कोरोना काल में मखाने की मांग बढ़ी

कोरोना काल में अगर व्यापार और मांग बढ़ी है तो, मखाना की । तहलका संवाददाता को व्यापारियों और डाँक्टरों ने बताया कि मखाना एक प्रकार का सूखा मेवा है। जिसमें एंटी आँक्सीडेंट की मात्रा अधिक पायी जाती है। इसलिये मखाने को सुपर फूड कहा जाता है। दिल्ली के खारी वाबली के मखाना व्यापारी नंदकिशोर गर्ग का कहना है कि जब से कोरोना का कहर बरपा है। तब से लोगों ने डाँक्टरों की सलाह पर मखाने का सेवन अधिक कर दिया है। लोगों को इसका लाभ हेल्थ की दृष्टि से भी मिल रहा है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) के पूर्व अध्यक्ष डाँ अनिल बंसल का कहना है कि मखाने में तामाम ऐसे गुण पाये जाते है, जो अन्य मेवा में नहीं पाये जाते है। इसलिये डाँक्टर्स कोरोना के अलावा कोई भी रोगी हो उसको मखाना खाने के लिये ही कहते है।

डाँ बंसल का कहना है कि मखाना का सेवन करने से कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य जलदी सुधरता है। मखाने की खेती को प्रोत्साहित करने वाले डाँ गजेन्द्र चंद्राकर का कहना है कि कोरोना काल हो या ना हो, मखाना की मांग बढ़ रही है। लेकिन इन दिनों मखाने की मांग पूरी दुनिया में बढ़ी है। डाँ चन्द्राकर का कहना है, कि किसानों को वो समय- समय पर सेमिनार कर मखाने की खेती के बारे में जानकारी देते है। ताकि किसानों की आय में सुधार हो सकें। उन्होंने बताया कि मखाने को काला हीरा भी कहा जाता है। इसका प्रयोग औषधीय उपयोग में किया जाता है। भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महामंत्री विजय प्रकाश जैन का कहना है कि कोरोना काल में मखाने की मांग बढ़ने का कारण ये है, कि लोगों ने माना है कि कुपोषित बच्चें और महिलायें डाँक्टरों की सलाह पर मखाना का सेवन कर रहे है। जिससे मखाना की मांग बढ़ी है।