क्या मुख्यमंत्री के बेटे से पूछताछ राजनीतिक प्रतिशोध है?

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंदर सिंह की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। उनके खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबन्धन अधिनियम (फेमा) मामले में 2016 में दर्ज मामले में कमोवेश शान्ति थी। लेकिन 19 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने उनसे गहन पूछताछ की। पंजाब के मुख्यमंत्री के बेटे को पूछताछ के लिए बुलाने पर कांग्रेस ने दावा किया कि यह पंजाब सरकार द्वारा मोदी सरकार के कृषि कानूनों को नकारकर राज्य में सहूलियत भरे कृषि कानून लाने का नतीजा है। श्वेता मिश्रा की रिपोर्ट :-

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों, जिनका पंजाब और अन्य जगहों पर किसान विरोध कर रहे हैं, के खिलाफ चल रहे आन्दोलन के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंदर सिंह से स्विट्जरलैंड में धन के कथित लेन-देन और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स के टैक्स हेवन (ऐसे देश जहाँ नाममात्र का ही टैक्स होता है) में एक ट्रस्ट के निर्माण और विदेश में अघोषित सम्पत्ति और उस पर कब्ज़ा करने को लेकर पूछताछ की गयी थी। उनके वकील जयवीर शेरगिल ने कहा कि रणइंदर सिंह से छ: घंटे तक पूछताछ की गयी और उनका बयान दर्ज किया गया। इस बात पर कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस के नेताओं ने उत्तेजित स्वरों में इसे राजनीतिक प्रतिशोध का मामला बताया। हालाँकि खुद मुख्यमंत्री के बेटे ने विवाद में पढऩे से बचते हुए सिर्फ इतना ही कहा कि आप ऐसा अनुमान लगा सकते हैं।

 विदेशों में सम्पत्तियों के कथित मामले की जाँच सबसे पहले आयकर विभाग ने की थी। रणइंदर सिंह को पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 6 नवंबर को बुलाया था; लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से न आ सकने की बात कही। इससे पहले भी वह 27 अक्टूबर को पूछताछ के लिए नहीं पहुँचे थे। उन्होंने दावा किया कि उहें राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में संसदीय स्थायी समिति के साथ बैठक में हिस्सा लेना था।

अगस्त में ईडी ने अमरिंदर और उनके बेटे के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा दायर नये दस्तावेज़ों के निरीक्षण के लिए लुधियाना की अदालत में तीन आवेदन दायर किये थे।

ईडी ने 2016 में आयकर विभाग की शिकायत पर रणइंदर सिंह के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी, जिसमें कहा गया था कि रणिंदर ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में कथित तौर पर उनके स्वामित्व वाले ट्रस्टों के बारे में झूठ बोला था।

पंजाब के मुख्यमंत्री के बेटे को बुलाने के कारण कांग्रेस का दावा था कि यह पंजाब सरकार का अपने कृषि कानून लाने का नतीजा है। यह इस साल में तीसरी बार है, जब रणइंदर सिंह को ईडी ने समन किया है। 27 अक्टूबर को वह राज्यसभा में एक बैठक और फिर 6 नवंबर को (उसी मामले में) स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए ईडी के सामने आने में विफल रहे। वह आखरी बार 21 जुलाई, 2016 को ईडी के सामने पेश हुए थे। रणइंदर सिंह ने कहा- ‘मैं एक कानून का पालन करने वाला नागरिक हूँ और ईडी के सामने आया हूँ। जब भी ईडी या किसी सरकारी एजेंसी से पूछताछ के लिए बुलाया जाता है, मैं हाज़िर होने के लिए तैयार हँू। हम जाँच में अधिकारियों के साथ सहयोग करना जारी रखेंगे।’

