कर बचाने के रास्ते- बड़े खिलाड़ी टैक्स बचाने के लिए बन जाते हैं अभिनेता!

जिसकी आमदनी जितनी ज्यादा होती है, वह उतनी ही बड़ी टैक्स यानी कर चोरी करता है। लेकिन इन बड़ी आमदनी वाले बड़े लोगों के पास टैक्स चोरी करके भी बचने के रास्ते होते हैं। ‘तहलका एसआईटी’ की जाँच रिपोर्ट से पता चलता है कि कैसे क्रिकेट दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने टैक्स से एक बड़ी राहत पाने के लिए अभिनेता की भूमिका निभायी? कैसे भारतीय क्रिकेटरों में कर कानून के गलत पक्ष में जाने की अनोखी आदत है। इसी तरह की टैक्स चोरी को लेकर तहलका एसआईटी की एक पड़ताल :-

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यह सब 2011 में शुरू हुआ, जब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के तत्कालीन सहायक आयुक्त के साथ विवाद हुआ। जब मामले का विवरण सार्वजनिक हुआ, तो लोग हैरान रह गये कि क्या सचिन तेंदुलकर सिर्फ एक क्रिकेटर हैं या एक अभिनेता भी हैं? सचिन तेंदुलकर द्वारा विभिन्न कम्पनियों से परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में प्राप्त 5.92 करोड़ रुपये पर कर कटौती का दावा करने के बाद विवाद छिड़ गया था।

आयकर अधिनियम-1961 की धारा-80(आरआर) के तहत कटौती का दावा किया गया था। धारा-80(आरआर) सुविधा प्रदान करती है कि यदि कोई व्यक्ति एक चुनिंदा पेशेवर है, यानी एक लेखक, नाटककार, कलाकार, संगीतकार, अभिनेता या खिलाड़ी है और वह विदेशी स्रोतों से आय प्राप्त करता है, तो अधिकारी अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए अर्जित किये गये पूरे धन पर कर नहीं लगाएँगे।

हालाँकि आकलन अधिकारी ने तेंदुलकर के दावे को खारिज कर दिया। अस्वीकृति का आधार यह था कि सचिन एक पेशेवर क्रिकेटर थे। इसके बाद उन्होंने अपने पेशे से मॉडलिंग और विज्ञापन से आय नहीं ली। मूल्यांकन अधिकारी ने तर्क दिया कि विज्ञापन में केवल किसी उत्पाद का समर्थन करके, सचिन एक अभिनेता होने का दावा नहीं कर सकते। तेंदुलकर ने हालाँकि इस आदेश के खिलाफ आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील की।

उनके वकील ने प्रस्तुत किया कि तेंदुलकर ने वेतन से आय, एक क्रिकेटर के रूप में अन्य स्रोतों से आय और मॉडलिंग / प्रायोजन से आय को व्यवसाय / पेशे से आय के रूप में दिखायी है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि सचिन एक पेशेवर क्रिकेटर नहीं थे और उनका एकमात्र पेशा एक अभिनेता का था। इसके अलावा धारा-80(आरआर) के तहत एक व्यक्ति के पास एक से अधिक पेशे हो सकते हैं। अपने अंतिम निर्णय में आईटीएटी ने मास्टर ब्लास्टर की अपील पर सहमति व्यक्त की और उन्हें बिना मुद्दों के कटौती का लाभ उठाने की अनुमति दी। इसके अलावा आईटीएटी ने सचिन तेंदुलकर के तर्क को सही पाया, क्योंकि उन्होंने दोहराया कि वह एक कलाकार होने के साथ-साथ एक क्रिकेटर भी हो सकते हैं।

इसके अलावा जब लिटिल मास्टर, जैसा कि उन्हें प्यार से बुलाया जाता है; स्क्रीन पर आते हैं, तो वह अपने क्रिकेट कौशल का उपयोग नहीं करते, बल्कि केवल अपने अभिनय कौशल का उपयोग करते हैं। आईटीएटी ने कहा कि ब्रांड या उत्पादों के प्रचार के लिए ऐसे कौशल की आवश्यकता होती है, जो क्रिकेट से सम्बन्धित नहीं है; इसलिए कटौती उचित है।

