कोरोना वायरस क्या तीसरी लहर भी मचाएगी तबाही?

डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि अगर तीसरी लहर से अभी नहीं निपटा गया, तो भयावह परिणाम भुगतने होंगे,
भाजपा ने दिल्ली सरकार से कहा हर रोज़ आएँगे 40 हज़ार नये मामले, सरकार ठीक से कर ले तैयारी

अभी दुनिया कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रही है कि इसकी तीसरी लहर ‘डेल्टा वैरिएंट’ ने दस्तक दे दी है। हर कोई तीसरी लहर के ख़ौफ़ से सहमा हुआ है; क्योंकि विशेषज्ञ इसे दूसरी लहर से भी ज़्यादा ख़तरनाक बता रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इसे लेकर चेतावनी जारी की है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रॉस ए. गेब्रेयेसिस ने पिछले दिनों कहा कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर अभी शुरुआती दौर में हैं और पूरी दुनिया में अभी इस डेल्टा वैरिएंट से संक्रमितों की संख्या काफ़ी कम है, जिसे गिनती भर का कह सकते हैं। लेकिन अगर इस पर अभी से क़ाबू नहीं पाया गया, तो इसे रोकना असम्भव हो जाएगा है और हमेशा की तरह इस बार भी अगर लापरवाही हुई, तो पहले से भी भयावह परिणाम हमारे सामने होंगे। क्योंकि यह वायरस दुनिया के 111 देशों में दस्तक दे चुका है। यह जिस तेज़ी से फैल रहा है, उससे साफ़ है कि बहुत जल्दी यह पूरी दुनिया को अपनी गिरफ़्त में ले लेगा।
वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि लोगों को समझना होगा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर अभी ख़त्म नहीं हुई है और तीसरी लहर का ख़तरा सिर पर मँडरा रहा है। लेकिन कोरोना महामारी के नियमों में ढील देने से लोग लापरवाह हुए हैं, जो कि घातक हो सकता है।
भारत में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर हैदराबाद के टॉप वैज्ञानिक भौतिक विज्ञानी और हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रो-बाइस चांसलर डॉक्टर विपिन श्रीवास्तव ने दावा किया है कि कोरोना की तीसरी लहर 4 जुलाई को ही दस्तक दे चुकी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर लोगों ने कोरोना दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया और कोरोना-टीका नहीं लगवाया, तो स्थिति भयावह हो सकती है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कम होने के बाद से देखा जा रहा है कि लोग लापरवाही बरत रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी लोगों द्वारा सार्वजनिक स्थानों और पर्यटन स्थलों पर भीड़ लगाये जाने को लेकर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि लोगों को अभी सावधानी बरतने की ज़रूरत है। कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक की आहट मिलते ही दिल्ली समेत कुछ राज्यों में रात्रि निषेधाज्ञा (नाइट कफ्र्यू) भी लागू है।
इधर विश्व भर में जुलाई के दूसरे हफ़्ते में 33.76 लाख कोरोना महामारी के नये मामले सामने आने से दहशत है। जुलाई के पहले हफ़्ते में विश्व में 29.22 लाख मामले सामने आये थे। यानी केवल एक हफ़्ते के अन्तर में कोरोना महामारी के आँकड़ों में 16 फ़ीसदी की वृद्धि हुई। कोरोना महामारी की रफ़्तार का यह हाल तब है, जब इसके तीसरे विषाणु के फैलने की गति अभी धीमी है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी के फैलने की दर अभी भारत में बहुत धीमी है। लेकिन अगर समय रहते इससे नहीं निपटा गया, तो यहाँ तबाही मचते देर नहीं लगेगी। नीदरलैंड में तो कोरोना महामारी की तीसरी लहर के मामलों में 300 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं स्पेन में 64 फ़ीसदी, तो दक्षिण अफ्रीका में 50 फ़ीसदी की वृद्धि इस महामारी में दर्ज की गयी है।
हालाँकि भारत में डेल्टा-3 वैरिएंट का कोई मामला नहीं मिला है, लेकिन जीनोम सीक्वेंसिंग की निगरानी कर रही इन्साकॉग समिति ने भारत को भी इस वायरस से सावधान रहने को कहा है।

