कोरोना महामारी में आँकड़ों की तिकड़मबाज़ी

देश में कोरोना मरीज़ों की संख्या घटी है, लेकिन नये मामले लगातार सामने आ रहे हैं

कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप अब धीरे-धीरे काफ़ी कम हो गया है, लेकिन इसका डर लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ दोनों से निकलने का नाम नहीं ले रहा है। इसकी वजह कोरोना महामारी के नये मामले आने के अलावा तीसरी लहर का ख़तरा भी है, जिसे लेकर चिकित्सा विशेषज्ञ बार-बार चेतावनी भी दे रहे हैं। यह अलग बात है कि अब लोग घरों से निकलने लगे हैं और लापरवाही भी बरत रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि कोरोना महामारी जड़ से ख़त्म हो गयी है।
हाल ही में एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि कोरोना महामारी कभी भी पलट सकती है। देश भर में तेज़ी से कोरोना टीकाकरण करने को लेकर कई प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन इसकी सुस्त रफ़्तारी के चलते सभी को टीकाकरण के मिशन में सरकार को अभी पूरी तरह कामयाबी हासिल नहीं हो सकी है। हालाँकि इसमें केवल सरकारों की ही कमी नहीं है, लोगों की भी कमी है; क्योंकि बहुत-से लोग अभी तक कोरोना टीके पर भरोसा नहीं कर रहे हैं और टीका लगवाने से क़तरा रहे हैं। इस मामले में भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों के लोग आगे हैं। अभी हाल ही में एक ख़बर पढ़ी, जिसमें लिखा था कि थाईलैंड और अमेरिका में कोरोना टीका लगवाने के लिए सरकार को लोगों के लिए प्रलोभन देना पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि वहाँ टीका लगवाने वालों को लॉटरी जीतने की घोषणा की गयी है। इधर भारत सरकार कोरोना टीकों का उत्पादन बढ़ाने के प्रयास कर रही है। भारत सरकार अब तक देश की तीन प्रामाणिक कोरोना वैक्सीन- कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक वी की 35.12 करोड़ देशवासियों को ख़ुराकें (कोरोना वैक्सीन) दी जा चुकी हैं।
लेकिन दूसरी ओर एक और अच्छी ख़बर यह भी आ रही है कि कोरोना वायरस के मामले पिछले दो सप्ताह में तेज़ी से घटे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़ों की मानें, तो जुलाई के शुरुआती चार दिनों में कोरोना महामारी के मामले लगातार कम हुए। हालाँकि मौतें कभी कम, तो कभी ज़्यादा हो रही हैं। 9 जुलाई तक के आँकड़े बताते हैं कि देश में अब तक कुल 3.08 करोड़ से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हुए, जिनमें से तीन करोड़ से अधिक लोग ठीक हो गये, जबकि क़रीब 4.08 लाख लोगों की मौत हो चुकी थी। इस समय देश में कोरोना वायरस का रिकवरी रेट (ठीक होने वालों का फ़ीसद) क़रीब 97.2 फ़ीसदी से ज़्यादा था, जो पहले की अपेक्षा काफ़ी अच्छा है। 11 जुलाई को पूरे देश में कोरोना संक्रमण के एक दिन में औसतन 41,506 नये मामले सामने आये। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 11 जुलाई, 2021 की सुबह 8:00 बजे तक जारी आँकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 3,08,37,222 हो चुकी थी। जबकि 408,040 लोगों की मौत हो चुकी है और 299,75,064 मरीज़ ठीक हो चुके थे।
रिपोर्ट कहती है कि देश में 41,82,54,953 से अधिक नमूनों की जाँच की जा चुकी है, जो कि प्रति 10 लाख लोगों पर क़रीब 3,09,130 है। जबकि तक़रीबन 37,60,32,586 लोगों का टीकाकरण हो चुका है। वहीं देश में मृत्यु-दर बढ़ी है। इस समय यह मृत्यु-दर 1.32 फ़ीसदी से कम है। मंत्रालय की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मामलों की संख्या में 10,183 की कमी आयी है।
बता दें कि देश में पिछले साल 7 अगस्त को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त को 30 लाख, 5 सितंबर को 40 लाख से अधिक हो गयी थी। कोरोना महामारी के संक्रमितों की संख्या इतनी तेज़ी से बढ़ी कि 19 दिसंबर तक एक करोड़ के अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे। लेकिन इसके बाद कोरोना मामले घटे और अनुमान लगाया गया कि अब कोरोना वायरस थम गया है। भारत सरकार की ओर से इस जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पीठ भी थपथपा दी गयी और इस कामयाबी के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ख़ुद भी ख़ुशी जतायी। लेकिन इसके ठीक डेढ़-दो महीने बाद कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने दस्तक दी और तेज़ी से महामारी फैलने लगी। इस बार संक्रिमतों की संख्या के साथ-साथ मौतों की संख्या बहुत तेज़ी से बड़ी और दो महीने में ही पिछले साल की अपेक्षा आँकड़ा तक़रीबन तीन गुना हो गया। कोरोना महामारी की दूसरी लहर अभी थमी भी नहीं है कि तीसरी लहर की हलचल शुरू हो गयी है, जिसके लिए डब्ल्यूएचओ से लेकर एम्स के डॉक्टर तक चेतावनी दे रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने पिछले साल कहा था कि लोगों को कोरोना वायरस के साथ रहना सीखना होगा, यह बीमारी अब जाने वाली नहीं है। कई विशेषज्ञों ने इस बात की पुष्टि की और कहा कि कोरोना अधिकतर लोगों को हो चुका है और लगभग सभी को होगा। तब दिल्ली सरकार द्वारा संचालित लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने कहा था कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कुछ-कुछ मामले लगातार आते रहेंगे। इसमें शून्य एक असम्भव आँकड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि वायरस का स्वरूप बदल रहा है और भविष्य में इसके व्यवहार का अनुमान लगाना मुश्किल है। एक और चिकित्सा विशेषज्ञ ने कहा कि कोरोना वायरस जीने के लिए स्वरूप में बदलता रहेगा।