तेंदुलकर पर वित्त वर्ष 2001-02 और वित्त वर्ष 2004-05 के दौरान विदेशी मुद्रा में ईएसपीएन-स्टार स्पोर्ट्स, पेप्सिको और वीजा से अर्जित 5,92,31,211 रुपये की आय पर 2,08,59,707 रुपये का आयकर लगाया गया था।
ट्रिब्यूनल के फैसले के उनके पक्ष में जाने से सचिन ने टीवी विज्ञापनों के माध्यम से की गयी आय पर लगभग दो करोड़ रुपये बचा लिये। लेकिन यह पहली बार नहीं था, जब सचिन तेंदुलकर को आयकर अधिकारियों के साथ इस तरह उलझना पड़ा हो। इससे पहले भी वह उन करीब 75,000 लोगों, जिनमें कई मशहूर हस्तियाँ और व्यवसायी शामिल थे; में से एक थे, जिन्होंने कारों पर टैक्स का भुगतान करने में विफल रहने के बाद यह नाराजगी झेली हो।

नवी मुम्बई में पंजीकृत कारों पर उपकर का भुगतान न करने पर प्राधिकरण ने सभी आरोपियों को समन (नोटिस) जारी किया था। इनमें सचिन तेंदुलकर, गायक और संगीतकार शंकर महादेवन और अनिल धीरूभाई अंबानी समूह शामिल थे। सचिन के पास बीएमडब्ल्यू एम5 लग्जरी कार है। नवी मुम्बई नगर निगम के अनुसार, वाहन कर का भुगतान न करने के कारण कुल बकाया राशि 50 करोड़ रुपये थी। बकाया राशि 1.5 लाख वाहनों से सम्बन्धित थी।

सचिन तेंदुलकर से पहले क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले ने कर छूट का लाभ उठाने के लिए अभिनेता की टोपी पहनने की कोशिश की थी। लेकिन भोगले की गुगली पर टैक्स अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से छक्का मार दिया। अपने काम के लिए विदेशों से कमाई करने वाले कलाकारों को विशेष छूट देने की क्रिकेट कमेंटेटर की कोशिश को एक आईटी ट्रिब्यूनल ने खारिज कर दिया था।

आईटी विभाग ने दावा किया था कि टैक्स में छूट माँगने के लिए भोगले खुद की तुलना उन लेखकों, नाटककारों, संगीतकारों, खिलाड़ियों और अभिनेताओं से नहीं कर सकते, जो विदेशी संस्थानों से कमाते हैं; क्योंकि उन्होंने कोई रचनात्मक काम नहीं किया। साल 2002 में ट्रिब्यूनल ने कहा कि भोगले ने जो किया, वह कोई रचनात्मक काम नहीं था और अच्छी अंग्रेजी तथा क्रिकेट का ज्ञान रखने वाला कोई भी व्यक्ति कमेंट्री कर सकता हैं। क्रिकेट का खेल आजकल ग्लैमर और दौलत से भरा हुआ है, ये कारक भारत में युवाओं की क्रिकेटर बनने की महत्त्वाकांक्षा को बढ़ावा देते हैं।
इस बीच सचिन तेंदुलकर एकमात्र भारतीय क्रिकेटर नहीं हैं, जो अधिकारियों के साथ कर विवाद में फँस गये हैं। कई अन्य लोग हैं, जो करों के कारण सरकार के साथ परेशानी में उलझे और मामलों को अदालत के माध्यम से सुलझा लिया गया। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) क्रिकेटरों को मैचों में उनके प्रदर्शन के आधार पर वेतन देता है, जो उन्हें बेहतर खेलने और देश का गौरव बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

यहाँ तक कि राष्ट्र के लिए अपनी सेवाओं के बाद भी उनमें से अधिकांश एक सेलिब्रिटी का जीवन जीते हैं, जिन्होंने खेल के दिनों में पर्याप्त सम्पत्ति अर्जित की है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जितना अधिक धन होता है, उतना अधिक करों को आकर्षित करता है। जैसा कि होता है कि करदाता (टैक्स पेयर) टैक्स चुकाने में खुशी महसूस नहीं करता। यहाँ उन प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेटरों की सूची दी गयी है, जिनका कर अधिकारियों के साथ विवाद हुआ था।

