करतारपुर कॉरिडोर पर पाक ने ड्राफ्ट भेजा !

एक दिन में ५०० तीर्थयात्रियों को ही आने की होगी मंजूरी

खबर है कि करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रखने के एक महीने बाद  पहला कदम उठाते हुए पाकिस्तान सरकार ने इस कॉरिडोर के संचालन को लेकर दोनों देशों की बैठक से पहले भारत को अपनी ओर से तैयार किया गया ड्राफ्ट भेजा है।
‘इंडिया टुडे’ की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की ओर से भेजे गए इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि गलियारे का मुख्य उद्देश्य करतारपुर में भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए वीजा मुक्त यात्रा की सुविधा प्रदान करना है और इसके लिए दोनों पक्षों (भारत और पाकिस्तान) को सक्रिय होना चाहिए ताकि वे अपने-अपने क्षेत्र में बुनियादी ढांचा तैयार कर सके। ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय तीर्थयात्रियों का डेटाबेस दोनों देश तैयार करेंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक इस डेटाबेस में उनकी मौजूदा जानकारी होगी। साथ ही पाकिस्तान तीर्थयात्रियों को इन शर्तों के तहत कॉरिडोर तक आने की अनुमति देगा। इसके मुताबिक समूह में कम से कम १५ तीर्थयात्री हों,  तीर्थयात्रियों को अपने पास वैध पासपोर्ट और प्रासंगिक सुरक्षा निकासी दस्तावेज रखना होगा,  भारत को तीर्थयात्रियों के सभी विवरणों के साथ उनके आने की सूचना तीन दिन पहले देनी होगी, परमिट सिर्फ करतारपुर की यात्रा के लिए जारी किया जाएगा, एक दिन में ५०० से अधिक तीर्थयात्रियों को आने का परमिट नहीं दिया जाएगा।
इस रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए गलियारा सुबह ८ से शाम ५ बजे तक खुला रहेगा। ड्राफ्ट में पाकिस्तान का कहना है कि वह किसी भी समय तीर्थयात्री को मना करने का अधिकार सुरक्षित रखता है और यह समझौता दोनों देशों (पाकिस्तान और भारत) के राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार लागू किया जाएगा। पाकिस्तान के कानूनों और नियमों का पालन करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए कोई छूट नहीं होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि, इस इस कॉरिडोर को लेकर अभी दोनों देशों के बीच बातचीत होनी है, लेकिन उससे पहले पाकिस्तान ने अपना रुख भारत को भेज दिया है। अगर भारत पाकिस्तान के इस ड्राफ्ट पर राजी हो जाता है तो दोनों पक्षों के हस्ताक्षर के बाद यह समझौता लागू हो जाएगा। अगर राजी नहीं होता है तो इसमें संशोधन किया जा सकता है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि. भारत के सूत्रों ने कहा है कि करतारपुर कॉरिडोर राजनीतिक नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक पहल है। हमें तौर-तरीकों और सुरक्षा के मुद्दे पर काम करना होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि हम बातचीत शुरू करेंगे।