टीकाकरण की स्थिति
कोरोना महामारी से बचाव का एकमात्र उपाय कोरोना टीकाकरण बताया जा रहा है। हालाँकि कोरोना टीका लगवाने वालों को कोरोना महामारी नहीं होगी, इसकी कोई गारंटी तो नहीं है; लेकिन इससे जोखिम कम होगा। भारत में क़रीब छ: महीने में क़रीब 40 फ़ीसदी लोगों का टीकाकरण हो चुका है। लेकिन अभी 60 फ़ीसदी लोगों को कोरोना टीकाकरण नहीं हुआ है, जो कि अगले छ: महीने में पूरा किया जाना है।
टीकों की कमी, टीकों के दाम को लेकर केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारों का टकराव, लोगों में टीके के प्रति भय, अंधविश्वास व अफ़वाहों का होना और जागरूकता की कमी अब तक पूर्ण टीकाकरण न होने के मुख्य कारण हैं। वैसे केंद्र सरकार ने कहा है कि इस साल दिसंबर तक देश के हर पात्र नागरिक को टीका लग जाएगा। वहीं कहा जा रहा है कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी कोरोना टीका जल्द ही उपलब्ध होगा।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर को रोकने के लिए दुनिया के हर देश को सितंबर, 2021 तक कम-से-कम अपने देश के 10 फ़ीसदी लोगों का, 2021 के अन्त तक 40 फ़ीसदी लोगों का, जबकि 2022 के मध्य तक 70 फ़ीसदी लोगों का टीकाकरण हो जाना चाहिए।

कोरोना के आँकड़े
भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के आँकड़े जब न के बराबर आने लगे, तो लोगों ने यह मान लिया कि कोरोना वायरस ख़त्म हो गया। यह ग़लती कोरोना महामारी की पहली लहर के जाने के भ्रम के जैसी ही साबित हुई और अब इसकी तीसरी लहर ने देश में दस्तक दे दी। देश में 5 जुलाई से 11 जुलाई के बीच 2 लाख 90 हज़ार कोरोना के नये मामले दर्ज किये गये।
चिकित्सा रिपोट्र्स बताती हैं कि जुलाई के पहले हफ़्तें में प्रतिदिन कोरोना महामारी के नये मामलों का औसत 41,256 था, जबकि उससे पिछले सप्ताह यह 43,668 प्रतिदिन था। लेकिन कई राज्यों में जुलाई के पहले पखवाड़े में कोरोना महामारी के मामले बढ़े हैं। जैसे केरल में जुलाई के पहले पखवाड़े में 8.1 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा देखने को मिला। अरुणाचल प्रदेश में 5 से 11 जुलाई के दौरान कोरोना महामारी के मामलों में 43.8 फ़ीसदी की वृद्धि हुई, जबकि मिजोरम में 42.9 फ़ीसदी, मणिपुर में 26.6 फ़ीसदी और त्रिपुरा में 7.9 फ़ीसदी वृद्धि हुई। हाल ही में देश के एक जाने-माने अखबार ने एक रिसर्च रिपोर्ट का हवाला देते हुए किया है कि भारत में कोरोना से हुई मौतों का जो आँकड़ा दिया गया है, सही आँकड़ा उससे 10 गुना ज्यादा हो सकता है। रिपोर्ट में दावे के मुताबिक, भारत में जून, 2021 तक कोरोना से 30 लाख से 49 लाख मौतें हो चुकी हैं। बताया जा रहा है कि यह रिसर्स रिपोर्ट तैयार करने वालों में केंद्र सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम भी शामिल रहे।