सौरभ गांगुली

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के खिलाफ सर्विस टैक्स डिमांड नोटिस को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। उन्हें लेख लिखने, टीवी शो की एंकरिंग करने आदि के लिए पारिश्रमिक मिलता था, जिसे प्राधिकरण ने शुरू में सेवा कर के रूप में निर्धारित किया था। हालाँकि कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने उनके खिलाफ जारी कारण बताओ नोटिस को रद्द कर दिया। इसे अमान्य करते हुए, यह माना गया कि लेख लिखने, टीवी शो एंकरिंग करने और आईपीएल खेलने के लिए प्राप्त पारिश्रमिक व्यापार सहायक सेवा के तहत सेवा कर का कारण नहीं है।

सचिन तेंडुलकर

निस्संदेह दुनिया में सबसे प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी भी कर विवादों से अछूते नहीं थे, क्योंकि उन्हें एक से अधिक बार अधिकारियों से राहत लेनी पड़ी थी। सन् 2017 में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) की मुम्बई पीठ ने पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के खिलाफ विभाग की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि शेयरों की बिक्री-खरीद से होने वाली आय को केवल इसलिए व्यावसायिक आय नहीं माना जा सकता है, क्योंकि उन्होंने पोर्टफोलियो प्रबंधक की सेवा का लाभ उठाया है।

कृष्णमाचारी श्रीकांत

पूर्व भारतीय कप्तान, जो अब मॉडलिंग, क्रिकेट कमेंट्री, पत्रकारिता, परामर्श और बीपीसीएल डीलरशिप के व्यवसाय में लगे हुए हैं; के मामले में एक बार आईटीएटी द्वारा पुनर्मूल्यांकन की कार्यवाही को बर$करार रखा गया था। जब अधिकारियों ने देखा कि उन्होंने अपने नाम, नाबालिग बच्चों और पत्नी के शेयरों को बेच दिया था, और शेयरों की बिक्री आय से 4.25 करोड़ रुपये की पेशकश नहीं की थी। यह दावा करते हुए कि भारतीय द्वारा शेयरों पर गार्निश अटैचमेंट को ओवरराइड करने के लिए भुगतान किया गया था।

आखिर आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल ने यह देखते हुए मूल्यांकन को बरकरार रखा कि उन्होंने उक्त कम्पनी ‘क्रिस श्रीकांत स्पोर्ट्स’ एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की सम्पूर्ण शेयरधारिता के लिए पेंटामीडिया ग्रुप ऑफ कंसर्न्स के साथ एक गैर-प्रतिस्पर्धी समझौता किया था, जिसके लिए प्रतिस्पर्धा नहीं करने की सहमति दी थी। उक्त कम्पनी- ‘क्रिस श्रीकांत स्पोर्ट्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ के साथ छ: साल की अवधि के लिए 7.50 करोड़ रुपये के गैर-प्रतिस्पर्धी शुल्क के लिए जो पूँजी प्राप्ति होने के कारण टैक्स से मुक्त थे। अपने 85 पन्नों के आदेश के अन्त में ट्रिब्यूनल ने पुनर्मूल्यांकन की कार्यवाही को बरकरार रखा और कहा कि निर्धारिती द्वारा भारतीय बैंक को 4.25 करोड़ रुपये का भुगतान केवल आय का एक आवेदन था।

स्वप्निल असनोदकर

मुम्बई सीईएसएटी ने एक बार राजस्थान रॉयल्स के पूर्व खिलाड़ी स्वप्निल असनोदकर को यह कहकर राहत दी थी कि ब्रांड प्रचार शुल्क पर कोई सेवा कर नहीं लगाया जाता है। सन् 2008 से सन् 2012 की अवधि के लिए, उन्हें फ्रेंचाइजी मालिकों के साथ किये गये एक समझौते के तहत 1.12 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई थी।

 

 

आईपीएल-2019 के 14 खिलाड़ी

सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसएटी), चेन्नई पीठ ने एक बार क्रिकेट खिलाड़ियों एल बालाजी, आर अश्विन, मुरली कार्तिक, दिनेश कार्तिक, एस बद्रीनाथ, विद्युत शिवरामकृष्णन, अनिरुदा श्रीकांत, सुरेश कुमार, यो महेश, हेमाँग बदानी, सी गणपति, अरुण कार्तिक, केबी, कौशिक गाँधी और पलानी अमरनाथ को राहत दी थी। ट्रिब्यूनल ने कहा कि ये खिलाड़ी फ्रेंचाइजी से मिलने वाली राशि पर सर्विस टैक्स देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।

