कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुये, उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को टाला जा सकता था

देश में कोरोना बढ़ रहा है ये बात तो जगजाहिर , लेकिन कोरोना को लेकर लोगों में ना तो किसी प्रकार का भय देखा जा रहा है और ना ही चिंता। तहलका संवाददाता में हुई बातचीत में उत्तर प्रदेश के लोगों का कहना है कि कोरोना भी गजब का है, जहां पर चुनाव होते है वहां पर कोरोना नहीं होता है।

उत्तर प्रदेश बुलंदशहर निवासी संतोष कुमार ने बताया कि पांच राज्यों में विधान सभा के चुनाव चल रहे है। जमकर भीड़ हो रही है। कोई सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं हो रहा है। अब उत्तर प्रदेश में भी 15 अप्रैल से पंचायत चुनाव होने है। यानि गांव-गांव में भीड़ होनी लाज़मी है,  चुनाव में सोशल डिस्टेसिंग की उम्मीद करना ही बेमायने है। बुन्देलखण्ड़ के हिस्से वाले उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव 15 अप्रैल को है।

यहां के निवासी राजेश राय ने बताया कि सरकार कोरोना को लेकर गंभीर नहीं है यानि की कोरोना है, कि नहीं। क्योंकि चुनाव में तो सारे नियम कायदे एक कोने में रख दिये जाते है। मतलब चुनाव में भीड़ ही भीड़ होगी। यहां के निवासी चन्द्रपाल सिंह का कहना है कि अगर सरकार कोरोना काल में चुनाव करा रही है। तो समझों कि कोरोना एक दिखाने और डराने की बीमारी है। अगर ये बीमारी सच मायने में घातक होती तो चुनाव कराने की क्या आवश्यकता थी।

जानकारों का कहना है  माना कि विधानसभा चुनाव के रास्ते सरकार बनती है। लेकिन पंचायत चुनाव की गांव के विकास में अहम् भूमिका होती है। लेकिन सरकार तो नहीं बनती है। यानि की चुनाव को कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुये चुनाव को टाला जा सकता था। बताते चलें पांच राज्यों के चुनाव परिणाम 2 मई को घोषित किये जायेगे और उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव भी 2 मई को ही घोषित किये जायेगे। तब भी काफी भीड़ चुनाव जीत हार के दौरान देखी जायेगी जो कोरोना के गाइड का पालन नहीं कर सकते है। इस तरह की घटना ही कोरोना को बढ़ाने में अहम् भूमिका निभा सकती है।