किसान की मौत की खबर ट्वीट करने के मामले में थरूर, पत्रकारों को राहत; सुप्रीम कोर्ट की गिरफ्तारी पर रोक  

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मृत्यु को लेकर कथित असत्यापित खबर शेयर करने के मामले में दायर एफआईआर के खिलाफ कांग्रेस नेता और सांसद शशी थरूर और पत्रकार राजदीप सरदेसाई की याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को उन्हें बड़ी राहत देते हुए उनकी और अन्य की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। मामले में अब दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी।

शशी थरूर और राजदीप सरदेसाई के खिलाफ ‘हिंसा भड़काने’ के आरोप में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद दोनों ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिका पर सुनवाई करते प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने थरूर, राजदीप, विनोद जोस, मृणाल पांडे, जफर आगा, अनंत नाथ और परेश नाथ की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।

सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक को अगले दो हफ्तों के लिए कायम रखा है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले में दिल्ली पुलिस के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश कर्नाटक, हरियाणा राज्यों को भी नोटिस जारी किया है। बता दें इन सभी पर ट्रैक्टर रैली के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत को लेकर कथित तौर पर गलत जानकारी ट्वीट करने के आरोप में अलग-अलग राज्यों में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी पर भी अगली सुनवाई तक रोक बढ़ा दी है। मामले में अब दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारी पर लगी रोक का विरोध किया। कोर्ट में दिल्ली पुलिस की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम इन ट्वीट्स की वजह से हुए भयानक प्रभाव को दिखाएंगे। इन ट्विटर हैंडलों के लाखों फॉलोअर्स हैं।

थरूर की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि थरूर इस वक्त दिल्ली में हैं और उनपर गंभीर आरोप हैं, इसलिए अंतरिम सुरक्षा की जरूरत है। सिब्बल ने कहा कि जांच एजेंसी कभी भी मुझे गिरफ्तार कर सकती है।

सर्वोच्च अदालत की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा- ‘हम आपकी बात सुनेंगे लेकिन क्या आप उन्हें गिरफ्तार करने जा रहे हैं?’ इस पर मेहता ने कहा कि हम अपनी जिम्मेदारी से वाकिफ हैं। पीठ ने नोटिस जारी करते अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक को बरकरार रखा और दो हफ्ते बाद के लिए सुनवाई टाल दी।