क्रिप्टो करेंसी का ग़ुब्बारा

Frankfurt, Hesse, Germany - April 17, 2018: Many coins of various cryptocurrencies

अचानक तेज़ी से चलन में आयी क्रिप्टो करेंसी पर संकट मंडरा रहा है। क्रिप्टो करेंसी का मतलब है- प्रच्छन्न अर्थात् गुप्त मुद्रा। यह एक डिजिटल करेंसी है, जो बटुए में नहीं है; परन्तु है। फिर भी कुछ देशों में इस क्रिप्टो करेंसी से सब कुछ ख़रीदा और बेचा जा रहा है। परन्तु अक्टूबर के पहले पखवाड़े के अन्त में असली क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन में 75 प्रतिशत की गिरावट ने इस डिजिटल करेंसी की अस्थिरता का भाँडा फोड़ दिया। क्रिप्टो करेंसी की इस बड़ी गिरावट ने कई अमीरों की अमीरी छीन ली। कुछ की भारी-भरकम अमीरी का तो स$फाया ही हो गया, जबकि क्रिप्टो करेंसी के कई निवेशकों को जबरदस्त घाटा हुआ है।

इस गिरावट से एक झटके में बाज़ार में टिके रहने का और अमीरी का भ्रम टूट गया। एक समय ऐसा भी था, जब बिटकॉइन को गोल्ड या यूएस डॉलर से भी अधिक मूल्यवान बताया जा रहा था। उस समय समझदार अर्थ शास्त्रियों ने इस करेंसी को लेकर चेतावनी दी थी कि यह एक भ्रामक करेंसी है, जो कभी भी घाटे का सौदा हो सकती है। कुछ अर्थ शास्त्रियों ने तब इसके नुक़सान गिनाते हुए कहा था कि क्रिप्टो करेंसी आने वाले समय में नुक़सानदायक साबित होगी, क्योंकि इसकी क़ीमतें बेहद अस्थिर हैं। क्रिप्टो करेंसी पर किसी बैंक या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, क्योंकि यह एक पीयर-टू-पीयर व्यवस्था है, जो किसी को भी, कहीं भी भुगतान करने और भुगतान प्राप्त होने को तो सक्षम बनाती है, परन्तु ये किसी के बटुए में नहीं है, बस डिजिटल खाते में है। इसलिए सभी देशों की सरकारें क्रिप्टो करेंसी को लेकर एकमत नहीं हैं। कुछ देशों ने क्रिप्टो करेंसी को करेंसी माना ही नहीं है, तो कुछ देशों में सरकारों ने इसे वैधानिक करार दे दिया है।

बड़े अपराधी मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध ख़रीदारी जैसी अवैध गतिविधियों में क्रिप्टो करेंसी का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ रिपोट्र्स ने तो दावा किया है कि ड्रग्स माफ़िया डार्क वेब के माध्यम से क्रिस्टो करेंसी का इस्तेमाल ड्रग्स बेचने और ख़रीदने के लिए भी कर रहे हैं। नोटों की तरह दिखायी न देने वाली यह क्रिप्टो करेंसी हैकर्स की पसन्दीदा है। क्रिप्टो करेंसी का एक बड़ा नुक़सान यह है कि इंटरनेट कनेक्शन वाले कम्प्यूटर की मदद से कोई भी इसे हासिल कर सकता है। इस प्रक्रिया को क्रिस्टो करेंसी की माइनिंग यानी खनन कहते हैं। परन्तु इसके लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। हालाँकि क्रिप्टो करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की वजह से सुरक्षित भी है, परन्तु इसके क्रिप्टो एक्सचेंज और वॉलेट को हैक करने के मामले भी कम नहीं हैं। कई बार हैकर्स ने लाखों डॉलर की क़ीमत की क्रिस्टो करेंसी उड़ा ली है। बिटकॉइन के अतिरिक्त दूसरी क्रिप्टो करेंसी का तो और भी बुरा हाल है, जिनमें से कई एक ही साल में 80 से 90 प्रतिशत तक गिर गयी हैं।