बच्चों में फैल रहा संक्रमण


अब से तीन-चार महीने पहले ही कहा गया था कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर का असर बच्चों पर होगा, यह सच होता प्रतीत हो रहा है। इंडोनेशिया में जुलाई के तीसरे सप्ताह में क़रीब 100 बच्चों की मौत हो गयी। इससे पहले भारत में सैकड़ों बच्चों के कोरोना संक्रमित होने और कुछ मौतों की ख़बरें भी आ चुकी हैं। ऐसे में हम सबको सचेत रहने की आवश्यकता है।

गर्भवती महिलाओं को भी ख़तरा
कोरोना महामारी की तीसरी लहर बच्चों के अलावा गर्भवती महिलाओं के लिए भी घातक सिद्ध हो सकती है, ऐसा स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की संस्था फाग्सी ने कहा है। राष्ट्रीय स्तर की इस संस्था ने जल्द-से-जल्द गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करने का सुझाव का देते हुए उन्हें सचेत रहने को भी कहा है। बड़ी बात यह है कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए टीका नहीं है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर तो गर्भवती महिलाओं के लिए बड़ा ख़तरा है ही, लेकिन पहली और दूसरी लहर में भी गर्भवती महिलाएँ कोरोना संक्रमित हुई हैं और कुछ की मृत्यु भी हुई है। इसलिए अब उन्हें बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है।

स्वरूप बदल रहा कोरोना
कोरोना महामारी की इस तीसरी लहर को लेकर चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि यह अपना स्वरूप बदल रहा है। तीसरी लहर के नये स्वरूप को डेल्टा बैरियंट के नाम से पुकारा जा रहा है। बता दें कि पिछले साल 2020 में जब यह दुनिया भर में फैल चुका था, तब विशेषज्ञों ने कहा था कि कोरोना वायरस ख़त्म नहीं होगा, बल्कि स्वरूप बदलकर लोगों को प्रभावित करता रहेगा। भारत में जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर तबाही मचा रही थी, तभी से केंद्र सरकार, चिकित्सा विशेषज्ञ और जानकार तीसरी लहर के आने की चेतावनी देते आ रहे हैं।
सरकार ने तो यहाँ तक कह दिया था कि अगस्त में कोरोना की तीसरी लहर आएगी; जो और अधिक तबाही मचा सकती है। यह भी कहा गया था कि तीसरी लहर विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित करेगी। इसी साल मार्च-अप्रैल में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में बच्चे कोरोना संक्रमित भी हुए थे। तब भी तीसरी लहर होने की आशंका तो जतायी गयी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की गयी।

यह वायरस ज़्यादा घातक
डेल्टा वैरिएंट बहुत घातक है। लेकिन जुलाई में अमेरिका में कोरोना वायरस के नये मामलों में इससे भी ज़्यादा घातक वायरस डेल्टा-3 वैरिएंट मिला है। यह डेल्टा वैरिएंट की तुलना में सबसे ज़्यादा फैलने की क्षमता रखता है और टीकाकरण करा चुके या संक्रमित हो चुके लोगों में फैल सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञों और डब्ल्यूएचओ ने पहले ही कहा था कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर का वायरस पहले से अधिक घातक, आक्रामक और अधिक संक्रामक होगा, जो कि समय के साथ और भी शक्तिशाली होता जाएगा।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना महामारी के डेल्टा वैरियंस नाम के इस वायरस को लेकर और इसके हर छ: महीने में बदलने वाले स्वरूप को लेकर दुनिया भर के देशों को सावधान रहना होगा, नहीं तो हालात बिगड़ सकते हैं।

