़ी ने भारतीय महिला हाकी फेडरेशन के एक पदाधिकारी पर टीम में शामिल करने के लिए ‘सेक्सुआल फेवर’ की मांग करने का आरोप लगाया था। उस समय इस बात को दबा दिया गया। पर जब राष्ट्रीय महिला हाकी के कोच महाराज कृष्ण कौशिक पर एक नवोदित खिलाड़ी ने ऐसा आरोप लगाया तो उनके खिलाफ कार्रवाई की गई थी। असल में देश की चोटी की 30-32 खिलाडिय़ों में से कौन सी 16 या 18 खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व करेंगी इसमें मौजूदा प्रशिक्षक का बहुत बड़ा हाथ रहता है। इसी बात का लाभ कई बार प्रशिक्षक उठाते हैं। महिला हाकी में कुछ और भी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो खेल पत्रकारों तक ही रह गई पर उन्होंने उन्हें छापा नहीं क्योंकि तब खिलाडिय़ों ने कोई लिखित शिकायत नहीं की थी और बिना पुख्ता सबूत अखबारों में किसी पर आरोप नहीं लगाया जा सकता।

सबसे बड़ा तूफान उस समय उठा जब ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने अपने कोच पर इस प्रकार के आरोप लगाए। सोचने की बात है कि यदि एक ओलंपिक पदक विजेता का शोषण करने की कोशिश हो सकती है तो फिर सुरक्षित कौन है? कोच पर इसी प्रकार के आरोप महिला पहलवान सोनिका कालिरमन ने भी लगाया।

भारतीय हाकी के दिग्गज खिलाड़ी और 300 से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके सरदार सिंह पर भी एक महिला खिलाड़ी ने यौन शोषण का आरोप लगाया। सरदार सिंह ने उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया, पर मामला अभी भी जांच के दायरे में है।

सबसे दुखदायी घटना केरल की है जहां ‘वाटर स्पोटर्स’ की 15 वर्षीय लड़की अपर्णा ने अपने प्रशिक्षकों और सीनियर्स द्वारा की जा रही रैगिंग से तंग आकर ज़हर खा लिया था। ध्यान रहे कि आज के समय में ‘रैगिंग’ एक अपराध है। आप किसी को भी शारीरिक या मानसिक रूपसे प्रताडि़त नहीं कर सकते। इस कानून के बावजूद यह घटना हो गई।

मनसिक प्रताडऩा के आरोप बैडमिटंन जैसे खेल में भी लगते हैं। देश में युगल की सबसे बढिय़ा खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने इस प्रकार के आरोप लगाए। उनकी यह लड़ाई लंबे समय तक चली। सबसे बड़ी घटना हरियाणा के पंचकूला की है जहां एक नाबालिग टेनिस खिलाड़ी का यौन शोषण करने की कोशिश की गई। रूचिका नाम इस खिलाड़ी ने टेनिस एसोसिएशन के पदाधिकारी व पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर पर यह आरोप लगाया। यह मामला अखबारों की सुर्खियां बना। राठौर ने अपनी पोजिशन का भरपूर लाभ उठाते हुए रूचिका को अपनी शिकायत वापस लेने के लिए कई हत्थकंडे इस्तेमाल किए। उसके भाई को झूठे आपराधिक मामले में फंसाया गया व पूरे परिवार पर पुलिस का कहर टूटता रहा। पर रूचिका ने हार नहीं मानी और अपनी बात पर अडिग रही। राठौर की इन हरकतों से आम जनता उसके खिलाफ खुल कर सामने आ गई। अंत में अदालत ने राठौर को यौन शोषण की कोशिश के मामले में दोषी ठहराते हुए सज़ा सुना दी।

देखने वाली बात यह है कि ऐसे मामलों में सज़ा हो जाने के बावजूद उस खिलाड़ी का खेल जीवन तो खत्म हो ही जाता है, क्योंकि खेल अधिकारियों और खेल फेडरेशनों के पदाधिकारियों की एक जुंडली होती है जो शिकायतकर्ता को इतना परेशान कर देती है कि उसे खेल छोडऩा ही पड़ता है, क्योंकि हर बार वह अदालत में नहीं जा सकती, खासतौर पर गऱीब घर की लड़कियों के लिए यह समस्या सबसे अधिक है।

इस प्रकार की घटनाएं ‘मास्टर्स’ खेलों में भी सामने आई है। मास्टर्स एथलेटिक्स फेडरेशन के एक ग्रुप के एक पदाधिकारी ने एक महिला एथलीट के कपड़ों के भीतर हाथ डाल दिया था। इसी पदाधिकारी ने एक और एथलीट से भी छेड़छाड़ की थी। इसी फेडरेशन के एक पदाधिकारी को जो कि अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों के लिए विदेश जा रहे भारतीय दल का नेता भी था को दो साल के लिए बाहर कर दिया गया था। वह विमान में अपनी सहयात्री एक विदेशी महिला के साथ छेड़छाड़ कर रहा था। यह देख भारतीय दल की महिला खिलाडिय़ों ने उस महिला यात्री से माफी मांगी और उस पदाधिकारी की सीट बदली। नही ंतो उस पदाधिकारी के कारण पूरे राष्ट्र का अपमान हो जाता। महिला खिलाडिय़ों ने मामला दबा दिया और उस महिला यात्री को शिकायत नहीं करने दी।