समीर दिघे

साल 2018 में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण आईटीएटी की मुंबई पीठ ने भारत के पूर्व विकेटकीपर, समीर दिघे को यह कहते हुए कर राहत दी कि लगभग 50 लाख रुपये के लाभ मैच से प्राप्त आय पर क्रिकेटर को कर नहीं लगाया जा सकता है।

चेतेश्वर पुजारा

चेतेश्वर पुजारा को 2018 में बॉम्बे उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली, जब उसने उनके खिलाफ सेवा कर संग्रह से सम्बन्धित एक आदेश को रद्द कर दिया।

कर्ण शर्मा

2018 में सीईएसएटी की अहमदाबाद पीठ ने माना कि क्रिकेट खिलाड़ी कर्ण शर्मा को राहत देते हुए 1 जुलाई, 2010 से पहले इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के दौरान उनके द्वारा प्रदान की गयी प्रचार गतिविधियों के लिए क्रिकेट खिलाड़ियों को कोई सेवा कर देयता नहीं दी जा सकती है। कर्ण रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेल रहे थे, जब उन्हें फ्रेंचाइजी से 20 लाख रुपये मिले थे।

पार्थिव पटेल

आईटीएटी अहमदाबाद ने एक बार अधिकारियों को क्रिकेटर पार्थिव पटेल द्वारा दावा किये गये व्यय की स्वीकार्यता पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया था और कराधान के उद्देश्य से क्रिकेट को एक पेशा माना था।

बीसीसीआई पर भी टैक्स बकाया

स्पोर्ट्स लाउंज के अनुसार, भारतीय क्रिकेटरों को तो भूल ही जाइए, यहाँ तक कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई), जो भारत में क्रिकेट को चलाने वाली संस्था है; पर राजस्व विभाग द्वारा कर चोरी का एक बड़ा मामला दर्ज किया गया है। संसद में वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत विवरण के अनुसार, 462 करोड़ रुपये की वसूली के बाद राजस्व विभाग ने बीसीसीआई को 1,303 करोड़ रुपये के एक और बकाया आयकर का भुगतान करने के लिए कहा है।

भारतीय क्रिकेटरों के बारे में क्या बात करें, यहाँ तक कि पाकिस्तान के क्रिकेटर भी कर विवादों से बचे नहीं हैं। उनमें से कई कर कानून के गलत पक्ष के कारण सुर्खियां बटोर रहे हैं। साल 2012 में पाकिस्तान के आयकर विभाग ने पिछले दो वर्षों में 100 मिलियन रुपये की कर चोरी के लिए 21 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को नोटिस दिया था।

पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक, उमर अकमल, मिस्बाह-उल-हक, कामरान अकमल, अब्दुल रज्जाक, मोहम्मद हफीज, शाहिद अफरीदी, यूनुस खान, अब्दुल रहमान, असद शफीक, तनवीर अहमद, अजहर अली, इमरान फरहत, राणा नावेद, सईद अजमल, उमर गुल, शोएब अख़्तर, सोहेल तनवीर और यासिर अराफात को नोटिस दिया गया था। दैनिक ने बताया कि यह पहला उदाहरण था जब आयकर विभाग ने क्रिकेटरों को नोटिस दिया था, जो देश में सेलिब्रिटी होने की स्थिति का आनंद लेते हैं। क्रिकेटरों ने टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया और खुद को कम टैक्स देनदारी की श्रेणी में फिट करके कम टैक्स चुकाने के तरीके खोज लिये।

जहाँ तक कर विवादों का सम्बन्ध है, इंग्लैंड के खिलाड़ी भी पीछे नहीं हैं। बहुत पहले डेली मेल ने रिपोर्ट किया था कि इंग्लैंड क्रिकेट टीम के सदस्यों को करदाताओं द्वारा जाँच का सामना करना पड़ सकता है। यह रिपोर्ट इन आरोपों के बीच आयी कि खिलाड़ियों ने अपनी कर देनदारियों को कम करने के लिए खामियों का फायदा उठाने की कोशिश की थी।
डेली मेल के अनुसार, इंग्लैंड की टीम के तत्कालीन सदस्य एंड्रयू स्ट्रॉस और केविन पीटरसन जाँच की आँच का सामना कर रहे थे। इंग्लैंड के विश्व कप विजेता स्टार क्रिकेटर आदिल रशीद को इनलैंड रेवेन्यू द्वारा टैक्स चोर के रूप में नामित और शर्मिंदा किया गया है। सन् 2019 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड को विश्व कप जिताने में मदद करने वाले इस गेंदबाज की पहचान कर अधिकारियों ने ‘जानबूझकर डिफॉल्टर’ के रूप में की, जो करों में 1,00,000 पाउंड से अधिक का भुगतान करने में विफल रहे। यॉर्कशायर क्रिकेटर, जिसका इंग्लैंड टीम के साथ एक केंद्रीय अनुबंध है, जहाँ सितारों को प्रति वर्ष लगभग एक मिलियन पाउंड का भुगतान किया जाता है; सन् 2013 से 2017 तक चार वर्षों के लिए अपनी टैक्स रिटर्न फाइल करने में चूक गये थे।

