कोरोना की रोकथाम में प्लानिंग का अभाव , गांवों में जांच का दायरा बढाना होगा

जब भी देश में कोरोना वायरस को लेकर इतिहास लिखा जायेगा, तब विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रशंसा तो नहीं लिखी जायेगी और ना ही कोरोना को लेकर हमारे देश की स्वास्थ्य सेवा की प्लानिंग की तारीफ की जायेगी।क्योंकि आज से ठीक 5 महीनें पहले 25 मार्च को देश को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि कोरोना को हराने के लिये देश में संपूर्ण लाँकडाउन  21 दिन तक के लिये लगाया जाता है । फिर ये लाँकडाउन मई के महीने तक चला और कई राज्यों में अभी भी दो दिन का लाँकडाउन जारी है। इतने सब कुछ प्रयास किये गये और किये जा रहे उसके बावजूद देश में कोरोना की रफ्तार रूकने का नाम ही नहीं ले रही है अब देश में हर रोज 60 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे है जिससे आज तक कोरोना के मामलों की संख्या 30 लाख से ज्यादा हो गयी है और हर रोज 9 सौ से अधिक लोग मर रहे है। जिससे मरने वालों का आंकडा 54 हजार से ज्यादा हो गया है। इसमें चूक और गलती कहां हो रही है । इस पर देश के डाक्टरों का कहना है कि देश में सियासत का बोलबाला इस कदर है कि स्वास्थ्य प्लानिंग को लेकर कोई पहल ही नहीं दिख रही है। जिसके कारण कोरोना बेकाबू होता जा रहा है।

डाक्टरों का कहना है कि कोरोना के साथ ही जीने की आदत सबको डालनी होगी और अपने स्वास्थ्य को लेकर सावधानी बरतनी होगी ।अन्यथा कोरोना घातक हो सकता है।आई एम ए के पूर्व संयुक्त सचिव डाँ अनिल बंसल का कहना है कि देश में सियासत के कारण कई लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे है वे आज भी सैकडों लोगों के साथ बैठकें कर रहे है वो भी बिना मास्क के ।राजनीतिक दलों के ही लोग सबसे ज्यादा सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उडा रहे है।  बाजारों को कोला जा रहा है कोई नियम नहीं बनाये गये है। सबसे दुखद तो ये है कि सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था के कारण गरीब मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण देश में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ रही है। वैसे ही बरसाती मौसम संक्रमण के लिये जाना जाता है।आई एम ए के पदाधिकारी ने बताया कि  केन्द्र सरकार सीधा आदेश जारी करती है जिसका लाभ कोरोना से पीडितों को मिले या ना मिले पर देश का प्राइवेट हेल्थ सेवाओं को जरूर मिलता है इसकी वजह साफ है कि ज्यादात्तर लोग सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को पाने से डरते है जिसके कारण प्राइवेट अस्पताल वाले जमकर चांदी काट रहे है । और यही हाल प्रशासन से जुडे अधिकारियों का है जो अपनी मनमर्जी से लोगों को डराने लगे है। डाँ बंसल का कहना है कि अगर कोरोना का कहर यूं ही जारी रहा तो आने वाले दिनों इसके भयावह परिणाम सामने आयेगे।ऐसे में सरकार को बचाव के तौर पर प्लानिंग करके गांवों के लिये अलग और शहरों के लिये स्वास्थ्य टीमों का गठन करना चाहिये । क्योंकि इस समय देश के गांवों में भी कोरोना ने तेजी से अपने पैर पसारने शुरू कर दिये है। गांवों में जंच का दायरा तेज करना होगा जिससे कोरोना को गांवों में ही काबू किया जा सकें।