कोरोना की आहट फिर!

चीन में महामारी से ख़राब हालात के बाद दुनिया भर में चिन्ता

महामारी विशेषज्ञ एरिक फिगल डिंग के एक से ज़्यादा ट्वीट्स, जिनमें उन्होंने चीन में कोरोना से हुई मौतों से पर्दा उठाने और वहाँ के गम्भीर हालात को जगज़ाहिर करने का दावा किया; के बाद दुनिया भर में चिन्ता पसर गयी है। कोरोना की जानकारी देने वाले वल्र्डोमीटर के नवीनतम आँकड़े देखने से ज़ाहिर होता है कि हाल के हफ्तों में कोरोना से सबसे ज़्यादा मौत दुनिया के सबसे ताक़तवर देश अमेरिका में हुई हैं, जबकि उसके बाद जापान, ब्राजील, जर्मनी और फ्रांस का नंबर है। अमेरिका में कोरोना से जिन लोगों की हाल के महीनों में मौत हुई है, उनमें 59 फ़ीसदी ऐसे हैं, जिनका टीकाकरण हो चुका था।

नवीनतम घटनाक्रम के बाद भारत सरकार भी सक्रिय हुई है और बैठकों के सिलसिला शुरू करने के अलावा राज्यों को भी अलर्ट कर दिया गया है। यदि देश में मामले बढ़ते दिखते हैं, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी कि हाल के महीनों में मास्क और सेनेटाइजर से मुक्ति पा चुके भारतीयों को फिर यह एहतियाती उपाय अपनाने पड़ें। चीन को लेकर यह आशंका जतायी गयी है कि वहाँ आने वाले तीन-चार महीनों में लाखों लोगों की ज़िन्दगी दाँव पर लग सकती है। निश्चित ही यह आँकड़े भय पैदा करने वाले हैं। विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि कोरोना अगले तीन महीने में पूरी दुनिया की 10 फ़ीसदी आबादी, जबकि चीन की 90 फ़ीसदी आबादी को अपनी गिरफ़्त में ले सकता है। महामारी विशेषज्ञ डिंग ने आशंका जतायी है कि नयी लहर में 10 लाख से भी ज़्यादा लोग मौत का शिकार हो सकते हैं।

अभी तक की रिपोट्र्स से यह ज़ाहिर होता है कि चीन में कोरोना का विस्फोट लोगों के प्रतिबंधों पर जिनपिंग प्रशासन के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों और सरकार की तरफ़ से इनमें दी गयी ढील के बाद देखने को मिला है। रिपोट्र्स से ज़ाहिर होता है कि चीन में हालात कुल मिलाकर क़ाबू से बाहर हैं और देश के अस्पताल महामारी से पीडि़त लोगों से अटे पड़े हैं। महामारी विशेषज्ञ डिंग ने तो अपने ने तो अपने ट्वीट्स में दर्ज़नों लोगों के शव दिखाते हुए इन्हें अस्पताल में महामारी के शिकार बताया है।

चीन में हाहाकार

चीन में प्रतिबंधों में ढील के बाद असल में कोरोना महामारी से कितनी मौतें हुई हैं, इसका कोई आधिकारिक आँकड़ा नहीं है। कारण यह है कि चीन की सरकार ने अपनी तरफ़ से 7 दिसंबर के बाद कोरोना से वहाँ होने वाली मौतों को लेकर कोई आँकड़े जारी नहीं किये हैं। यही कारण है कि इन आँकड़ों को लेकर कयास लग रहे हैं और कुछ में दावा किया जा रहा है कि वहाँ बड़े पैमाने पर लोगों की मौत हुई है। यह आशंका भी विशेषज्ञ जता रहे हैं कि चीन के शहरों में कोरोना बेक़ाबू हैं और सरकार सच्चाई छुपा रही है।

जिनपिंग सरकार आरम्भ से ही यह दावा करती रही है कि उनके देश में कोरोना महामारी को पश्चिमी देशों के मुक़ाबले बेहतर ढंग से सँभाला गया है। लेकिन वर्तमान में वहाँ कोरोना से जुड़ी जानकारियाँ बाहर जाने से रोकने की कोशिश हुई है। हाल में बीजिंग के श्मशान में पुलिस और सुरक्षा कर्मियों ने पत्रकारों को भीतर जाने से रोक दिया।

चीन में कोरोना की स्थिति पर अमेरिका भी चिन्तित दिखता है। अमेरिका में हाल के हफ्तों में कोरोना से जो मौतें हुई हैं, वह दुनिया भर में सबसे ज़्यादा हैं। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने 20 दिसंबर को एक बयान में कहा- ‘चीन में कोरोना जिस तरह फैल रहा है, वह पूरी दुनिया के लिए चिन्ता की बात है।’ ज़ाहिर है, यह चिन्ता सिर्फ़ अमेरिका में ही नहीं है। भारत और अन्य देश, जहाँ महीनों के प्रतिबंधों के बाद लोगों ने राहत की साँस ली है, किसी भी सूरत में फिर उस स्थिति में नहीं जाना चाहते।

अमेरिका का शोध

आमतौर पर आरोप लगते हैं कि अमेरिका चीन को लेकर अपने हिसाब से चीज़ें कहता है और उनमें से कई ज़मीनी हक़ीक़त से मेल नहीं खातीं। हाल में अमेरिका की सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) सहित कई स्वास्थ्य एजेंसियाँ डेल्टा या ओमिक्रॉन जैसे नये वेरिएंट की खोजकर रही हैं। सीडीसी के मुताबिक, कोरोना का नया वेरिएंट कोरोना वायरस को अधिक आसानी से और टीकाकरण होने के बावजूद फैलाने में सक्षम है।

