कोरोना से नहीं डिगा कोटा कोचिंग का हौसला

प्रतिष्ठा क़ायम रखना आसान काम नहीं है। ख़ासकर कोरोना वायरस के कहर में जब स्थितियों के नियंत्रण से बाहर जाने का अंदेशा उत्पन्न हो गया है, कोटा कोचिंग ने अपनी श्रेष्ठता की विरासत बरक़रार रखते हुए एक बार फिर लम्बी छलाँग लगायी और जेईई-मेन्स में अखिल भारतीय स्तर पर शीर्ष रैंकिंग में शुमार किये जाने वाले छ: स्थानों में से चार पर क़ब्ज़ा जमा लिया। एलन कोचिंग की धाक क़ायम रखते हुए काव्या चोपड़ा ने 300 में से 300 अंक लाकर साबित कर दिया कि कोटा कोचिंग को सिरमोर बनाये रखने में कोरोना को बाधक नहीं बनने दिया जाएगा।

पिछले लॉकडाउन के दौरान 50,000 से ज़्यादा छात्रों की सकुशल वापसी के साथ केयरिंग सिटी के रूप में अपनी विश्वसनीयता साबित कर कोटा कोचिंग एक बार फिर पुराने जोश के साथ सक्रिय है। कोरोना के कहर के चलते कोटा की यादों के साथ अपने घरों को लौट रहे विद्यार्थी यहाँ की पढ़ाई के माहौल को लेकर अत्यंत भावुक नज़र आये। राहुल पारीक ने बताया कि कोटा में पढ़ाई का अच्छा माहौल है। लेकिन मजबूरी में उन्हें लौटना पड़ रहा है। हालात सुधर जाएँगे, तो वह वापस आना चाहेंगे। अक्षय ने कहा कि कोटा कोचिंग का कोई मुक़ाबला नहीं है। यहाँ की सबसे बड़ी विशेषता नियमित और साल भर चलने वाला शिक्षा सत्र है। आज जब छात्र कोटा वापस लौट रहे हैं, तो उम्मीदों की तस्दीक़ हो रही है। एलन करियर के निदेशक गोविंद माहेश्वरी कहते हैं कि साल भर लॉकडाउन, ऑनलाइन शिक्षा तथा कफ्र्यू सरीखी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इंजीनियरिंग तथा मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी में हमने न केवल अपनी साख को बनाये रखा, बल्कि श्रेष्ठ परिणाम भी जारी रखे। हम जो कहते हैं, वही करते हैं। नीट के नतीजों में हमारे यहाँ के छात्र शोएब आफ़ताब ने 720 में से 720 अंक लाकर इतिहास रच दिया। हमारे यहाँ शिक्षकों से आसानी से सम्पर्क किया जा सकता है। पढ़ाई यहाँ बोझिल नहीं है। छात्रों का शिक्षकों से आसानी से सम्पर्क रहता है, जिससे वे कम समय में बेहतर तैयारी कर सकते हैं।

हालाँकि कोरोना वायरस के चलते शैक्षिक व्यवस्था में निरंतर बदलाव आ रहा है। छात्रों की सुविधा, इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लक्ष्य को देखते हुए अलग-अलग समयावधि के पाठ्यक्रम शुरू किये गये हैं।

एलन करियर द्वारा 31 शैय्याओं वाले आरोग्यतम अस्पताल की शुरुआत से कोटा कोचिंग के सर्वोच्च सिद्धांतों का पता चलता है कि स्वाथ्य के प्रति वे कितने जागरूक हैं। अस्पताल पूरी तरह छात्रों को समर्पित है। बीमार होने की स्थिति में हॉस्टल में ही क्वारंटाइन (एकांतवास) करने की व्यवस्था की हुई है। प्रवेश द्वार पर सेनेटाइजेशन और टेम्पेरेचर लेने की व्यवस्था है।

24 घंटे खुले रहने वाले रेस्तरां और देर रात तक पढऩे वाले छात्रों के खाने की ज़रूरत भी यहाँ पूरी होती है। छात्रा अंकिता श्रीवास्तव कहती हैं कि पढ़ाई के लिए कोटा कोचिंग आदर्श स्थान है। यहां पढ़ाई के दौरान छात्रों से सीधा सम्बन्ध होता है। यहाँ की हवा में ही पढ़ाई घुली हुई है।

मोशन कोचिंग के निदेशक नितिन विजयवर्गीय कहते हैं कि कोरोना के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना तो हमारी प्राथमिकता है ही; लेकिन चिकित्सा सुविधा, जो छात्रों को एक क्लिक पर उपलब्ध है; सबसे बड़ी बात है।

वाइब्रेट एकेडमी के निदेशक महेंद्र सिंह चौहान कोटा कोचिंग की विश्वसनीयता को परिभाषित करते हुए कहते हैं कि विद्यार्थियों को सफलता का क्षुद्र रूप (शॉर्टकट) नहीं सिखाया जाता, बल्कि उन्हें इस योग्य बनाया जाता है कि सफलता उनके पीछे भागे। कोटा डिस्ट्रिक्ट सेंटर हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक माहेश्वरी कहते हैं कि विद्यार्थी ही इसकी धुरी हैं। हम सुरक्षा और उसके सभी मानदण्डों पर खरे उतरे हैं।

कोरलपार्क हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल कहते हैं कि विद्यार्थियों को घर जैसा माहौल ही हमारा मूल मंत्र है। हम कोशिश करते हैं कि छात्र निश्चिंत होकर अपना उज्ज्वल भविष्य निर्मित कर सकें। कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने कहा कि ज्ञान की खोज के लिए आने वाले हर छात्र के लिए कोटा का सफ़र ख़ास है और हमारे लिए हर छात्र ख़ास है। ऐसा तभी हो सकता है, जब हमारी व्यवस्थाएँ हों और इसमें कोई सन्देह नहीं है।