भाजपा का दावा
इधर देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा, जो कि केंद्र की सत्ता में भी है; ने दावा किया है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर के दौरान दिल्ली में हर दिन 40 हज़ार तक कोरोना महामारी के नये मामले आएँगे, जिससे राज्य में बड़ी तबाही मचेगी। आईआईटी दिल्ली की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा है कि देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर आ चुकी है, जो तेज़ी से बढ़ रही है। भविष्य में देश की राजधानी दिल्ली में हर दिन 40 हज़ार नये मामले आ सकते हैं, जिससे निपटने के लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार को अपनी तैयारियों में तेज़ी लानी चाहिए। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से निपटने के लिए दिल्ली में 500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत होगी।
इधर दिल्ली सरकार ने काफ़ी समय से कोरोना महामारी की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी कर ली है। इसके अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश ने भी तीसरी लहर से निपटने के लिए कमर कस ली है। फिर भी कोरोना महामारी की तीसरी लहर के नये मामले सामने आ रहे हैं। अगर कोरोना महामारी की तीसरी लहर का संक्रमण लोगों में तेज़ी से फैला, तो यह देश के लिए एक बार फिर बेहद ख़तरनाक और दु:खदायी समय होगा।

सभी का टीकाकरण ज़रूरी : डॉ. अनूप नाथ


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य, आस्ट्रेलियन ट्रेडीशनल मेडिसियन सोसायटी के मान्यता प्राप्त सदस्य, माँ आद्यशक्ति हॉलिस्टिक हेल्थ ऐंड केयर फाउण्डेशन के संस्थापक एवं स्वास्थ्य निदेशालय दिल्ली सरकार (स्कूल स्वास्थ्य योजना) के अंतर्गत गीता कॉलोनी में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अनूप नाथ ने ‘तहलका’ को बताया कि अगर देश में अधिक-से-अधिक टीकाकरण हो जाएगा, तो हम तीसरी लहर से भी निपट लेंगे। इसमें कहीं-न-कहीं विषमता आ रही है। जैसे, कभी-कभी बहुत लोगों का टीकाकरण हो जाता है, तो कभी-कभी बहुत कम होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि लोग ऐसे आज़ाद घूम रहे हैं, जैसे कुछ हुआ ही न हो। वे पैसे बचाने के लिए सरकारी तंत्र का फ़ायदा तो उठा रहे हैं कि हम आरटीपीसीआर करा लें, रैपिड टेस्ट करा लें। लोग यह सब इसलिए भी करा रहे हैं कि उन्हें कहीं जाने में कोई दिक़्क़त न हो। लेकिन टीकाकरण के नाम से कतरा रहे हैं। वे एक-दूसरे के सम्पर्क में भी आ रहे हैं। भीड़ भी लगा रहे हैं, और घूमने भी जा रहे हैं। जैसे कुछ हुआ ही न हो।
लोगों की यही अनुशासनहीनता काफ़ी बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है और सरकार को भी मुसीबत में डाल सकती है। सरकार इसलिए ज़्यादा सख़्ती नहीं कर रही है कि लोग बहुत दिनों तक परेशान रहे हैं। उनके काम-धन्धे भी बन्द रहे हैं। आर्थिक परेशानियों के चलते वे तनाव में भी हैं। लेकिन लोग इसका ग़लत फ़ायदा उठा रहे हैं। उन्हें कम-से-कम एक-दो साल तक, या जब तक कोरोना पूरी तरह से दुनिया से ख़त्म न हो जाए; मास्क भी लगाना चाहिए।