अमेरिका 2023 की शुरुआत में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल चीन भेजने वाला है। अमेरिका उम्मीद जाता रहा है कि चीन कोरोना की अपनी वर्तमान स्थिति पर जल्दी नियंत्रण पा लेगा, क्योंकि से चीन को होने वाले नुक़सान से वैश्विक अर्थ-व्यवस्था भी प्रभावित होगी। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस का कहना है कि चीन की जीडीपी बहुत ज़्यादा है, लिहाज़ा ये सिर्फ़ चीन ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए अच्छा होगा कि चीन कोरोना की वर्तमान लहर पर जल्दी क़ाबू पा ले।

चीन और डब्ल्यूएचओ

चीन में कोरोना की नयी लहार ने दुनिया भर के विशेषज्ञों को चिन्ता में डाल दिया है। प्रमुख वैज्ञानिकों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का मानना है कि चीन में कोरोना के शीघ्र ख़त्म होने की बात कहना अभी जल्दबाज़ी होगी। विशेषज्ञों का दावा है कि चीन में कोरोना महामारी के कारण अन्य देशों की तुलना में कम मौत हुई हैं। लेकिन अब जो ढील दी गयी है, उससे मौत के मामले बढ़ सकते हैं।

डब्ल्यूएचओ कोरोना इमरजेंसी कमेटी में शामिल डच वायरोलॉजिस्ट मैरियन कोपमैन्स ने तो और भी बड़ी बात कह दी है। उनका कहना है- ‘क्या अब भी हम किसी चीज़ को पोस्ट पैडेंमिक (महामारी के बाद) कह सकते हैं, जब दुनिया का एक बड़ा और महत्त्वपूर्ण हिस्सा कोरोना की दूसरी लहर में पहुँच रहा है। साफ़ है कि पूरी दुनिया में कोरोना कम हुआ है और हम महामारी के अलग चरण में हैं; लेकिन चीन में बढ़े मामलों ने संकट में इज़ा$फा किया है।’

नहीं भूलना चाहिए कि डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने सितंबर, 2022 में कहा था- ‘हम महामारी का अन्त देख रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि 2023 के किसी समय में कोरोना महामारी का पूर्ण $खात्मा हो जाएगा। उन्होंने बाक़ायदा एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में यह बात कही थी। इसका आधार उन्होंने बताते हुए उन्होंने कहा था कि ज़्यादातर देशों ने कोरोना प्रतिबंधों को हटा लिया है। लेकिन अब चीन में जिस तरह कोरोना विस्फोट हुआ है, उससे पूरी दुनिया चिन्तित है।

चीन के कमोबेश सभी शहरों में अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ायी गयी है। जाँच के लिए नये क्लीनिक बनाये गये हैं। कोरोना के मामलों के बीच कई एजेंसियाँ चेतावनी दे रही हैं कि बड़े पैमाने पर वायरस के फैलने से म्यूटेशन का ख़तरा बढ़ेगा। इससे दुनिया को एक नया ख़तरा झेलना पड़ सकता है।

चीन ने हाल में डब्ल्यूएचओ के साथ देश का जो डेटा साझा किया है उससे ज़ाहिर होता है कि ओमिक्रोन वेरिएंट ने काफ़ी नुक़सान किया है। बेशक डेटा अधूरा होने के कारण की कमी के कारण तस्वीर साफ़ नहीं है कि चीन में कोरोना विस्फोट कोरोना वेरिएंट के कारण हुआ है या लॉकडाउन ख़त्म होने के कारण मरीज़ों की संख्या बढ़ी है। लेकिन यह सच है कि वहाँ हालात अच्छे नहीं हैं।

 भारत की तैयारी

 

हाल के महीनों में भारत में कोरोना मामलों में लगातार कमी आयी है और वर्तमान में पॉजिटिविटी रेट भी नाममात्र का ही है। कोरोना पाबंदियाँ ख़त्म कर दी गयी हैं; लेकिन इक्का-दुक्का मामले अभी भी हैं। अब चीन की स्थिति को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने हाल में एनसीडीसी और आईसीएमआर को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि यदि कोरोना के नये वेरिएंट्स की समय रहते पहचान करनी है, इसके लिए जीनोम सीक्वेंसिंग ज़रूरी है। राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल भेजें। मंत्री ने 21 दिसंबर को एक रिव्यू मीटिंग भी की। इसमें नवीनतम जानकारी ली गयी, ताकि देश ज़रूरत पडऩे पर किसी आपात स्थिति से निपट सके। हालाँकि यह भी साफ़ किया है कि जनता को घबराने की ज़रूरत नहीं है। भारत सरकार के वरिष्ठ एंटी टास्क फोर्स सदस्य और कोरोना टीकाकरण अभियान प्रमुख डॉ. एन.के. अरोड़ा ने भी कहा कि भारत को चीन की स्थिति से चिन्तित होने की ज़रूरत नहीं है। उनके मुताबिक, यह कहा जा रहा है कि चीन में महामारी फिर बढ़ रही है; लेकिन भारत में बड़े स्तर पर टीकाकरण हो चुका है। दुनिया के सभी कोरोना वेरिएंट भारत झेल चुका है। हाँ, उनका सावधानी बरतने पर ज़रूर ज़ोर है।