किराये पर राजनीति मुश्किल में प्रवासी

कहते हैं कि सियायत अपने नफा-नुकसान का आकलन करके जनता के बीच अपनी धाक और छवि उभारने का प्रयास करती रहती है; भले ही देश में कोई आपदा या महामारी ही क्यों न हो। इस समय दुनिया भर में कोरोना वायरस के कहर से लोगों में भय व्याप्त है और इससे अनेक लोग मर भी रहे हैं। आज कोरोना वायरस के डर से  लॉकडाउन के चलते लगभग हर काम बन्द है। ऐसे में जो मज़दूर दूसरे राज्यों में रहकर अपना जीवनयापन कर रहे थे, वे भूखे रहने के चलते अपने घर-गाँव लौटने को मजबूर हैं। लेकिन इन दिनों मज़दूरों के आने-जाने पर जो अफरा-तफरी मची है, उससे एक तरफ कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा है, तो दूसरी तरफ सियासत। क्योंकि मुसीबत में फँसे मज़दूरों से रेल किराया लिया जा रहा था।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने प्रवासी मज़दूरों से रेलवे द्वारा किराया वसूले जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि कांग्रेस मज़दूरों का किराया वहन करेगी। उन्होंने इस मामले पर जन आन्दोलन का ऐलान भी किया। सोनिया गाँधी  के इस बयान के बाद देश की राजनीति शुरू हो गयी। स्थगित-सी पड़ी कांग्रेस के साथ उनके सहयोगी दलों ने भी सोनिया गाँधी के बयान पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि वो भी मज़दूरों का किराया देने को तैयार हैं।

लेकिन भाजपा को इस पर आपत्ति हुई। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने सोनिया गाँधी के बयान पर कहा कि कांग्रेस की नीयत ही लोगों को गुमराह करने वाली रही है, जबकि रेलवे किसी मज़दूर से कोई पैसा नहीं वसूला जा रहा है। संबित पात्रा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन के किराये पर  केंद्र 85 फीसदी सब्सिडी दे रहा है, शेष 15 फीसदी राशि का भुगतान राज्यों को करना है। ऐसे में मज़दूरों से पैसा वसूलने वाली बात सरासर गलत है। इस मामले में रेलवे भी कूद पड़ा और कहा कि रेलवे ने टिकट बिक्री के लिए कोई काउन्टर ही नहीं खोले, तो ऐसे में टिकट बेचे जाने वाली बात निराधार है। हालाँकि यह भी सच है कि यह सब सोनिया गाँधी के बयान के बाद आनन-फानन में किया गया।

इधर, राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में डबल इंजन वाली सरकार है। वह प्रवासी मज़दूरों को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं कर रही। बिहार के लाखों मज़दूरों के पास पैसा भी नहीं है और उन्हें अपने घर लौटने में परेशानी हो रही है। ऐसे में राजद मज़दूरों के लिए 50 ट्रेनों का किराया वहन करने को तैयार है। राजद के इस बयान के बाद बिहार के साथ दिल्ली में भी सियासी हलचल तेज़ हो गयी और यहाँ दिल्ली सरकार ने मज़दूरों का किराया वहन करने का ज़िम्मा उठाने का हामी भरी। बताते चले कि इसी साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार में विधान सभा के चुनाव होने है। इस मामले में स्वाभाविक है कि मज़दूरों के हित में लिये गये फैसले चुनावी समीकरण बनाने -बिगाडऩे में काफी अहम हो सकते हैं। हालाँकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार के जो भी मज़दूर और छात्र हैं, उन्हें कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी, सरकार उनकी हर सम्भव मदद कर भी रही है। अखिल भारतीय मज़दूर संघ कांग्रेस से जुड़े नेता संदीप सिंह ने बताया कि कई राज्यों से मज़दूरों के द्वारा ऐसी शिकायतें आयी हैं कि उनसे किराये के तौर पर पैसा वसूला जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मज़दूरों के साथ अन्याय को बर्दास्त नहीं किया जाएगा।

भाजपा के वरिष्ठ नेता शाहनवाज भी इस मामले पर बोले। उन्होंने कहा कि वे मज़दूरों के किराये के नाम पर सियासत करने वाले कांग्रेस के नेताओं की कड़े शब्दों में निन्दा करते हैं। कांग्रेस दुष्प्रचार करने और समाज में फूट डालने का काम कर रही है। शाहनवाज हुसैन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार कोरोनाकाल में हर ज़रूरतमंद व्यक्ति की मदद कर रही है। लेकिन कांग्रेस इस महामारी से न लडक़र देशवासियों को गुमराह कर रही है।

कांग्रेस पार्टी के नेता अशोक शर्मा का कहना है कि देश के मज़दूर जो गुजरात, महाराष्ट्र और हरियाणा सहित तामाम राज्यों में फँसे हैं, जिनके पास खाने को पैसा तक नहीं बचा है। वे सरकार की ओर ताक रहे हैं कि कब वह उन पर ध्यान देगी और उनकी समस्या का समाधान करेगी। सरकार की उदासीनता के कारण मज़दूरों और जनमानस को कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है, पर सरकार आँकड़ेबाज़ी के खेल में मस्त है।  यह भी है कि कोरोना से जंग में केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर काम कर रही हैं। मगर ऐसे हालात में भी सत्ता पक्ष और विपक्ष किसी-न-किसी बहाने राजनीति कर रहे हैं, यह ठीक नहीं। कांग्रेस शासित राज्यों का कहना है कि केंद्र सरकार बजट मुहैया कराने में काफी भेदभाव कर रही है और मनमानी भी कर रही है। किराये को लेकर उपजे विवाद पर जो मज़दूर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जा रहे हैं, उनसे तहलका संवाददाता ने जानना चाहा कि वे किराया देकर आये हैं या नहीं? इस पर रौनक, गयादीन और बबलू ने बताया कि रेलवे ने कोई किराया नहीं लिया है। वहीं कई मज़दूरों के वीडियो वायरल हो रहे हैं, जो किराया वसूली का बाकयदा टिकट दिखा रहे हैं।