कोरोना का रोना, व्यापार ठप!

कोरोना का भय देश-दुनिया में इस कदर फैल गया है कि मुनाफाखोर दवा कंपनियां मोटी कमाई करने में जुट गयी हैं। लोगों में बढ़ रहे डर के चलते चेहरा ढकने वाले मास्कों की बिक्री में भारी उछाल आ गया है। यही नहीं, त्योहारी सीजन में बिक्री पर भी इसका असर पड़ रहा है। कोरोना वायरस के भय से दिल्ली के बाज़ारों का क्या हाल रहा, इसी पर तहलका के विशेष संवाददाता राजीव दुबे की रिपोर्ट :-

चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनिया के 100 से अधिक देशों में फैल चुका है। इसके कारण भारत के स्वास्थ्य महकमे पर ही नहीं, बल्कि यहाँ का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं हैं, जहाँ कोरोना के चलते भय न फैला हो। दिल्ली एनसीआर में स्वास्थ्य महकमे, व्यापार जगत के साथ-साथ शिक्षा का क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ है। दिल्ली के बाज़ारों, स्कूलों और अस्पतालों के साथ मेडिकल स्टोरों पर कोरोना के कहर को लेकर तहलका के विशेष संवाददाता ने पड़ताल की। इस दौरान पता चला कि चीन के कोरोना वायरस ने दिल्ली में भयावह हालात पैदा कर दिये हैं, जिसके चलते होली के सीजन में बड़ा आर्थिक घाटा हुआ। कोरोना के कारण लोगों का बुरा हाल है। वहीं, मुनाफाखोर सैनेटाइजर्स और मास्क विक्रेता कालाबाज़ारी से बाज़ नहीं आये। इस कालाबाज़ारी में ड्रग विभाग के साथ दिल्ली पुलिस की साठगाँठ से गरीबों को खास दिक्कतों को सामना करना पड़ा। दिल्ली सरकार के अस्पतालों, निजी असपतालों, एम्स और सफदरजंग अस्पतालों के साथ-साथ दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों में इस समय मास्क उन मरीज़ों के मिल रहे हैं, जो अस्पतालों में अपनी पहुँच रखते हैं या फिर दलालों से सम्पर्क कर पैसा देकर मास्क प्राप्त कर रहे हैं। सैनेटाइजर्स तो दिल्ली सरकार के अस्पतालों में कभी मिलते ही नहीं हैं। इसलिए सख्त ज़रूरत के दौरान मरीज़ और तीमारदार सैनेटाइजर्स की उम्मीद ही नहीं कर रहे हैं। निजी अस्पतालों मेें तो मास्क की कोई कमी नहीं है। दिल्ली के नामी मेडिकल स्टोरों में मास्कों की कोई कमी नहीं है। मास्कों की बिक्री मनमानी कीमत पर धड़ल्ले से की जा रही है। जो मास्क आसानी से पाँच और 10 रुपये में मिल जाता था, वह अब मेडिकल स्टोरों पर 20, 30 और 40 रुपये में बेचा जा रहा है। मेडिकल स्टोरों पर कुछ जागरूक ग्राहक मनमाने दामों पर बेचे जा रहे मास्कों और सैनेटाइजर्स की बिक्री का विरोध करते हैं। अगर ऐसे ग्राहक ड्रग विभाग व दिल्ली पुलिस में शिकायत करने की बात करते हैं, तो मेडिकल स्टोर वाले उन्हें मास्क नहीं देते और बेधड़क कहते हैं कि जो करना है, कर लो; सब जगह सेटिंग है। नामी मेडिकल स्टोर वाले और छोटे-छोटे मेडिकल स्टोर वालों ने तो पुलिस और ड्रग विभाग से बचने के लिए मेडिकल स्टोर से दूर हटकर अड़ोस-पड़ोस की दुकानों में कालाबाज़ारी के लिए मास्कों का स्टोर जमा कर रखा है। मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डॉ. विवेक कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस का असर शरीर के प्रत्येक अंग पर पड़ता है। इसमें हृदय रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत है। दिल शरीर का एक ऐसा महत्त्वपूर्ण अंग है, जो ज़रा-सी लापरवाही होने पर धोखा दे सकता है। ऐसे में ज़रा-सी घबराहट होने पर डॉक्टर से परामर्श लें और ज़रूरी उपचार करवाएँ।