सरकार ने छिपाये आँकड़े?
इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि देश में कोरोना महामारी से मरने वालों की संख्या हज़ारों में नहीं, बल्कि लाखों में है। सरकार ने भी मरने वालों की संख्या लाखों में ही बतायी है। लेकिन फिर भी इस तरह के आरोप लगते रहे हैं कि केंद्र सरकार मरने वालों के आँकड़े छिपा रही है। जानकारों का कहना है कि जिस प्रकार श्मशानों, क़ब्रिस्तानों में लाइन से लाशें बिछी पड़ी थीं; लेकिन अस्पतालों में बहुत कम लोगों के मरने की पुष्टि की गयी।
उत्तर प्रदेश में तो गंगा में प्रवाहित करने के अलावा रेत में लाशें दबाने तक की ख़बरें सामने आयीं, जिन्हें छिपाने की योगी सरकार ने ख़ुब कोशिश की। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पर मौतों के आँकड़े छिपाने के आरोप लगने के बाद भाजपा ने केजरीवाल सरकार पर भी कोरोना से हो रही मौतों के आँकड़े छिपाने के आरोप लगाने शुरू कर दिये थे। केंद्र सरकार पर भी कोरोना महामारी से संक्रमितों और इससे मरने वालों की संख्या घटाकर बताने का आरोप कई राजनीतिक पार्टियों और लोगों द्वारा लगाये गये। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने केंद्र सरकार पर कोरोना वायरस से हुई मौतों के आँकड़े छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ने अपने लेख में यहाँ तक दावा किया है कि भारत में जो आधिकारिक आँकड़े बताये जा रहे हैं, मौतों की संख्या उससे पाँच से सात गुना अधिक है। इसके बाद पीआईबी ने लिखा कि एक प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ने अपने एक लेख में भारत में कोरोना वायरस से हुई मौतों का अनुमान जारी आधिकारिक संख्या से पाँच से सात गुना अधिक होने का लगाया है। लेकिन यह पूरी तरह अनुमानों पर आधारित और बेबुनियाद है। ऐसा लगता है कि इसमें ग़लत सूचनाएँ दी गयी हैं।
वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कोरोना के सही आँकड़े कोई भी राज्य नहीं दे रहा है। स्टेट आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों का कोई पालन ही नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय कहता है कि उसने बिहार सरकार को सही आँकड़े बताने को कहा। लेकिन बिहार सरकार की जब अदालत ने खिंचाई की, तो उसने रातोंरात बिहार सरकार ने आँकड़ों में तीन हज़ार मौतों का इज़ाफ़ा कर दिया। जितने भी विशेषज्ञ हैं, लगभग सभी कह रहे हैं कि जो आँकड़े सरकार दिखा रही है, उससे पाँच से छ: गुना ज़्यादा मौतें देश में हुई हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि विशेषज्ञ बिल्कुल सही कह रहे हैं, सरकार मौतों के आँकड़ों को सही नहीं बता रही है; उन्हें छिपा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को हिन्दुस्तान के लोगों से कोई हमदर्दी नहीं है। इसीलिए वह इस तरह की ग़लत बातें कर रही है।

सरकार ने उठाया क़दम
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में देश में संक्रमितों और मरने वालों के आँकड़े छिपाने के आरोप के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नियमित रूप से ज़िलेवार कोरोना वायरस के मामलों और मौतों की दैनिक आधार पर निगरानी के लिए एक मज़बूत रिपोर्टिंग तंत्र की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। स्वास्थ्य मंत्रालय की इस पहल में राज्यों को सलाह दी गयी कि वो निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार कोरोना महामरी से होने वाली मौतों को रिपोर्ट करें। मंत्रालय ने कहा है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश आईसीएमआर द्वारा जारी ‘भारत में कोविड से सम्बन्धित मौतों की रिकॉर्डिंग के लिए गाइडेंस’ के अनुसार मौतों के आँकड़े पेश करें। बता दें कि आईसीएमआर ने मृत्यु-दर कोडिंग के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा बताये गये आईसीडी-10 कोड के अनुसार मौतों की रिकॉर्डिंग करने के लिए कहा था। हालाँकि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आदेश देने के बावजूद कोरोना महामारी के संक्रमण और मौतों के आँकड़ों में कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ा है।