अमेरिका में रहने वाली भारतीय मूल की अर्थशास्त्री अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने भारत सरकार को क्रिप्टो करेंसी को नियामक बनाने की सलाह दी थी। उन्होंने क्रिस्टो करेंसी को विश्व की उभरती अर्थ-व्यवस्थाओं के हित में बताते हुए इसे रेगुलेट करने की सलाह दी थी। क्रिस्टो करेंसी पर एक वैश्विक नीति बनाने का सुझाव देते हुए गीता गोपीनाथ ने कहा था कि क्रिप्टो करेंसी के कई एक्सचेंज ऑफशोर हैं और वे किसी विशेष देश के नियमों के अधीन नहीं हैं। उन्होंने वैश्विक नीति वैश्विक नीति की वकालत करते हुए गीता गोपीनाथ ने कहा था कि कोई भी देश इस समस्या को अपने दम पर हल नहीं कर सकता है, क्योंकि क्रिप्टो करेंसी ट्रांजेक्शन आसानी से सीमा पार से किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि इस पर तत्काल एक वैश्विक नीति की ज़रूरत है।

सन् 2021 में भारतीय रिजर्व बैंक ने तैयारी तेज़ कर दी और 17 दिसंबर, 2021 को देश के इस सबसे बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने एक बैठक की, जिसमें क्रिप्टो करेंसी नियामकीय दायरे में लाने को लेकर गम्भीरता से चर्चा हुई थी। इस बैठक में क्रिप्टो करेंसी के दुरुपयोग की आशंका जतायी गयी थी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास कई बार ज़ोर देकर कहा है कि क्रिप्टो करेंसी के दाम में उतार-चढ़ाव और इसमें छोटे निवेशकों की बढ़ती हिस्सेदारी चिन्ता के विषय हैं। हालाँकि आरबीआई ने 1 दिसंबर को डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। पिछला आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टो करेंसी को डिजिटल रुपया कहते हुए इशारे-इशारे में इसे आम लोगों के लिए उपयोगी साबित करने की कोशिश की थी और कहा था कि क्रिप्टो करेंसी पर सरकार 30 प्रतिशत टैक्स लेगी। उन्होंने कहा था कि डिजिटल करेंसी आने से फ़िलहाल जो करेंसी मैनेजमेंट का सिस्टम है, वो का$फी आसान और सस्ता हो जाएगा।

हालाँकि भारत में अभी क्रिप्टो करेंसी को क़ानूनी मान्यता नहीं मिली है। फिर भी लाखों भारतीयों में क्रिप्टो करेंसी को लेकर का$फी उत्साह है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके लिए कई बार विचार कर चुके हैं और बोल भी चुके हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टो करेंसी बिल बनाने को लेकर कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें उन्होंने क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करने के लिए और मज़बूत क़दम उठाने के संकेत दिये। भारत सरकार का मानना है कि क्रिप्टो करेंसी बिल लाने के लिए इसके उपभोक्ताओं के रुझान को भी देखा जाना चाहिए, परन्तु क्रिप्टो करेंसी के रेगुलेट न होने से इसका उपयोग टेररिस्ट फीडिंग और काला धन की आवाजाही में हो सकता है।

अब अगर कोई क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वाला हो, तो सोच-समझकर और पूरी छानबीन के बाद ही करे। अन्यथा बड़ी आसानी से ठगों का शिकार बन सकता है और पैसा गँवा सकता है। ये लोगों के लिए क्रिप्टो करेंसी नयी है, जिसकी बाज़ार में उपयोगिता तो बढ़ी है, परन्तु इसमें अस्थिरता है। रातोंरात अमीर बनने का सपना देखने वाले युवाओं को क्रिप्टो करेंसी में दिलचस्पी है, तो उन्हें और भी सोच-समझकर इसमें पैसा लगाना चाहिए। ध्यान रखना होगा कि क्रिप्टो करेंसी को ऑनलाइन या ऑफलाइन वॉलेट में ही रखी जाती है। अत: नये इन्वेस्टर ऑनलाइन वॉलेट का उपयोग करें, तो उनके लिए अच्छा होगा। यह सलाह अर्थ शास्त्रियों की है। नये इन्वेस्टर को क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल के बारे में भी अच्छी तरह समझना होगा, ताकि उन्हें कोई कंगाल न कर दे।