कांग्रेस के प्रमुख नेता जहाँ ईडी के उन्हें समन भेजने के समय को देखते हुए राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगा रहे हैं, वहीं रणइंदर सिंह ने कहा- ‘मैं इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। क्योंकि मामला जाँच के अधीन है। मैं इसे आपके फैसले पर छोड़ता हूँ।’ पूछताछ की लम्बी अवधि पर टिप्पणी करते हुए वकील शेरगिल ने कहा कि यह ईडी की मानक संचालन प्रक्रिया है। उसने पहले भी पाँच घंटे तक पूछताछ की थी। हम सभी सहयोग कर रहे हैं।

ईडी जाँच विदेश में अर्जित सम्पत्तियों की जाँच और धन की आवाजाही पर फोकस रख  रही है। इस मामले में पहले भी आयकर विभाग द्वारा जाँच की गयी थी। आयकर विभाग की जाँच में आरोप लगाया गया था कि परिसम्पत्तियों के पूर्ण प्रकटीकरण में विसंगतियाँ थीं। हालाँकि इस आरोप को रणइंदर सिंह ने अस्वीकार किया था।

रणइंदर सिंह को समन ईडी के उनके खिलाफ विदेश में अघोषित सम्पत्ति के कथित कब्ज़े के सम्बन्ध में विदेशी मुद्रा प्रबन्धन अधिनियम (फेमा) के तहत दर्ज एक मामले से सम्बन्धित हैं। इस मामले में एजेंसी ने उनसे 2016 में भी पूछताछ की थी और स्विटजरलैंड को धन के कथित लेन-देन, एक ट्रस्ट बनाने और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में कुछ सहायक कम्पनियों को लेकर पूछा गया था। विदेशों में सम्पतियाँ होने के कथित मामलों की जाँच सबसे पहले आयकर विभाग ने की थी। रणिंदर सिंह ने तब किसी भी गलत काम से साफ इन्कार किया था। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उनके बेटे रणइंदर सिंह ने दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करते हुए अदालत के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें ईडी को उनके खिलाफ चल रहे तीन कथित कर चोरी मामलों में नये रिकॉर्ड का निरीक्षण करने की अनुमति दी थी। आयकर विभाग ने लुधियाना की अदालत में कहा कि पिता-पुत्र की जोड़ी द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिकाएँ खारिज की जानी चाहिए। इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल कसाना की अदालत कर रही है।

अदालत ने आयकर विभाग के वकील राकेश के गुप्ता द्वारा याचिकाकर्ता (रणजीत सिंह) के माध्यम से अदालत में दाखिल जवाब पढ़ते हुए कहा कि इसलिए यह प्रार्थना की जाती है कि संशोधन याचिका को कृपया लागत के साथ खारिज करने का आदेश दिया जा सकता है। संशोधन याचिका दायर करने के लिए कोई लोकस स्टैंडी (सुने जाने का अधिकार) नहीं था और यह वर्तमान रूप में बनाये रखने योग्य नहीं है। ईडी द्वारा लुधियाना की अदालत में 14 अगस्त को पेश किये गये एक आवेदन में एजेंसी ने यह दलील दी थी कि वह कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके बेटे के खिलाफ पहले से चल रहे तीन मामलों में आयकर विभाग द्वारा दर्ज ताज़ा रिकॉर्ड और दस्तावेज़ों के निरीक्षण की अनुमति माँग रही थी। सहायक निदेशक, ईडी की ओर से दायर आवेदन में कहा गया था कि विषय-वस्तु विदेशी मुद्रा प्रबन्धन अधिनियम (फेमा), 1999 के दायरे में आती है और इसलिए एजेंसी इस मामले की जाँच के लिए अधिकृत है।

ईडी द्वारा कैप्टन अमरिंदर और उनके बेटे के आयकर रिकॉर्ड की जाँच पहले से चल रही थी। ताज़ा आवेदन में ईडी कहता है कि जाँच को तार्किक अन्त तक लाने के लिए आयकर विभाग द्वारा संलग्न दस्तावेज़ों की जाँच की जानी चाहिए।

