केंद्रीय मंत्री शेखावत को राजस्थान एसीबी ने वॉयस सैंपल टेस्ट के लिए नोटिस जारी किया

राजस्थान हाईकोर्ट में सचिन पॉयलट गुट के नेताओं को नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर चल रही सुनवाई के बीच, सूबे में चल रहे सियासी घमासान में सोमवार को नया मोड़ आया जब खरीद फरोख्त के मामले में उनकी कथित आवाज वाली फोन टेप (ऑडियो क्लिप) में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने वॉयस सैंपल टेस्ट के लिए नोटिस जारी किया है। शेखावत ने ऑडियो टेप में अपनी आवाज होने से इंकार किया था।
याद रहे शुक्रवार को कांग्रेस ने सचिन पायलट गुट और भाजपा के नेताओं पर अशोक गहलोत सरकार को गिराने का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने दो ऑडियो टेप में कथित रूप से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस के बागी विधायक भंवर लाल शर्मा के बीच उनकी सरकार गिराने के लिए पैसों के लेनदेन का दावा किया था। ऑडियो टेप के सामने आने के बाद शेखावत ने इसे ”फेक” बताया था और कहा था कि वे मारवाड़ी लहजे में बोलते हैं जबकि ऑडियो टेप में झुंझुनू का टच है। उन्होंने इसे ”जोड़-तोड़” से तैयार किया गया बताया था और कहा था कि वे किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। अब नोटिस मिलने की बात स्वीकारते हुए शेखावत ने बताया कि उनके निजी सचिव को एसओजी की तरफ से वॉयस सेंपल टेस्ट और बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस मिला है। हालांकि, उन्होंने कहा कि ”एसओजी पहले जांच करे और बताए कि ऑडियो क्लिप का सोर्स क्या है और इसकी क्या प्रमाणिकता है. इस क्लिप को सरकार ने रिकॉर्ड कराया है या नहीं”।
कांग्रेस से निलंबित विधायक भंवर लाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह, भाजपा नेता संजय जैन और गजेंद्र सिंह शेखावत के वॉयस टेस्टिंग के लिए एसीबी कोर्ट भी गयी थी। इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय माकन, जिन्हें कांग्रेस नेतृत्व ने संकट सुकझने के लिए अन्य नेताओं के साथ जयपुर भेजा था, ने कहा कि ”जिन लोगों के नाम एफआईआर में हैं, वे पुलिस की जांच में सहयोग क्यों नहीं दे रहे हैं। एसओजी की टीम को वॉयस सैंपल क्यों नहीं लेने दिया जा रहा है। जब केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम एफआईआर में है, जब उनकी आवाज ऑडियो टेप में है तो वे मंत्री पद पर क्यों बने हुए हैं”।
माकन ने सवाल किया – ”जब केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने यह कहा कि कथित ऑडियो टेप में आवाज उनकी नहीं तो फिर वह सामने आकर अपना वॉयस सैंपल देने से डर क्यों रहे हैं? गजेंद्र शेखावत को नैतिकता के आधार पर पद छोड़ देना चाहिए, जांच में सहयोग और वॉयस सैंपल देना चाहिए”।
अब फिलहाल सबकी नजर राजस्थान हाई कोर्ट के सचिन पॉयलट की तरफ से दायर याचिका के फैसले पर है जिसमें स्पीकर के उन्हें दिए नोटिस को चुनौती दी गयी है। इसके बाद ही सब कुछ साफ़ होगा और यदि फैसला पॉयलट गुट के हक़ में गया तो सीएम गहलोत विधानसभा सत्र बुलाकर अपना बहुमत सिद्ध करने के कदम उठाएंगे, क्योंकि दावा है कि उनके पास बहुत से ज्यादा विधायक हैं।