क्रिकेटर हमेशा से आयकर विभाग के रडार पर रहे हैं। सन् 2000 में जब केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) मैच फिक्सिंग के आरोपों की जाँच कर रहा था, आयकर विभाग ने 90 परिसरों और 29 लॉकरों की तलाशी ली, जिसमें 3.84 करोड़ रुपये नकद, आभूषण और अन्य सम्पत्ति जब्त की गयी। राज्यसभा में तत्कालीन वित्त मंत्री, यशवंत सिन्हा और राज्यमंत्री, धनंजय कुमार द्वारा बताया गया था। सात खिलाड़ी ऐसे थे, जिनके आवासीय और अन्य परिसरों की तलाशी ली गयी, वे थे- मोहम्मद अजहरुद्दीन, कपिल देव, अजय जडेजा, मनोज प्रभाकर, नवजोत सिद्धू, अजय शर्मा और निखिल चोपड़ा।

एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में श्रीलंका के पूर्व कप्तान सनथ जयसूर्या समेत दो अन्य क्रिकेटरों पर भारत में सड़ी सुपारी की तस्करी का आरोप लगा था। कथित कर-चोरी धोखाधड़ी सौदे में दो अन्य क्रिकेटरों के भी शामिल होने की बात कही गयी थी; लेकिन उनके नाम अभी सामने नहीं आये हैं। राजस्व खुफिया निदेशालय ने नागपुर में लाखों रुपये की सुपारी जब्त की। जाँच के दौरान उनका नाम सामने आने के बाद अधिकारियों द्वारा पूछताछ के लिए जयसूर्या को मुम्बई भी बुलाया गया था। जाँच के बाद आगे की पूछताछ के लिए श्रीलंका सरकार को पत्र भेजा गया।

लेकिन टैक्स चोरी सिर्फ दुनिया भर के क्रिकेटर ही नहीं करते हैं। यहाँ तक कि ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म भी टैस्स भुगतान से बच रहे हैं, जिससे भारतीय अर्थ-व्यवस्था को नुकसान पहुँच रहा है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में सम्पन्न हुए टी20 वर्ल्ड कप में क्रिकेट प्रेमी टीवी सेट से चिपके नजर आये। टीवी पर ओवरों को विराम देने वाले विभिन्न सट्टेबाजी और ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स के विज्ञापन थे, जिनमें से अधिकांश हमारे पसंदीदा क्रिकेटरों और टीवी / फिल्म अभिनेताओं द्वारा समर्थित थे। इस तरह के विज्ञापन वर्तमान समय में सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया आदि पर हैं; लेकिन एक लाल झंडा है।

ये एप्लिकेशन ज्यादातर देश के बाहर से संचालित होती हैं और इसलिए कर चोरी में शामिल होते हैं। भारत का राजस्व विभाग इन सट्टेबाजी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहा है। हाल ही में, उन्होंने 1XBET, Pari Match, Dafabet आदि सहित ऐसे ऐप्स की एक सूची साझा की थी।
अंतरराष्ट्रीय कॉर्पोरेट कर दुरुपयोग और निजी कर चोरी के कारण भारत को कथित तौर पर 10.3 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हो रहा है, जो सालाना 70,000 करोड़ रुपये से अधिक के बराबर है। वैश्विक स्तर पर, इस तरह की कर चोरी के कारण देशों को महाद्वीपों में 427 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है। अध्ययन में आगे कहा गया है कि भारत को सालाना 10.3 बिलियन डॉलर का कर नुकसान होता है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा कॉरपोरेट टैक्स चोरी है और 202.15 मिलियन डॉलर ऑफशोर प्राइवेट टैक्स चोरी है।

