कोरोना के साथ आशंका रोग से पीड़ित हो रहे लोग

अगर राजा युद्ध में लगा रहे या युद्ध की तैयारी में लगा रहे तो उस देश में शांति और खुशहाली कैसे हो सकती है। और उस देश के नागरिक कैसे स्वस्थ्य हो सकते है। ऐसा ही आज-कल देश –दुनिया के राजा इसी तरह की युद्ध को लेकर कुछ ज्यादा  ही व्यस्त है।

शासन सियासत में मस्त है, तो प्रशासन आडम्बर करने में लगा है। क्योंकि देश में कोनोना का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है । अब क्या शहर और क्या गांव सब जगह कोरोना की दहशत है। लोग कोरोना रोग से तो डरे ही है अब वे आशंका रोग से भी ग्रसित होते जा रहे है। उनको डर और भय सता रहा है, कि आर्थिक तंगी के समय वे कोरोना का इलाज कैसे करा सकते है। चिकित्सकों माने तो उनका कहना है कि अभी कोरोना का कहर रहेगा और प्रसाशन की माने तो वह बस इस बात पर ध्यान देता है, कि घरों से तब ही निकलों जब जरूरी हो , लेकिन ये कैसे संभव हो सकता है।

लोगों ने तहलका संवाददाता को बताया कि इस समय सरकार का सारा ध्यान कोरोना महामारी पर होना चाहिये लेकिन ऐसा ना होने से प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस जमकर लोगों के स्वाभिमान से खेल रहे है।  दिल्ली की सब्जी मंडियों में सब्जी बेचनें वालों को तो परेशान किया ही जाता है । लेकिन जो सीधे –साधे लोग है उनको मास्क ना लगाने या सही तरीके से ना लगाने पर रोका–टोका जाता है और चालान भी काटा जाता है। इस मामलें पर काग्रेस से चुनाव लड़ चुके अविनाश गौतम ने बताया कि सरकार का ध्यान कोरोना को हराने में नहीं है और ना ही बेरोजगारी को भगाने में है। सरकार का सारा खेल ध्यान भटकानें में है । कोरोना की रोकथाम को लेकर कोई ठोस पहल का ना किया जाना जिससे कोरोना का कहर लोगों की जिदंगी से खेल रहा है। अविनाश का कहना है कि सीधे- साधे लोगों को मास्क ना लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर परेशान किया जा रहा है।