देश-दुनिया में इस समय कोरोना वायरस से मरीज़ों का हाल बेहाल है। उनमें ज़बरदस्त खौफ है। बहुत-सी जानें जा चुकी हैं। इलाके-के-इलाके बन्द कर दिये गये हैं। स्कूल और सिनेमाघरों के अलावा एक जगह इकट्ठे होने वाली जगहों से बचने की सलाह दी जा रही है। वहीं, दलाल व मुनाफाखोर पैसा कमाने के लिए इस बीमारी को वे एक उत्सव की तरह देख रहे हैं। सबसे गम्भीर व चौंकाने वाली बात तो यह है कि मास्क और सैनेटाइजर्स कालाबाज़ारी में वे लोग लग गये हैं, जिनका दूर-दूर तक स्वास्थ्य महकमे से कोई लेना-देना नहीं है। पर अब मज़े से लाखों करोड़ों रुपये के मास्क उपलब्ध करा रहे हैं और अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं। दिल्ली का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहाँ पर मास्कों की सप्लाई में मुनाफाखोर न लगे हों।

दिल्ली के भागीरथ पैलेस और लाजपत नगर में दवा विक्रेताओं ने बताया कि मास्कों का बाज़ार से टोटा उसी समय होने लगा था, जब चीन में कोरोना वायरस का कहर ज़ोर पकड़ रहा था। अब तो दुनिया के साथ-साथ भारत में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या मेें इज़ाफा हो रहा है। कैमिस्ट एसोसिएशन के कैलाश गुप्ता का कहना है कि इस समय चीन और सिंगापुर में मास्कों की सप्लाई भारत से हो रही है। ऐसे में एक साज़िश के तहत मास्कों की कालाबाज़ारी करने वालों ने यहाँ पर मास्कों की कमी दिखाकर एक धन्धे के तौर पर काम करना शुरू कर दिया है। यह बाज़ार में हौवा खड़ा कर दिया है कि मास्कों की कमी है।

मास्कों, सैनेटाइजर्स के साथ-साथ ग्लव्स की कमी भी बाज़ारों में बनी हुई है। लाजपत नगर के दवा व्यापारी सुरेंद्र सिंघल ने बताया कि देश में एक अजीब-सा माहौल बनता जा रहा है। जिसको देखो वही मार्केटिंग कर रहा है। अब दिल्ली में मास्क और सैनेटाइजर्स के साथ ग्लव्स की कमी बतायी जाने लगी है। जहाँ लोगों को इस ‘महामारी’ के समय लोगों की मदद करनी चाहिए, पर वास्तव में ऐसा नहीं हो रहा है। सरकार को तत्काल ऐसे लोगों के िखलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि कालाबाज़ारी को रोका जा सके।

यही हाल व्यापार जगत का है कि कोई भी व्यापारी ऐसा नहीं है, जो कोरोना का रोना नहीं रो रहा हो। होली के सामान की बिक्री करने वाले धीरज अग्रवाल ने बताया कि पिछले कई साल से वे दिल्ली के चाँदनी चौक पर फुटपाथ पर लाखों रुपये की पिचकारी और होली के खिलौने त्योहार से दो सप्ताह पहले ही बेच लेते थे। इस बार चाइनीज सामान को लोग खरीदने से कतरा रहे हैं और उस पर देश के पीएम नरेन्द्र मोदी और दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने घोषणा कर दी थी कि वे कोराना वायरस की वजह से होली मिलन में शामिल नहीं होंगे यानी होली नहीं मनाएँगे। उसके बाद तो मानो होली का सामान बिकना ही बन्द हो गया।