सुरक्षा मानकों के दिशा-निर्देशों का पालन करें और मोबाइल वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी को न रखें, क्योंकि साइबर ठगों द्वारा मोबाइल पर यह करेंसी आसानी से हैक करके माइनिंग कर ली जाती है। किसी के लिए क्रिप्टो करेंसी सबसे सुरक्षित करेंसी तभी बन सकती है, जब उसे उसके इस्तेमाल और बाज़ार के रुख़ का सही से पता हो। ध्यान रखना होगा कि क्रिप्टो करेंसी क्रिप्टोग्राफी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से मिलकर बनी है। इसी के चलते क्रिप्टो करेंसी बिना दिखने वाले पैसे से दिखने वाले पैसे और एसेट्स के लिए एक नया सेंट्रलाइज्ड सिस्टम डिफाइन करती है। परन्तु इस व्यवस्था में ट्रांजेक्शन को वैरिफाई करने के लिए किसी भी बैंक, क्रेडिट कार्ड कम्पनी अथवा किसी क़रार करने की आवश्यकता नहीं होती है, जिसके चलते इसमें धोखा होने का डर भी अधिक रहता है।

यह सच है कि क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल से समय और रिसोर्स की ख़ूब बचत होती है, परन्तु ख़तरा भी उतना ही अधिक रहता है। क्योंकि यह थर्ड-पार्टी मिडिएटर का उपयोग नहीं करती है, दो ट्रांजेक्शन करने वाली पार्टियों के बीच क्रिप्टो करेंसी ट्रांसफर हो जाती है। क्रिप्टो करेंसी के उछाल को देखकर पहले जिन लोगों में बहुत उत्साह था, अब इसके नुक़सान और एक साथ गिरने से उन्हीं लोगों में डर भी बैठ गया है। इसमें ऋणदाताओं की बाढ़ भी बहुत तेज़ी से आयी है, जो रातोंरात अमीर बनने का सपना देखने वालों को तेज़ी क़र्ज़दार बना रहे हैं। क्रिप्टो करेंसी की कमियाँ और नुक़सान जानने के बावजूद लोगों का इसके प्रति रुझान कुछ समय पहले तक देखने लायक था।

क्रिप्टो एक ग़ुब्बारे की तरह फटाफट फूला और एक ही झटके में पलक झपकते ही फूट गया। सारी हवा निकल गयी और इसके प्रशंसकों की बोलती बन्द हो गयी। कुछ लोग इसे अब भी बढ़ावा देने में लगे हैं। कई सेलेब्रिटी ब्रांड एम्बेसेडर बनकर क्रिप्टो करेंसी को मज़बूती देने के लिए मैदान में उतारे गये। एचओडीएल (होल्ड ऑन टु डियर लाइफ) जैसे टर्म बनाये गये, जिसका मक़सद यही था कि लोगों को समझाया जाए कि बाज़ार चाहे जितना भी गिरे, मंदी कितनी भी हो, परन्तु करेंसी मत बेचो। इसी चक्कर में पडक़र जिन लोगों ने इस न दिखने वाली करेंसी में अपना सब कुछ लगा दिया था, ऐसे हज़ारों लोग एक ही झटके में अपना दाँव हार गये और आज खाली हाथ बैठे हैं। आज बाज़ार में इस डिजिटल करेंसी को लगाने के लिए बहुत गम्भीरता से विचार करने की ज़रूरत है। अन्यथा पछताना भी पड़ सकता है।