क्या सीएए से सम्भव है संवैधानिक संकट?

भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह की हठ और भाजपा नेताओं के बयान के बाद अब कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि राज्यों को संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए लागू करना ही पड़ेगा। हालाँकि अगले ही दिन कपिल सिब्बल अपनी बात से मुकर गये। फिर भी कई सवाल ज़ेहन में उठने लगे हैं; मसलन- क्या राज्यों को इस कानून को लागू करना ही पड़ेगा? क्या संशोधित नागरिकता कानून को राज्यों में लागू करना किसी संवैधानिक संकट का कारण बनने जा रहा है? तकरीबन दर्जन भर राज्य इसे लागू करने से मना कर चुके हैं। देखना होगा कि इस कानून को लेकर केंद्र सरकार की ज़िद चलेगी या राज्यों का हठ? फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

तमाम कांग्रेस शासित राज्य केरल और पश्चिम बंगाल सहित गैर-भाजपा राज्य नागरिकता संशोधन कानून को अपने राज्यों में लागू नहीं करने का ऐलान कर चुके हैं। इसके विरोध में प्रदर्शन भी जारी हैं। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जानेमाने वकील कपिल सिब्बल ने कहा है कि कोई भी राज्‍य यह नहीं कर सकता है कि वह इस संशोधित कानून को लागू नहीं करेगा। उनके मुताबिक, ऐसा करना असंवैधानिक होगा। अगर राज्य इसे लागू करने से मना करेंगे, तो क्या किसी तरह का संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा, यह बड़ा सवाल है। हालाँकि अगले ही दिन कपिल सिब्बल बयान से पलट गये।

फिर भी सवाल है कि एक तरफ केंद्र सरकार ज़िद करके इस कानून को देश भर में लागू करना चाहती है, तो दूसरी ओर तकरीबन दर्जन भर राज्य सरकारें इसे अपने यहाँ लागू करने से मना कर रही हैं। ऐसे में सवाल यह है कोई राज्य जब इसे लागू नहीं करने पर अड़ जाएगा, तो क्या उस राज्य की सरकार के बर्खास्त होने जैसी नौबत भी आ सकती है? केरल सरकार विधानसभा इसके िखलाफ प्रस्ताव पास करके इस कानून के िखलाफ सर्वोच्च न्यायालय जा चुकी है, जबकि पंजाब की सरकार ने भी विधानसभा में इसके िखलाफ प्रस्ताव लाकर अपने इरादे जता दिये हैं।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि अगर सीएए को संसद ने पारित कर दिया है, तो कोई भी राज्‍य यह नहीं कह सकता कि वह इसे लागू नहीं करेगा। आप विधानसभा में प्रस्‍ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की माँग कर सकते हैं; लेकिन यह नहीं कह सकते कि हम इसे लागू नहीं करेंगे। इससे संवैधानिक समस्‍याएँ पैदा हो सकती हैं। यहाँ यह सवाल उठता है कि तो क्या वास्तव में नागरिकता कानून को लेकर राज्य सरकारों के विरोध को देखते हुए देश में संवैधानिक संकट जैसी स्थिति पैदा होने का खतरा पैदा हो रहा है? यह तो साफ है कि इसे लेकर राज्यों और  केंद्र के बीच ज़बरदस्त रस्साकसी चल रही है और टकराव की सम्भावनाएँ हैं। िफलहाल मामले में कई पाॢटयों और लोगों ने इस कानून को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में दर्ज़नों याचिकाएँ दायर की हैं। अब शीर्ष अदालत तय करेगी कि इस कानून का भविष्य क्या होगा?

पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के िखलाफ राज्य विधानसभा में 17 जनवरी को जो प्रस्ताव पेश किया उसमें सरकार के मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने कहा कि संसद की ओर से पारित सीएए से देश भर में विरोध-प्रदर्शन हुए और इससे लोगों में काफी गुस्सा है। उन्होंने कहा है कि इससे सामाजिक अशान्ति पैदा हुई है। मोहिंद्रा ने कहा कि इस कानून के िखलाफ पंजाब में भी विरोध-प्रदर्शन हुआ जो कि शान्तिपूर्ण था। इसमें समाज के सभी तबके के लोगों ने हिस्सा लिया था। अब यह तो लगभग साफ हो चुका है कि मोदी सरकार के मंत्रियों को यह दावा वज़नदार नहीं था कि संशोधित नागरिकता कानून के िखलाफ सिर्फ एक समुदाय (मुस्लिम) ही सडक़ों पर उतरे। इसमें सभी धर्मों के लोग हैं और बड़े पैमाने पर सभी धर्मों से जुड़े छात्र इसके िखलाफ खड़े हो चुके हैं। बहुत लम्बे समय के बाद देश भर के विश्विविद्यालय परिसरों में किसी कानून के िखलाफ छात्रों की ऐसी एकजुटता देखने को मिली और शायद यही कारण है मोदी सरकार इससे चिन्ता में पड़ी है। राज्यों के विरोध की बात करें, तो केरल में राज्यपाल और प्रदेश की माकपा सरकार के बीच अभी से इस मसले पर ज़बरदस्त तनातनी शुरू हो गयी है। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान कई बार केरल सरकार को चेता चुके हैं कि राज्य सरकार के पास इस कानून को लागू करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा है कि इस कानून को अनुच्छेद-254 के तहत लागू करना होगा। आप इसे किसी भी कीमत पर लागू करने से इन्कार नहीं कर सकते। यह आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। राज्यपाल का तर्क है कि आप अपनी बुद्धि का उपयोग करके तर्क दे सकते हैं, आपको इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है; लेकिन नागरिकता अधिनियम संघ सूची का विषय है और राज्य का विषय नहीं है। राज्यपाल कह चुके हैं कि वो रबर स्टाम्प नहीं हैं; मूक दर्शक नहीं रह सकते। उन्होंने केरल के मुख्य सचिव से रिपोर्ट भी तलब की है।