कोरोना का खतरा कुपोषित बच्चों पर सबसे अधिक

कोरोना काल में सबसे ज्यादा खतरा अगर किसी को है तो कुपोषण के शिकार बच्चों पर, क्योंकि भारत जैसे देश में जागरूकता के अभाव में सही खान-पान ना हो पाने के कारण बच्चें जल्दी बीमारी के चपेट में आते है ।यूनिसेफ का हवाला देते हुये द अल्मोनर बायोटेक के डायरेक्टर डाँ जसवाल .के .एस. ने बताया कि कोरोना का कहर सारी दुनिया में है।ऐसे में इम्युनिटी पावर का बच्चों, होना बहुत आवश्यक है।क्योंकि देश –दुनिया में अक्सर कुषोपण के शिकार बच्चों में बीमारी होने के साथ – साथ मौत का खतरा ज्यादा रहता है।इसलिये सरकार से लेकर डाक्टरों को इस कोरोना काल में बच्चों को लेकर एक गाइड लाइन जारी कर कोरोना से बचाव और उपचार के लिये पहल करनी होगी । डाँ जसवाल ने कहा कि कोरोना को लेकर तमाम शोधों और डाक्टरों का अनुमान है कि जून, जुलाई और अगस्त में कोरोना का कहर भयानक रूप में सामने आ सकता है तो ऐसे में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ –साथ बचाव के पुख्ता इंतजाम करने होगे। क्योंकि ये मौसम संक्रमण का मौसम है जो सबसे ज्यादा बच्चों को अपनी चपेट में लेता है।डाँ जसवाल का कहना है, कि एम16जस के माध्यम से वे समाज के सभी वर्ग के लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सतर्क कर रहे है ताकि कोरोना को होने से पहले बचाया जा सकें। क्योंकि अभी कोरोना का फैलाव तो हो रहा है, पर रोके जाने वाली स्थिति में है। देशभर में झुग्गियों में रह रहे लोगों में खासकर बच्चों के प्रति ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। द अल्मोनर बायोटेक माध्यम से हरियाणा, राजस्थान , उत्तर –प्रदेश , पंजाब और दिल्ली के लोगों को जागरूक किया जा रहा है। क्योंकि देश में कोरोना के मरीजों की बढती संख्या और सही होने वालों की संख्या में लगातार बढोत्तरी  हो रही है। ऐसे में सबसे ज्यादा अगर सावधानी और सतर्कता बरतनें की जरूरत किसी को है तो कुपोषित बच्चों को। क्योंकि कुपोषित बच्चों का बीमार होने का अनुपात पोषित व स्वस्थ्य बच्चों की तुलना में अधिक है। डाँ जसवाल का कहना है कि घरेलू नुस्खों को अपनाकर जैसे तुलसी अदरक, काली मिर्च और लोंग का काढा बनाकर सेवन कराकर बच्चों को तमाम बीमारियों से बचा सकते है ।उन्होंने बताया कि इसी जून माह में जिस अंदाज से कोरोना का फैलाव हो रहा है वो जरूर घातक  है ।