क्या कोहली को छोड़ देनी चाहिए कप्तानी?

पिछले काफ़ी समय से इस दिग्गज ने नहीं लगाया एक भी शतक

एक कप्तान के रूप में भले विराट कोहली सफल हैं; लेकिन उनकी बल्लेबाज़ी पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। वह भारतीय क्रिकेट टीमों के तीनों फार्मेट के कप्तान हैं और हाल के महीनों में क्रिकेट प्रेमी उनके बल्ले से एक अदद शतक देखने के लिए तरस गये हैं। विराट में अभी क्रिकेट बची है और यदि कप्तानी के बोझ से उनका बल्ला ख़ामोश रहता है, तो इसका उनके करियर पर असर पड़ सकता है। ऐसे में यदि वह तीनों फार्मेट की जगह एक ही फार्मेट की कप्तानी करते हैं, तो यह उनके करियर को लम्बा खींचने में मददगार हो

सकता है। हाल के इंग्लैंड दौरे में यह साबित हुआ है कि एक तरह से विराट एक कप्तान के रूप में सफल हैं। अन्तिम टेस्ट रद्द होने के समय विराट की टीम 2-1 से आगे थी। यदि सीरीज का फ़ैसला घोषित हो गया होता, तो 22 साल के बाद इंग्लैंड में भारत की यह पहली जीत होती।

दूसरी बड़ी बात यह है कि विराट अब क़रीब 33 साल के हो रहे हैं। इसमें कोई दो-राय नहीं कि विराट आज की तारीख़ में दुनिया के सबसे बेहतर क्रिकेटर्स में एक हैं। मैदान पर उनकी फील्डिंग का जलवा देखने लायक होता है। विराट में तीनों फॉर्मेट में खेल सकने की क्षमता है। दुनिया भर के बल्लेबाज़ों में शतकों के मामले में वह काफ़ी आगे हैं। दुनिया के चौथे सबसे सफल टेस्ट कप्तान भी हैं। लेकिन एक सच यह भी है कि कोहली सन् 2019 के बाद एक भी शतक नहीं लगा पाये हैं। ख़राब प्रदर्शन के कारण कोहली को आलोचना का भी शिकार होना पड़ रहा है।

कोहली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में क़दम रखने के बाद से ही धमाकेदार प्रदर्शन किया है। शतक जडऩे के मामले में उनकी बराबरी इक्का-दुक्का खिलाड़ी ही कर पाये हैं। यह इस बात से साबित हो जाता है कि कोहली के बाद जिस खिलाड़ी का नाम आता है, वो उनसे 20 शतक पीछे है। विराट ने सन् 2009 में पहला शतक ठोका था और विराट कोहली के बल्ले से आख़िरी शतक नवंबर, 2019 में निकला, जब उन्होंने बांग्लादेश के ख़िलाफ़ पिंक बाल टेस्ट मैच में शतक जड़ा था। सन् 2009 से सन् 2019 तक विराट कोहली अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 70 शतक जड़ चुके थे और वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज़्यादा शतक जडऩे के मामले में सचिन तेंदुलकर (100 शतक) और रिकी पोंटिंग (71 शतक) के बाद तीसरे नंबर पर हैं।

शतकों की जो गति कोहली ने बना रखी थी, यदि वह बरक़रार रहती, तो वह अब तक रिकी पोंटिंग को पीछे छोड़ चुके होते। इस दौरान कोहली ने 50 से ज़्यादा पारियाँ खेली हैं; लेकिन शतक नहीं जड़ पाये। कोहली के अंतरराष्ट्रीय करियर में ऐसा पहली बार ही हुआ है, जब वह इतनी पारियों के बाद भी शतक नहीं जड़ सके हैं।

ख़राब प्रदर्शन से जूझ रहे कोहली ने आख़िरी बार टेस्ट में नवंबर, 2019 में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ शतक लगाया था। इसके बाद से टेस्ट में उनका औसत 25 के आसपास ही रहा है। हालाँकि वनडे में उनका प्रदर्शन थोड़ा बेहतर है और उनका औसत 43 से ऊपर है। यहाँ बता दें कोहली सचिन तेंदुलकर के 49 वनडे शतक से छ: क़दम दूर हैं। नवंबर, 2019 में आख़िरी बार टेस्ट शतक लगाने के बाद कोहली ने आठ टेस्ट मैचों में चार अर्धशतक लगाये हैं। टेस्ट की तुलना में कोहली वनडे में थोड़े बेहतर रहे हैं और उन्होंने आठ अर्धशतक लगाये हैं।

कप्तान बनने योग्य खिलाड़ी

भारत में ऐसे खिलाडिय़ों की कमी नहीं, जो अपने अनुभव या नेतृत्व के गुणों के कारण कप्तान बनने की क्षमता रखते हैं। अनुभवी खिलाडिय़ों में सबसे पहला नाम आता है- रोहित शर्मा का। लेकिन क्रिकेट के जानकार जिस खिलाड़ी को कप्तानी का ज़िम्मा देने की वकालत करते हैं, वह हैं- ऋषभ पंत।

श्रेयस अय्यर की अनुपस्थिति में फ़िलहाल स्थगित वर्तमान आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स की जैसी कप्तानी ऋषभ ने की, उससे उन्होंने क्रिकेट के कई दिग्गजों को अपना मुरीद बना लिया है। इनमें अंतर्राष्ट्रीय दिग्गज भी शामिल हैं। हाल के महीनों में पंत टीम इंडिया में तीनों फॉर्मेट में अपनी जगह पक्की कर चुके हैं। उनके अलावा शुभमन गिल को भी कप्तानी के दिमाग़ वाला खिलाड़ी माना जाता है। गिल के करियर की शुरुआत भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे की टेस्ट सीरीज से हुई थी। गिल ने तब पैट कमिंस जैसे गेंदबाज़ के विपरीत बहुत बेहतर तरीक़े से खेला था।  इस क्रम में तीसरा नाम श्रेयस अय्यर का है। आईपीएल-2018 में दिल्ली डेयरडेविल्स के कप्तान बने अय्यर के नेतृत्व में आईपीएल-2020 में अब दिल्ली कैपिटल्स की टीम फाइनल में पहुँची थी।