कला फिल्म पर भी विवाद

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बालीवुड में एक बड़े बजट की कला फिल्म ‘पद्मावतीÓ पहली दिसंबर से रिलीज होने को है। निर्माण के दिनों से ही इस फिल्म पर विवाद छिड़ा रहा। इस फिल्म को कला फिल्म कहना इसलिए उचित जान पड़ता है क्योंकि इतिहास की किताबों में रानी पद्मावती का उल्लेख ज्य़ादा नहीं है। राजस्थान में रानी पद्मावती और उसके जौहर की कहानी लोक गीतों और लोककथाओं में ज़रूर अमर हो गई। उसी पर आधारित यह फि ल्म आज विवाद के घेरे में है।
‘पद्मावतीÓ के निदेशक संजय लीला भंसाली का कहना है कि फिल्म का विरोध बेबुनियाद है। फिल्म में रोमेंटिक दृश्य पर विवाद है जबकि वह वस्तुत: सपना है जिसे फिल्मांकित किया गया है। फिल्म की प्रमुख अदाकार दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह में कोई मिलन कहीं नहीं दिखाया गया है। भंसाली का कहना है कि ‘पद्मावतीÓ का अभिनय रूप बड़ी ही सावधानी और जिम्मेदारी से तैयार किया गया है। उसकी अपनी कहानी से मैं प्रभावित रहा हूं और यह फिल्म उसके साहस, सम्मान और बहादुरी के प्रति एक श्रद्धासुमन है। हालांकि कुछ अफवाहों, गलतफहमियों के चलते इस फिल्म को बेवजह विवाद में डाल दिया गया। हमने राजपूतों  की आन, बान और शान का पूरा ख्याल रखा है।
इस फिल्म पर भाजपा को ज्य़ादा आपत्ति है। भाजपा विधायक और जयपुर के शाही परिवार के सदस्य दिव्या कुमारी का कहना है कि फिल्म ‘पद्मावतीÓ के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए यदि इसमें इतिहास की अनदेखी की गई है। तमाम तथ्यों की छानबीन फिल्म निर्माता संजय भंसाली को इतिहास के विशेषज्ञों के एक पैनेल से करा लेनी चाहिए। जिससे किसी भी समुदाय की भावनाओं को इस फिल्म से ठेस नहीं पहुंचे।
उधर बजरंग दल और राजपूत करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने इस फिल्म के रिलीज़ होने के विरोध में जयपुर कचहरी पर धरना-प्रदर्शन किया। इनकी मांग थी कि फिल्म पर पाबंदी लगा दी जाए। राजस्थान के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को एक ज्ञापन भी इन लोगों ने दिया।