खुद चल नहीं सकता, पर दूसरों की राह बनाई आसान

यूपी के मुरादाबाद के हमीरपुर गांव के सलमान जन्म से ही दिव्यांग हैं। नौकरी के लिए कई प्रयास किए, कोटे के तहत भी भरपूर कोशिश की। कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए कई साल तक कोशिश करते रहे, सफलता नहीं मिली तो हार नहीं मानी। दिसंबर 2019 में नौकरी की आस छोड़कर अपना ही काम शुरू करने का फैसला किया। अपने जैसे दिव्यांग साथियों को रोजगार देने का संकल्प लिया है।
इसके लिए सलमान ने अपने गांव में पांच लाख रुपये लगाकर किराये के मकान में टारगेट नामक कंपनी खोली। कंपनी में चप्पल और डिटर्जेंट बनाने का काम शुरू कर दिया। छह महीने पहले से सलमान ने मार्केटिंग शुरू की। अब उनका कारोबार साथियों का वेतन निकालकर लाभ में पहुंच गया है। उनके कारखाने में अब तक 30 दिव्यांग रोजगार से जुड़ गए हैं। उनको स्वरोजगार भी सिखाया जा रहा है, ताकि खुद आत्मनिर्भर हो सकें। उनका लक्ष्य 100 लोगों को रोजगार प्रदान करना है।

कंपनी में 15 दिव्यांग एक शिफ्ट में काम में लगते हैं। दिन भर में यह टीम 150 जोड़ी से ज्यादा चप्पलें तैयार कर लेते हैं। मार्केटिंग में 15 से अधिक दिव्यांग रोजाना छह हजार तक का माल बेच देते हैं। गांवों में घर-घर जाकर चप्पलों और डिटर्जेंट की बिक्री करके बतौर कमीशन प्रति व्यक्ति 500 रुपये तक कमा लेते हैं।

टारगेट कंपनी के संस्थापक सलमान ने बताया कि हमारी फैक्ट्री में तैयार चप्पल 100 रुपये तक बिक रही है। हमने दिव्यांगों की एक संस्था के बैनर तले सोशल मीडिया पर अपने काम को शेयर किया। सलमान की मां हमीरपुर की वर्तमान प्रधान हैं। उनसे पहले सलमान के पिता मोहम्मद अच्छन इस गांव के प्रधान रहे हैं। बताया जा रहा है कि एक सप्ताह पहले पीएमओ ने मुरादाबाद के अधिकारियों से सलमान के बारे में जानकारी मांगी थी।

अब पीएम मोदी ने ‘मन का बाात’ में सलमान की तारीफ करते हुए कहा, आप भी ये गौर करिए कि सलमान खुद से चलने में दिक्कत थी, लेकिन उन्होंने दूसरों का चलना आसान करने वाली चप्पल बना दी। सलमान ने सभी दिव्यांगों को ट्रेनिंग दी। सलमान ने 100 और दिव्यांगों को रोजगार देने का संकल्प लिया है।