18 सितंबर को न्यायिक मजिस्ट्रेट जसबीर सिंह की अदालत ने ईडी के आवेदन पर  कैप्टन और उनके बेटे के नये आयकर रिकॉर्ड का निरीक्षण करने के लिए जाँच एजेंसी को अनुमति दी थी। अदालत ने ईडी को 28 सितंबर को निरीक्षण करने की अनुमति दी थी। हालाँकि 25 सितंबर को अतिरिक्त ज़िला और सत्र न्यायाधीश अतुल कसाना की अदालत ने रणइंदर सिंह द्वारा दायर संशोधित याचिका को स्वीकार करते हुए एक मामले में 18 सितंबर के आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा-397 के तहत ईडी के निरीक्षण पर स्टे दे दिया। फिर पहली अक्टूबर को इसी अदालत ने दो अन्य मामलों में ईडी के निरीक्षण पर रोक लगा दी, जिनमें एक कैप्टन और दूसरा रणइंदर के खिलाफ था। जवाब दाखिल करने के लिए आयकर विभाग और ईडी को नोटिस जारी किये गये थे।

अदालत में दायर किये गये अपने जवाब में आयकर विभाग ने निचली अदालत द्वारा ईडी के निरीक्षण को चुनौती देने वाली अमरिंदर सिंह और रणइंदर सिंह द्वारा दायर संशोधित याचिकाओं को खारिज करने की गुहार लगायी और कहा कि संशोधित याचिका वर्तमान रूप में बनाये रखने योग्य नहीं है और वर्तमान संशोधित याचिका को दायर करने के लिए याचिका में कोई लोकस स्टैंडी (वैध स्थिति) नहीं है। ईडी ने कहा कि कोई संशोधन याचिका अंत:-सम्बम्धी आदेश के खिलाफ बनाये रखने योग्य नहीं है। चुनौती के तहत आदेश एक संवादात्मक आदेश है; इसलिए यह प्रार्थना की जाती है कि संशोधन याचिका को लागतों के साथ खारिज करने का आदेश दिया जा सकता है। आयकर विभाग के वकील राकेश के गुप्ता ने कहा कि हम यह टिप्पणी नहीं कर सकते हैं कि आयकर रिकॉर्ड के निरीक्षण की अनुमति को ईडी को दी जानी चाहिए या नहीं। यह अदालत को तय करना है। हमने अपने जवाब में प्रस्तुत किया है कि अमरिंदर सिंह और रणइंदर सिंह द्वारा दायर संशोधन याचिकाओं को खारिज किया जाना चाहिए। इससे पहले 16 अक्टूबर को ईडी ने अपने जवाब में कहा था कि यह एक स्वतंत्र जाँच एजेंसी है और इस तरह उसे अमरिंदर सिंह और रणइंदर सिंह के आयकर मामलों का निरीक्षण करने का अधिकार है। ईडी ने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ताओं को ऐसे मामलों में संशोधन याचिका दायर करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। क्योंकि उन्हें अभी तक ट्रायल कोर्ट द्वारा नहीं बुलाया गया है। रणइंदर सिंह के वकील गुरमुख सिंह ने कहा कि मामला अब 4 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

इस बीच अमरिंदर और रणइंदर के खिलाफ चल रहे तीन आयकर चोरी मामले भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पी.एस. कालेका की ट्रायल कोर्ट में जल्द सुनवाई के लिए निर्धारित हैं। कैप्टन के खिलाफ आयकर अधिनियम की धारा-277 (सत्यापन का झूठा बयान) के तहत मामला दर्ज किया गया है; जबकि रणइंदर के खिलाफ एक मामला धारा-276 ‘सी’ (कर चोरी) के तहत और दूसरा आयकर अधिनियम की धारा-277 के तहत शिकायतकर्ता आयकर विभाग की तरफ से दर्ज है।