आज जबकि दुनिया में क्रिकेट में शामिल लोगों द्वारा कर चोरी सुर्खियाँ बटोर रही है, यह मैच फिक्सिंग है, जिसने समय के साथ दुनिया भर में क्रिकेट का नाम खराब किया है।
‘तहलका’ जाँच से पता चलता है कि क्रिकेट के कट्टर प्रेमियों को यह नहीं लगता कि मैच फिक्सिंग सिर्फ एक कदाचार है। उनके लिए क्रिकेट की तो 2000 में ही मौत हो गयी थी। यह वह साल था, जब क्रिकेट में सबसे बड़ा मैच फिक्सिंग कांड सामने आया था। दक्षिण अफ्रीका के बेहद सम्मानित और बेहद सफल कप्तान हैंसी क्रोन्ये एक सट्टेबाज के साथ मैच फिक्सिंग की चर्चा करते हुए टेप में पकड़े गये थे। भारत तब हिल गया था, जब मनोज प्रभाकर ने आरोप लगाया था कि भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव, जो बाद में राष्ट्रीय कोच भी रहे; ने उन्हें सन् 1994 में श्रीलंका में एक मैच में अंडर-परफॉर्म (कमजोर प्रदर्शन) करने के लिए पैसे की पेशकश की थी। और भी बड़ा झटका तब लगा, जब सन् 1996 में क्रोनिए ने आरोप लगाया कि पूर्व कप्तान अजहरुद्दीन ने उसे एक सट्टेबाज से मिलवाया था, जिसने उसे एक टेस्ट मैच हारने के लिए पैसे की पेशकश की थी।

सीबीआई की एक जाँच के बाद बीसीसीआई ने खिलाड़ी अजय शर्मा के साथ-साथ अजहरुद्दीन पर जीवन भर के लिए प्रतिबंध लगा दिया; जबकि अजय जडेजा, टीम फिजियो डॉ. अली ईरानी और मनोज प्रभाकर को पाँच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। बीसीसीआई ने अपनी जाँच में सट्टेबाजों के साथ उनकी संलिप्तता पायी थी। लेकिन जडेजा पर लगे प्रतिबंध को सन् 2003 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने पलट दिया था और अजहरुद्दीन के प्रतिबंध को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने 2012 में रद्द कर दिया था। दो साल बाद, दिल्ली की एक जिला अदालत ने शर्मा को बरी कर दिया और उन पर लगा आजीवन प्रतिबंध हटा लिया गया। जाहिर है कि बीसीसीआई की जाँच और सजा का तरीका उच्चतम न्यायिक मानकों पर खरा नहीं उतरता है।

भारत में मैच फिक्सिंग कानूनों का न होना अभियोजन में बाधा डालता है। पश्चिम में विशेष रूप से मैच फिक्सिंग से निपटने वाले कानून हैं। सन् 2019 में मैच फिक्सिंग को अपराध घोषित करने वाला श्रीलंका पहला दक्षिण एशियाई देश बन गया। जून, 2000 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् (आईसीसी) की भ्रष्टाचार-रोधी इकाई के एक प्रमुख अधिकारी, स्टीव रिचर्डसन ने यह देखते हुए कि जाँच के तहत के अधिकांश मामलों में भारत में भ्रष्टाचारियों से सम्बन्ध थे, देश में मैच फिक्सिंग पर एक कानून की वकालत की थी।

प्रसिद्ध अमेरिकी व्यवसायी लियोना हेम्सले ने एक बार कहा था- ‘हम कर नहीं देते हैं, केवल छोटे लोग कर देते हैं।’ यह सही प्रतीत होता है, क्योंकि अमीर अकसर विभिन्न प्रकार के टैक्स से बचने और टैक्स-हेवेन (कर मुक्त) देशों के लिए उड़ानें भरते हैं। जहाँ तक आयकर का सम्बन्ध है, समान आय पर न्यायप्रिय व्यक्ति अधिक भुगतान करेगा और बेईमान व्यक्ति कम। केवल चतुर लोग ही अपने करों के हिस्से को सब्सिडी देने को अत्याधुनिक समाधानों द्वारा कम भुगतान करने के लिए कानून के आसपास अपना रास्ता खोजते हैं। इस रिपोर्ट में हमने सचिन तेंदुलकर के टैक्स बचाने के तरीकों पर चर्चा की, जिसने हरेक को आश्चर्यचकित कर दिया कि क्रिकेट के भगवान (तेंदुलकर) ऐसा कैसे कर सकते हैं?