कैप्टन की मुश्किलें बढ़ीं

पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में गुटबाज़ी बढऩे लगी है। सन् 2017 के चुनाव से पहले भी ऐसी ही स्थिति उपजी थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह को विरोधी गुट अपरोक्ष तौर पर चुनौती दे रहा था। लेकिन कैप्टन का जादू रहा कि उन्हें केंद्रीय आलाकमान पूरा समर्थन मिला। सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ने कैप्टन की पीठ थपथपा दी। फिर क्या था? विरोधी गुट बिखर गया और अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री के तौर पर क़ाबिज़ हुए। अब वैसी स्थिति नहीं है, उनके नेतृत्व को अभी तक चुनौती नहीं मिली थी। लेकिन अब कैप्टन से नाराज़ दो सांसद और तीन मंत्री सीधे तौर पर उनके विरोध में खड़े नज़र आ रहे हैं।

अमरिंदर असन्तुष्टों की नाराज़गी दूर करने में लगे हैं। लेकिन विरोधी अभी दबाव बनाने में ही लगे हुए हैं। राज्य में गुप्त बैठकों का दौर जारी है। कई मंत्रियों और विधायकों की अपनी ही सरकार के प्रति नाराज़गी है। दो दर्ज़न से ज़्यादा विधायकों की बैठक हो चुकी है, जिसमें चुनावी वादे पूरे न करने पर सरकार के प्रति नाराज़गी जतायी गयी है। विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से भी कम का समय बचा है, ऐसे में आने वाले दिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए मुश्किल भरे हो सकते हैं। कैप्टन के धुर विरोधी राज्यसभा सदस्य और कभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे प्रताप सिंह बाजवा ज़्यादा मुखर हो गये हैं। जिस तरह से कैप्टन ने उन्हें राज्य की राजनीति से अलग-थलग कर केंद्र की राजनीति में धकेलने में सफल रहे अब वही उनके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। दोनों में विगत एक दशक से लगभग 36 का आँकड़ा है। कैप्टन कुशल प्रशासक हैं। लेकिन राजनीति की बिसात पर उनके मोहरे सही पड़ेंगे? यह कहना मुश्किल है।

कोरोना वायरस से जूझती सरकार के लिए पहले किसान आन्दोलन और अब अपनी ही पार्टी के असन्तुष्ट नेता सरकार और उनके लिए मुसीबत बन रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी के निशाने पर कैप्टन सरकार है; लेकिन उससे पहले कांग्रेस के असन्तुष्टों जिस तरह से गोलबंद हो रहे हैं, वह बड़ा मामला है।

कैप्टन के आधा दर्ज़न से ज़्यादा मंत्री और दो दर्ज़न से ज़्यादा विधायक सरकार से नाराज़ चल रहे हैं। इनमें से कुछ सामने आने से परहेज़ कर रहे हैं। समीकरण उनके हिसाब से बने, तो उन्हें सामने आने में कोई दिक़्क़त नहीं होगी।
दलित और पिछड़़ा वर्ग से जुड़े विधायक गोलबंद होने लगे हैं। तकनीकी, शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की नाराज़गी ज़्यादा है। कैप्टन के सलाहकारों ने उनसे मुलाक़ात कर इसे दूर करने का प्रयास किया है। चुनाव से पहले कैप्टन पार्टी में विरोध के सुरों को लगभग बन्द कर एकता स्थापित करना चाहते हैं। लुधियाना से पार्टी सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा राज्य के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के आवास पर गुप्त बैठक हुई, जिसमें कई मुद्दों पर बातचीत हुई।

इनमें विशेषकर गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी से जुड़े मामलों पर चर्चा और अभी तक कोई कार्रवाई न होने पर नाराज़गी जतायी गयी। नशा कारोबार पर रोक और हर घर के एक सदस्य को नौकरी देने जैसे वादे अधूरे रहने को नेतृत्व की नाकामी बताया गया। इधर, असन्तुष्ट केंद्रीय आलाकमान के पास अपनी बात पहुँचा रहे हैं, वहीं कैप्टन समर्थक मंत्री भी सक्रिय हैं। कैप्टन समर्थक मंत्री ब्रह्म महेंद्रा, सुंदर श्याम अरोड़ा और साधु सिंह धर्मसोत ने संयुक्त पत्र जारी कर नवजोत सिंह सिद्धू पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है। नवजोत काफ़ी समय से अपनी ही सरकार के मुखर आलोचक बने हुए हैं।

