कोरोना पीड़ितों के साथ-साथ दूसरे रोगियों की तरफ भी ध्यान दे सरकार

जब कोई एक समस्या आती है, तो यह निश्चित ही होता है कि दूसरी समस्या भी विकराल रूप धारण कर लेती है। ऐसा ही हाल दिल्ली में है। दिल्ली में एक ओर कोरोना वायरस का कहर है, तो दूसरी ओर दिल्ली में एम्स व दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ओपीडी बंद होने के कारण कोरोना के अलावा अन्य रोग के मरीजों को अपने इलाज कराने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण मरीजों के सामने ये विकट संकट बना हुआ है कि वे इस स्थिति में क्या करें? तहलका संवाददाता को उन मरीजों ने बताया कि दिल्ली सहित पूरे देश में लॉकडाउन है। सोशल डिस्टेंस बना हुआ है। ऐसे में उन मरीजों का क्या होगा, जिनको 2 और 3 महीने पहले एम्स और अन्य अस्पतालों में तारीख मिली थी कि वो आकर अपनी जांच करवा लें।

सबसे चौंकाने वाली बात ये सामने आयी है कि दूर-दराज के राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मरीज जो किडनी, लीवर, न्यूरो और कैसर जैसे रोगों से पीड़ित हैं। वे अपनी जांच अब कैसे करवाएं? मरीज सुधीर के परिजन और सुरेश चौबे के भाई पवन ने बताया कि उनको कैंसर की जाँच की तारीख 6 अप्रैल की मिली है। वे आज उत्तर प्रदेश के झांसी से अधिकारियों व चिकित्सा अधिकारी से लिखित में रैफर कागजात लेकर एम्बुलेंस में आ रहे हैं। ऐसे में अब उनको चिंता सता रही है कि कहीं लॉकडाउन के कारण उनको कहीं रास्ते में पुलिस के सामने दिक्कत का सामना न करना पड़े और कहीं ऐसा न हो कि उनकी एम्स में जांच भी न हो। ऐसी स्थिति में क्या किया जाए? ऐसे तमाम मरीज हैं।

उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से अपील की है कि कोरोना वायरस के अलावा उन मरीजों के लिए भी अलग से ध्यान दें और ऐसे मरीजों के लिए वे अलग से गाइडलाइन बनाएं, जिससे मरीजों को दिक्कत न हो। बताते चलें कि देश में कोने-कोने में कोरोना वायरस के डर के कारण और लॉकडाउन की वजह से लोगों में एक साथ कई तरह का भय बना हुआ है। जैसे आर्थिक संकट, रोजगार का संकट और स्वास्थ्य संकट। गौर करने वाली बात यह है कि अगर कोरोना वायरस के अलावा अन्य रोगियों को समय पर इलाज नहीं मिलेगा, तो और भी गंभीर दिक्कत सामने आ सकती है।