सामाजिक दूरी का पालन भी करना चाहिए और कोरोना वायरस से बचाव के लिए जारी सभी दिशा-निर्देशों का पालन भी करना चाहिए। टीकाकरण करा चुके लोगों को भी सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि टीकाकरण एक साथ तो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा नहीं देगा; उसके लिए दो-तीन महीने का समय तो लगेगा ही। लेकिन इससे बाद भी बचाव तो ज़रूरी है न! अब धीरे-धीरे संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। कोरोना के मरीज़ लगातार आ रहे हैं। अब उनकी रैपिड टेस्ट की रिपोर्ट होगी, जो तीन दिन में आयेगी। मान लीजिए रैपिड टेस्ट रिपोर्ट कहीं गड़बड़ हो गयी, तो आरटीपीसीआर की रिपोर्ट करायी जाएगी। आरटीपीसीआर की रिपोर्ट दो-तीन में रिपोर्ट आती है। तब तक तो वह कई लोगों को संक्रमित कर देता है।
दूसरी बात अभी टीकाकरण की जो गति है, वह बहुत धीमी है। अगर सरकार चाहे तो एक महीने के अन्दर लगभग सभी लोगों का टीकाकरण हो सकता है। लेकिन टीकाकरण का ठेका अपने हाथ में लेकर व्यवस्था को ख़राब कर दिया गया है। सरकार क्यों नहीं कुछ और कम्पनियों को कोरोना-टीका बनाने का ठेका दे देती? इससे कम्पनियों के बीच बेहतर टीका बनाने की होड़ भी लगेगी और ज़्यादा-से-ज़्यादा और अच्छी गुणवत्ता वाले कोरोना-टीके बन सकेंगे। लेकिन चंद कम्पनियों को इसका ठेका देकर सरकार ने उन्हें मनमानी करने की छूट-सी दे रखी है।
इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों को टीकाकरण का ज़िम्मा दिया जाना चाहिए और उनसे एक समझौता कर लेना चाहिए कि आपको सभी का मुफ़्त टीकाकरण करना है। या बुजुर्गों, दिव्यांगों और ग़रीबों का मुफ़्त टीकाकरण करना है और बाक़ी लोगों से एक छोटी-सी रक़म लेनी है। वैसे तो सरकार कह ही चुकी है कि सभी का मुफ़्त टीकाकरण किया जाएगा और मुफ़्त टीकाकरण का प्रचार भी हो रहा है; तो फिर सरकारी डॉक्टरों की कमी के होते हुए भी उन्हीं पर सारा बोझ क्यों डाला जा रहा है? प्राइवेट अस्पतालों को ठेका दिया भी था, उसे वापस ले लिया गया। इसे क्या समझा जाए? आख़िर कब तक महामारी से निपटने में हीला-हवाली होती रहेगी? राज्य सरकारें भी टीकाकरण के मामले में अपनी मनमानी कर रही हैं। टीकाकरण के आँकड़े बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रही हैं। क्यों नहीं केंद्र सरकार सारी व्यवस्था अपने हाथ में ले लेती?
सभी राज्य सरकारों और लोगों से डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देश का पालन तो आख़िर केंद्र सरकार को ही कराना पड़ेगा न! मेरा मतलब यह है कि सभी राज्यों में पूरी तरह टीके मुहैया कराकर केंद्र सरकार को आदेश देना चाहिए था कि इतने दिनों में टीकाकरण हो जाना चाहिए। सरकार को टीकाकरण का ठेका इंडियन मेडिकल एसोसएिशन को, नर्सिंग कॉउंसिल को या जो संस्थाएँ समाजसेवा करना चाहती हैं; उनको दे देना चाहिए।
अब दिल्ली में ही देखिए, टीकाकरण के लिए जगह-जगह टैंट लगा दिये गये हैं। स्कूलों को घेर लिया गया है। क्यों न इसके लिए औषधालय (डिस्पेंसरी) और मोहल्ला क्लीनिक्स का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे टैंट लगाने और स्कूलों में व्यवस्था करने का ख़र्च भी बच जाता और ज़्यादा-से-ज़्यादा टीकाकरण भी हो जाता।
अब यह देखिए कि डॉक्टरों और कोरोना योद्धाओं के परिजनों को भी तब तक टीका नहीं लग सकता, जब तक कि उनका पंजीकरण के आधार पर नंबर नहीं आएगा। ठीक से टीकाकरण न हो पाने और कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के अन्य कई कारण भी हैं; जैसे- बीच-बीच में त्योहार और चुनाव आ जाते हैं। अब बारिश में भी कहीं बाढ़ आ जाएगी, तो कहीं अधिक बारिश होगी, जिससे टीकाकरण प्रभावित होगा।