एक दौर में कैप्टन और सिद्धू के बीच अच्छे रिश्ते थे। वह स्थानीय स्वशासन मंत्री के तौर पर वे बेहतर काम करने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन कैप्टन को शायद उनकी कार्यशैली पसन्द नहीं आयी। उनका विभाग बदलने का प्रयास किया तो सिद्धू नाराज़ हो गये, तो फिर मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना सके। उन्हें शायद इसकी परवाह भी नहीं रही होगी। लगभग ढाई साल के दौरान वह लगभग निष्क्रिय ही रहे। कुछ माह से वह अपनी ही सरकार के आलोचक बने हुए हैं। वह कहते भी हैं कि जहाँ राज्य के लोगों और हितों की अनदेखी होगी वह पीछे नहीं हटेंगे; नतीजा चाहे जो रहे, उन्हें इसकी चिन्ता न पहले थी और न आगे रहेगी। उनकी सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के पास पहुँच मुख्यमंत्री से कहीं ज़्यादा है। इसलिए आलाकमान उन पर सीधे तौर पर कोई कार्रवाई करने से पहले विचार ज़रूर करेगा।

हाल में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कोटकपूरा गोलीकांड पर विशेष जाँच टीम की रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए विपरीत टिप्पणी की। इसके बाद से स्थितियाँ बदलने लगी हैं। गुरु ग्रन्थ साहिब को लेकर बेअदबी से उपजे कोटकपूरा गोलीकांड पर पंजाब सरकार की आईजी (अब पूर्व) कुँवर विजय प्रताप सिंह की जाँच रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताते हुए नयी जाँच समिति के गठन करने और उसमें उक्त अधिकारी को शामिल न करने की बात कही। इसके बाद आईजी कुँवर विजय प्रताप सिंह ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा दे दिया।


पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की रिपोर्ट पर तल्ख़टिप्पणी के बाद जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस्तीफ़ा सौंप दिया लेकिन उसे मज़ूर नहीं किया गया। रंधावा के मुताबिक, गुरु ग्रन्थ साहिब को लेकर बेअदबी और कोटकपूरा गोलीकांड के दोषियों को सज़ा दिलाना पार्टी का मुख्य एजेंडा था। लेकिन रिपोर्ट ख़ारिज होने के बाद पार्टी के नेता लोगों को क्या जवाब देंगे?

नवजोत सिद्धू ने तो इसे गृहमंत्री के तौर पर कैप्टन की नाक़ाबिलियत क़रार दे दिया। यह एक तरह से कैप्टन पर सीधा हमला है। इसके बाद ही कैप्टन सिद्धू के ख़िलाफ़ कुछ-न-कुछ कार्रवाई ज़रूर करेंगे। उनके तीन समर्थक मंत्रियों ब्रह्म महेंद्रा, सुंदर श्याम अरोड़ा और साधु सिंह धर्मसोत ने साझे पत्र में केंद्रीय आलाकमान से सिद्धू के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग की है। सिद्धू कह चुके हैं कि अगर पार्टी लोगों की भावनाएँ ज़ाहिर करने को अनुशासनहीनता मानती है, तो वह ऐसा करते रहेंगे। राज्य कांग्रेस में एक तरह से गुटबाज़ी और ज़्यादा तीव्र होने लगी। कैप्टन का सरकार और पार्टी दोनों पर अच्छी पकड़ है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ उनसे अलग नहीं है।