मिठाई विक्रेता पवन गर्ग ने बताया कि वैसे ही बाज़ार में मंदी के कारण पिछले कई साल से धन्धा मन्दा पड़ा था, उस पर इस बार कोरोना वायरस के डर के कारण लोगों ने बाहर का खाना बन्द-सा कर दिया है, जिसके कारण उनकी मिठाई की बिक्री दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। क्योंकि, लोगों को लगता है कि मिठाई में मिलावटी सामान होने की वजह से संक्रमण हो सकता है, जो उनको बीमार कर सकता है।

दिल्ली के स्कूलों की बात करें, तो बच्चों के ज़्यादातर अभिभावकों ने अपने बच्चों को मास्क और हाथों में ग्लव्स और सैनेटाइजर्स के साथ स्कूल भेज रहे हैं। ऐसे में उन बच्चों को काफी दिक्कत हो रही है, जो महँगे मास्क, सैनेटाइजर्स और ग्लव्स नहीं खरीद सकते हैं। अभिभावक राजकुमार बीणा ने बताया कि दिल्ली सरकार ने ज़रूर पाँचवीं तक के स्कूलों की छुट्टी कोरोना वायरस के चलते 31 मार्च तक कर दी है। लेकिन दिल्ली और केंद्र सरकार का यह भी तो दायित्व बनता है कि वे स्कूलों में सभी बच्चों को मास्क मुहैया कराएँ, ताकि यह बीमारी फैलने ही न पाये।

व्यापार मंडल के महामंत्री विजय जैन का कहना है कि भारत सरकार और रिज़र्व बैंक ने ज़रूर आश्वासन दिया है कि वो बाज़ार को हर सम्भव सहायता देंगे। ऐसे समय में यह बयान हौसलाअफजाई तो करता है, पर फायदा नहीं। इसके लिए सरकार को ठोस नीति बनानी होगी, ताकि आने वाले दिनों में बाज़ार की और हालत खस्ता हो, उससे पहले ज़रूरी कदम उठाने होंगे।

कोरोना का कहर दवा कम्पनियों, फार्मास्युटिकल की कम्पनियों, इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री की रफ्तार कम कर सकता है। आयात-निर्यात बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है। नोएडा के व्यापारी संजीव अग्रवाल और रमाकांत गर्ग ने कहा कि सरकार की कौन-सी ऐसी पॉलिसी है, जिससे दिन-ब-दिन बाज़ारों से रौनक खत्म होने के बारे में कुछ किया जा रहा हो? कोई भी अमानवीय संकट आने पर सबसे पहले बाज़ार पर उसका असर दिखता है। इस समय एक संकट कोरोना का है। सरकार से लेकर हर महकमा कोरोना के कहर से बचाव में लग गया है, लेकिन बाज़ार में मंदी छा गयी है।

गौर करने वाली बात यह सामने आयी है कि सरकार के ही लोग आर्थिक चोट पहुँचाने में लगे हैं। इस समय मास्कों, ग्लव्स और सैनेटाइजर्स की कालाबाज़ारी में दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मचारी, राममनोहर लोहिया अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मचारी और दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये कर्मचारी रोज़ाना बड़ी आसानी से बाज़ारों में मास्क, ग्लव्स सप्लाई कर रहे हैं। और तो और, दवा कम्पनियाँ भी अधिकारियों से साठगाँठ करके बिना जीएसटी के बिलों के लाखों मास्क बेचने में लगे हैं।

चौंकाने वाली बात यग है कि मास्कों के नमूने भी सोशल मीडिया में दिखाकर पास हो रहे हैं और आसानी से ग्राहकों तक पहुँचाये जा रहे हैं। इस समय एनसीआर में दिल्ली के यमुनापार और राजौरी गार्डन के कई क्षेत्रों से इन मास्कों की कालाबाज़ारी ज़ोरों पर है।