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) सरकार के समय प्रदेश में गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी के मामले हुए, जिनकी राज्य में तीव्र प्रतिक्रिया हुई। कांग्रेस ने ऐसी घटनाओं को साज़िश बताते हुए सत्ता पक्ष को कठघरे में खड़ा कर दिया था।
सन् 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने साज़िश रचने वालों और आरोपियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने को अपने एजेंडे में रखा। जाँच के लिए आयोग और पुलिस की विशेष जाँच टीमें गठित हुईं; लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। पिछले दिनों सरकार की गठित अन्तिम विशेष जाँच समिति की रिपोर्ट को उच्च न्यायालय ने ख़ारिज करते हुए दूसरी जाँच समिति बनाने का निर्देश दिया। यह जाँच रिपोर्ट साधारण नहीं, बल्कि इससे कांग्रेस की अमरिंदर सिंह सरकार की प्रतिष्ठा जुड़ी थी।

उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सरकार ने बेअदबी और कोटकपूरा गोलीकांड की जाँच के तीन सदस्यीय विशेष जाँच टीम (एसआईटी) गठित कर दी है। रिपोर्ट के लिए टीम को छ: माह का समय दिया गया है। सरकार ने न्यायालय के आदेश की पालना तो कर दी, लेकिन इससे विरोधी दलों के साथ उनकी पार्टी के ही कई नेता नाराज़ हैं।
शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल के मुताबिक, कुँवर विजय प्रताप की जाँच रिपोर्ट पर न्यायालय की तल्ख़टिप्पणी के बाद साबित हो गया है कि सरकार का मक़सद क्या था। सरकार को राजनीति से प्रेरित रिपोर्ट नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित जाँच कराकर किसी निष्कर्ष पर पहुँचना चाहिए, ताकि दूध-का-दूध और पानी-का-पानी हो सके। आम आदमी पार्टी नेताओं का आरोप है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह इसकी जाँच के बहाने समय पास कर रहे हैं। नयी टीम की रिपोर्ट भी न्यायालय में ठहरेगी इसका क्या भरोसा है? विधानसभा चुनाव से पहले दोषियों को सज़ा होगी, इसमें सन्देह ही है।

राज्य के कई मंत्रियों और विधायकों का मुख्यमंत्री पर उनकी अनदेखी करने का आरोप है। दलित और पिछड़ा वर्ग के दो दर्ज़न से ज़्यादा विधायक घोषणा-पत्र में किये वादे पूरा करने का आरोप लगा रहे हैं। ऐसी हालत में विधानसभा चुनाव में किस मुँह से लोगों के सामने जाएँगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ कहते हैं- ‘सरकार ने घोषणा पत्र के 80 फ़ीसदी वादे लगभग पूरे कर दिये हैं; बाक़ी पर काम चल रहा है।’ इसमें कितनी सच्चाई है? इस बारे में उनके नेता ही गुप्त बैठकों में उजागर कर रहे हैं। लुधियाना से पार्टी के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू कहते हैं- ‘गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी और कोटकपूरा गोलीकांड का मामला बहुसंख्यक लोगों की भावनाओं से जुड़ा है। साढ़े चार साल में जाँच हुई; लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात ही रहा। नयी जाँच टीम का नतीजा क्या निकलेगा? यह तो समय ही बताएगा।’

सिद्धू बनाम सिद्धु
कैप्टन सरकार के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी में नवजोत सिद्धू ही ज़्यादा मुखर है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी सिद्धू ही हैं। क़रीब एक माह पहले अमरिंदर सिंह ने अपने सिसवां फार्म हाउस पर सिद्धू को आमंत्रित किया था। दोनों के बीच काफ़ी समय तक विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई थी। सिद्धू को पार्टी और सरकार में महत्त्व देने वाले कैप्टन ही हैं, जिसे वह भुला नहीं पा रहे हैं। कैप्टन पुरानी बातों को भुला उन्हें कोई नई ज़िम्मेदारी देने के पक्ष में है। सिद्धू की सोनिया और राहुल के पास पहुँच है यह कैप्टन भी जानते हैं। मुलाक़ात के बाद अटकलें लगीं कि शायद अब सिद्धू सरकार के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी नहीं करेंगे; लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उनके तेवर और अंदाज़ वही है। गम्भीर बातों को शायराना अंदाज़ में बड़ी बेबाक़ी से कहना बहुत कुछ कर सकता हैं। कैप्टन उन्हें अपने ख़ेमे में लाने में सफल रहते हैं या नहीं यह समय ही बताएगा।